कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि आंदोलन के एक साल पूरे होने के अवसर पर 26 नवंबर और इसके बाद देशभर में आंदोलन को व्यापक रूप से धार दी जाएगी. 29 नवंबर से इस संसद सत्र के अंत तक 500 चुनिंदा किसान शांतिपूर्वक और पूरे अनुशासन के साथ ट्रैक्टर से हर दिन संसद तक जाएंगे.
पटियाला के पंजाबी यूनिवर्सिटी से जुड़े दो अर्थशास्त्रियों द्वारा किया गया ये अध्ययन उन दावों को खारिज करता है कि किसान आंदोलन में ज्यादातर ‘बड़े किसान’ ही हैं. ये अध्ययन पिछले 11 महीनों के विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए लगभग 600 में से 460 किसानों के आंकड़ों पर आधारित है.
केंद्र के तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में किसान दिल्ली के सिंघू, टिकरी और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसे 26 नवंबर को एक साल पूरा हो जाएगा. इन प्रदर्शनों की अगुवाई संयुक्त किसान मोर्चा कर रहा है, जिसमें किसानों के कई संघ शामिल हैं. राकेश टिकैत की अगुवाई वाली भारतीय किसान यूनियन भी इसमें शामिल है. उसके समर्थक दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर ग़ाज़ीपुर में धरना दे रहे हैं.
वीडियो: बीते गुरुवार को टिकरी बॉर्डर से अपने घर वापस जा रही तीन प्रदर्शनकारी किसान महिलाओं को एक तेज़ रफ़्तार ट्रक ने कुचल दिया, जिसके बाद उनकी मौत हो गई. घटना की चश्मदीद महिलाओं का आरोप है कि मृतकों पर साज़िशन ट्रक चढ़ाया गया. मामले में जांच जारी है और ट्रक ड्राइवर और मालिक को गिरफ़्तार किया जा चुका है.
हरियाणा के बहादुरगढ़ ज़िले के टिकरी बॉर्डर के पास गुरुवार सुबह एक ट्रक के टक्कर मारने से तीन महिला किसानों की मौत हो गई और दो अन्य लोग घायल हो गए. पुलिस ने बताया कि घटना के बाद ड्राइवर फ़रार हो गया और उसकी तलाश जारी है.
क्या सिंघू बॉर्डर पर हुई हत्या का समूचा प्रसंग निहित स्वार्थी तबकों की बड़ी साज़िश का हिस्सा था ताकि काले कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ खड़े हुए ऐतिहासिक किसान आंदोलन को बदनाम किया जा सके या तोड़ा जा सके? क्या निहंग नेता का केंद्रीय मंत्री से पूर्व पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में मिलना इस उद्देश्य के लिए चल रही क़वायद का इशारा तो नहीं है?
पंजाब के तरन तारन ज़िले के दलित मज़दूर लखबीर सिंह का शव बीते 15 अक्टूबर को दिल्ली-हरियाणा के सिंघू बॉर्डर पर एक बैरिकेड से बंधा हुआ पाया गया था. एक वीडियो में सिखों के धर्मग्रंथ की बेअदबी के आरोप में निहंग सिखों के एक समूह ने उनकी हत्या किए जाने की बात स्वीकार की थी.
निहंगों ने मांग की है कि पुलिस इस मामले की जांच कर पता लगाए कि वे भाजपा नेताओं के साथ क्या कर रहे थे. हाल ही में एक निहंग धड़े के प्रमुख बाबा अमन सिंह की केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के साथ तस्वीर वायरल हुई थी, जिसके बाद से किसान आंदोलन को ख़त्म करने की साज़िश के कयास लगाए जा रहे हैं.
हरियाणा के कुंडली थाने में सिखों के पवित्र पुस्तक का कथित तौर पर अपमान करने के आरोप में दलित श्रमिक लखबीर सिंह के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है. बीते दिनों सिंघू बॉर्डर पर सिंह की हत्या कर दी गई थी, जिसकी ज़िम्मेदारी निहंगों ने ली है.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के साथ तस्वीर में नज़र आए निहंग धड़े के एक प्रमुख बाबा अमन सिंह ने आरोप लगाया है कि केंद्र ने निहंग सिखों को किसान प्रदर्शन स्थल से हटने के लिए पैसे की पेशकश की थी, लेकिन उन्हें ख़रीदा नहीं जा सकता है. अमन सिंह धड़े के लोग ही सिंघू बॉर्डर पर पिछले हफ़्ते एक दलित मज़दूर की बर्बर तरीके से हत्या करने के मामले में आरोपी हैं.
कृषि मंत्रालय ने बताया कि सरकार किसानों का एक डेटाबेस बना रही है, जिसमें पीएम-किसान जैसी विभिन्न योजनाओं से डेटा इकट्ठा कर इसे भूमि रिकॉर्ड्स से जोड़ा जाएगा. बीते छह सितंबर को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि उनके मंत्रालय ने 5.5 करोड़ किसानों का डेटाबेस बनाया है और इस दिसंबर तक इसे बढ़ाकर 8 करोड़ कर दिया जाएगा.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संसद में एक सवाल के जवाब में कहा है कि केंद्र के तीन नए कृषि का़नूनों के ख़िलाफ़ नवंबर 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों का सरकार के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है. वहीं किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि अब तक तक़रीबन 400 किसानों की मौत हो चुकी है.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को संसद में एक सवाल के जवाब में कहा कि सरकार ने तीन कृषि क़ानूनों के बारे में किसानों की आशंकाओं का पता लगाने के लिए कोई अध्ययन नहीं कराया है, पर केंद्र ने किसानों की आशंकाओं को दूर करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं.
समाज के वंचित वर्गों के लिए आय बढ़ाने के संबंध में भाजपा सरकार के सभी प्रमुख वादों के अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं मिले हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में 36 नए चेहरों को शामिल किया गया है, जबकि सात वर्तमान केंद्रीय राज्य मंत्रियों को पदोन्नत कर इसमें शामिल किया गया है. कैबिनेट मंत्री के रूप में नारायण राणे, सर्बानंद सोनोवाल, ज्योतिरादित्य सिंधिया आदि ने शपथ ली है. इससे पहले रमेश पोखरियाल निशंक, हर्षवर्द्धन, सदानंद गौड़ा, रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर, संतोष गंगवार सहित 12 मंत्रियों ने इस्तीफ़ा दे दिया था.