असम के तिनसुकिया ज़िले के बाघजान में ऑयल इंडिया लिमिटेड के एक कुएं में पिछले साल 27 मई से शुरू हुए गैस रिसाव में हफ़्ते भर बाद आग लग गई थी और दो दमकलकर्मियों की मौत हो गई थी. क़रीब पांच महीने बाद नवंबर में आग को बुझाया जा सका था.
यमुना निगरानी समिति ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को प्रदूषण के मुख्य स्रोतों की पहचान कर 10 जनवरी तक रिपोर्ट सौंपने को कहा है. यह निर्देश ऐसे वक़्त आया है, जब दिल्ली जल बोर्ड ने आरोप लगाया है कि बार-बार कहने के बावजूद हरियाणा ने उद्योगों से निकलने वाले गंदे पानी का बहाव रोकने के लिए क़दम नहीं उठाया है.
विश्व की सबसे बड़ी सिंचाई और पेयजल कालेश्वरम बहुउद्देशीय लिफ्ट सिंचाई परियोजना का उद्घाटन पिछले साल मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने किया था. एनजीटी ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि पेयजल आपूर्ति को छोड़कर वे अगले आदेश तक इस प्रोजेक्ट के सभी कामों पर रोक लगाएं.
ग्राउंड रिपोर्ट: दिल्ली विकास प्राधिकरण ने एनजीटी के आदेश पर बीते 24 सितंबर को ओखला के धोबीघाट के पास करीब ढाई एकड़ में बसी झुग्गियों को तोड़कर सैकड़ों लोगों को बेघर कर दिया.
एनजीटी में दाख़िल एक याचिका में आरोप लगाया गया है कि सस्ते अपशिष्ट कागज और सड़क की सफाई से निकलने वाले अपशिष्ट को ईंट-भट्ठों में जलाने के लिए अमेरिका, यूरोप तथा अन्य देशों से आयात किया जाता है, जिससे भूमि एवं वायु प्रदूषण होता है.
एनजीटी द्वारा गठित यमुना निगरानी समिति ने यह भी कहा है कि राज्यों को यमुना के कम पानी और संरक्षण पर ध्यान देना होगा. इसके लिए हो सकता है कि राज्यों को कम पानी में काम चलाना पड़े.
अक्टूबर 2019 में एनटीपीसी विंध्याचल का ऐश डैम टूटने के बाद क़रीब 35 लाख मीट्रिक टन से ज़्यादा राख रिहंद जलाशय में गिरी थी. यह जलाशय सिंगरौली और सोनभद्र ज़िलों के पीने योग्य पानी का एकमात्र स्रोत है. एनजीटी में दायर याचिका में एनटीपीसी पर लापरवाही का आरोप लगाया गया था.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा साल 2015 में दिए एक फ़ैसले का हवाला देते हुए एनजीटी ने दिल्ली सरकार से कहा कि प्रदूषित पानी छोड़कर पानी को गंदा करने वाले दिल्ली के रहवासियों से पर्यावरणीय मुआवज़ा वसूल किया जाए.
यमुना सफ़ाई को लेकर एनजीटी के विशेषज्ञ सदस्य बीएस साजवान और दिल्ली की पूर्व मुख्य सचिव शैलजा चंद्रा की दो सदस्यीय यमुना निगरानी समिति ने एनजीटी को सौंपी अपनी अंतिम रिपोर्ट में बीते 23 महीनों के दौरान अपने अनुभव को साझा किया है.
बीते मई में एलजी पॉलीमर्स के विशाखापट्टनम संयंत्र में गैस रिसाव में 12 लोगों की जान चली गई थी. इस मामले को सुनते हुए एनजीटी ने कहा था कि कंपनी से वसूले गए 50 करोड़ रुपये का इस्तेमाल पीड़ितों के मुआवज़े और पर्यावरण को हुए नुकसान को कम करने के लिए किया जाएगा.
बीती सात मई को एलजी पॉलीमर्स के विशाखापट्टनम स्थित संयंत्र में गैस रिसाव से कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई थी. मामले की सुनवाई करते हुए एनजीटी ने कहा कि कंपनी से वसूले गए 50 करोड़ रुपये के जुर्माने का इस्तेमाल पीड़ितों के मुआवज़े और पर्यावरण को हुए नुकसान को कम करने के लिए किया जाएगा.
कंपनी ने अदालत से मांग की थी कि इस मामले की जांच के लिए एनजीटी द्वारा गठित कमेटी पर रोक लगाई जानी चाहिए. बीती सात मई को एलजी पॉलीमर्स के विशाखापट्टनम स्थित संयंत्र में गैस रिसाव से कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई थी.
एनजीटी ने कंपनी को खनन के लिए वन भूमि का इस्तेमाल करने, रसायन और कोयले का पानी खेतों में डालकर किसानों की फसल बर्बाद करने, ग्रीन बेल्ट का निर्माण न करने, खुले ट्रक में कोयला ले जाने, पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचाने और प्रदूषण के पीड़ितों को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया न कराने का दोषी पाया है.
पिछले सात सालों में भारत के राजधानी की वायु गणवत्ता का वायु गुणवत्ता सूचकांक औसतन 224 रहा है जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानदंड के मुकाबले लगभग 350 फीसदी अधिक है.
एनजीटी में दाख़िल एक याचिका में दावा किया गया है कि सीमेंट के अवैज्ञानिक तरीके से चढ़ाने और उतारने के चलते नई दिल्ली के शकूरबस्ती रेलवे स्टेशन और इसके आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण है. इससे सीमेंट ढोने वाले मज़दूरों के अलावा यहां रह रहे लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है.