नीति आयोग द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बहुआयामी ग़रीबी 2013-14 में 29.17 फीसदी से घटकर 2022-23 में 11.28 फीसदी हो गई. इस अवधि के दौरान लगभग 24.82 करोड़ लोग इस श्रेणी से बाहर आ गए हैं. ग़रीबी में सबसे ज़्यादा कमी उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में दर्ज की गई है.
वीडियो: जुलाई में स्वास्थ्य मंत्रालय ने एनएफएचएस तैयार करने वाले इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंसेज के निदेशक को निलंबित कर दिया था, क्योंकि वह एनएफएचएस-5 के ‘आंकड़ों से नाखुश’ था. बीते दिनों उनके इस्तीफ़ा देने के बाद यह निलंबन रद्द किया गया. पूरा घटनाक्रम बता रही हैं बनजोत कौर.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बीते 28 जुलाई को इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंसेज (आईआईपीएस) के निदेशक को निलंबित कर दिया था, क्योंकि वह एनएफएचएस-5 के तहत ‘जारी आंकड़ों से नाखुश’ था. उनका निलंबन औपचारिक रूप से पिछले सप्ताह रद्द कर दिया गया था. निदेशक का निलंबन तब तक जारी रहा, जब तक उन्होंने अपना इस्तीफा नहीं दे दिया.
असम की भाजपा सरकार ने बीते 23 जनवरी को फैसला किया था कि बाल विवाह में शामिल लोगों को गिरफ़्तार करने के साथ जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा. इस घोषणा के एक पखवाड़े से भी कम समय में पुलिस ने बाल विवाह के 4,004 मामले दर्ज किए हैं. महिलाएं का कहना है कि केवल परिवार के पुरुषों को ही क्यों पकड़ा जा रहा है? हम और हमारे बच्चे कैसे जिएंगे? हमारे पास आय के साधन नहीं हैं.
वीडियो: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो दशकों में सभी धार्मिक समुदायों में मुसलमानों की जनसंख्या में सबसे तेज़ गिरावट देखी गई है. समुदाय की प्रजनन दर 2019-2021 में गिरकर 2.3 हो गई, जो 2015-16 में 2.6 थी. इस मुद्दे पर चुनाव आयोग के पूर्व प्रमुख एसवाई क़ुरैशी से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार, देश में 18-49 आयुवर्ग की 32% विवाहित महिलाओं ने शारीरिक, यौन या भावनात्मक वैवाहिक हिंसा का सामना किया है. रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के ख़िलाफ शारीरिक हिंसा के 80% से अधिक मामलों में अपराधी उनके पति रहे हैं.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, क़ानूनी उम्र से पहले महिलाओं के विवाह के संबंध सबसे ख़राब स्थिति पश्चिम बंगाल की है, जहां ऐसी स्त्रियों की संख्या 42 फ़ीसदी है. सबसे बेहतर स्थिति लक्षद्वीप की है, जहां महज़ चार फ़ीसदी महिलाओं का विवाह 18 साल की आयु से पहले हुआ है.
लोकसभा में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि यह सच है कि हमारे बच्चों के परिवारों की आजीविका को बहुत बुरे संकट का सामना करना पड़ा है. लेकिन अब जैसे-जैसे बच्चे स्कूलों में वापस आ रहे हैं, उन्हें और भी बेहतर पोषण की आवश्यकता है. यही नहीं, मिड-डे मील से उन बच्चों को वापस स्कूल लाने में भी मदद मिलेगी, जो महामारी के दौरान स्कूल छोड़ चुके हैं.
सुप्रीम कोर्ट उस जनहित योजना पर सुनवाई कर रही है, जिसमें केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भुखमरी और कुपोषण से निपटने के लिए सामुदायिक रसोइयों के लिए योजना बनाने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया है. अदालत ने केंद्र के इस प्रतिवेदन पर कड़ी प्रतिक्रिया दी कि किसी भी राज्य ने भूख से मौत की जानकारी नहीं दी है.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के रिपोर्ट के मुताबिक़, जम्मू कश्मीर में अपने साथ हुई घरेलू हिंसा के बारे में न बताने वाली महिलाओं का अनुपात 80 प्रतिशत से अधिक रहा. आठ राज्यों में दस प्रतिशत से भी कम महिलाओं ने शारीरिक हिंसा से बचने के लिए मदद मांगी.
देश के 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में किए गए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में पूछा गया था कि क्या पति का पत्नी को मारना-पीटना सही है. सर्वे में शामिल राज्यों में से एक तेलंगाना की 83.8 फीसदी महिलाओं ने इसे जायज़ कहा, वहीं कर्नाटक में 81.9 फीसदी पुरुषों ने इस तरह के व्यवहार को सही ठहराया.
योगी सरकार द्वारा प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण क़ानून के तहत दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन से लेकर स्थानीय निकायों में चुनाव लड़ने पर रोक होगी. यदि इस आधार पर राज्य के भाजपा विधायकों का मूल्यांकन किया जाएगा, तो इनके पचास फीसदी इस कसौटी पर खरे नहीं उतरेंगे.
विधि आयोग ने उत्तर प्रदेश जनसंख्या नियंत्रण विधेयक का प्रारूप जारी करते हुए 19 जुलाई तक जनता से इस पर राय मांगी गई है. इस प्रारूप में दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन से लेकर स्थानीय निकायों में चुनाव लड़ने पर रोक लगाने और सरकारी योजनाओं का भी लाभ न दिए जाने का प्रस्ताव है.
विधि आयोग ने उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण एवं कल्याण) विधेयक-2021 का प्रारूप जारी करते हुए 19 जुलाई तक जनता से इस पर राय मांगी गई है. इस प्रारूप में दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन से लेकर स्थानीय निकायों में चुनाव लड़ने पर रोक लगाने और सरकारी योजनाओं का भी लाभ न दिए जाने का प्रस्ताव है.
सीआईएबीसी परिसंघ ने ज्ञापन देकर कहा है कि शराबबंदी के कारण ही बिहार में अवैध शराब की तस्करी बढ़ी है तथा सरकारी ख़ज़ाने को बड़ा नुक़सान हुआ है. हाल ही में आए एनएफएचएस-5 के मुताबिक़ बिना शराबबंदी वाले महाराष्ट्र की तुलना में बिहार में शराब का उपभोग अधिक है.