National Thermal Power Corporation

उत्तराखंड: ग्रामीणों का दावा- जोशीमठ जैसे हालात की राह पर सेलंग गांव

जोशीमठ से क़रीब पांच किलोमीटर दूर स्थित सेलंग गांव के लोगों को कहना है कि पिछले कुछ महीनों से खेतों और कई घरों में दरारें दिखाई दे रही हैं. ग्रामीण इसके लिए एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. उनके अनुसार, गांव के नीचे एनटीपीसी की नौ सुरंगें बनी हैं, जिससे गांव की नींव को नुकसान पहुंचा है.

बार-बार की चेतावनियों पर सरकार की उदासीनता जोशीमठ संकट की जड़: पर्यावरणविद

चिपको आंदोलन संबद्ध रहे रेमन मैग्सेसे, पद्म भूषण और गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित पर्यावरणवादी चंडी प्रसाद भट्ट ने कहा कि जोशीमठ में गुप्त ख़तरों की चेतावनी दो दशक पहले राज्य सरकार को दी गई थी. एक के बाद एक अध्ययन तब तक मदद नहीं करेगा, जब तक कि सरकारें सुझावों पर कार्रवाई शुरू नहीं करतीं.

उत्तराखंड: जोशीमठ भूस्खलन-धंसाव क्षेत्र घोषित, 60 से अधिक परिवारों को निकाला गया

एक अधिकारी ने बताया कि जोशीमठ की लगभग 610 इमारतों में बड़ी दरारें आ गई हैं, जिससे वे रहने लायक नहीं रह गई हैं. प्रभावित इमारतों की संख्या बढ़ सकती है. स्थानीय लोग इमारतों की ख़तरनाक स्थिति के लिए मुख्यत: एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ जैसी परियोजनाओं और अन्य बड़ी निर्माण गतिविधियों को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं.

उत्तराखंड: आपदा के कगार पर जोशीमठ; निर्माण परियोजनाओं से घरों में दरारें पड़ीं, लोगों में आक्रोश

उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में एनटीपीसी जैसी बड़ी निर्माण परियोजनाओं के कारण इमारतों में दरारें पड़ने संबंधी चेतावनियों की अनदेखी करने को लेकर स्थानीय लोगों में सरकार के ख़िलाफ़ भारी आक्रोश है. लोगों का आरोप है कि नवंबर 2021 में ही ज़मीन धंसने को लेकर प्रशासन को आगाह किया गया था, लेकिन इसके समाधान के लिए सरकार द्वारा एक साल से अधिक समय तक कोई क़दम नहीं उठाया गया.

यूपी: एनटीपीसी प्लांट पर प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस ने किया बल प्रयोग, 12 लोग हिरासत में

उत्तर प्रदेश के दादरी स्थित नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) के संयंत्र के बाहर सरकार द्वारा अधिगृहित की गई ग्रामीणों की ज़मीन के एवज में अधिक मुआवज़े की मांग को लेकर किसान प्रदर्शन कर रहे थे. अधिकारियों ने कहा कि भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हल्का बल प्रयोग करते हुए पानी की बौछार का इस्तेमाल किया गया.

मध्य प्रदेश: रिलायंस पावर की सासन परियोजना बंद करने के लिए एनजीटी में याचिका

रिहंद सरोवर में औद्योगिक कचरा डाले जाने के कारण मध्य प्रदेश के सिंगरौली स्थित इस परियोजना के ख़िलाफ़ याचिका दायर की गई है. कहा गया है कि इस साल अप्रैल में ऐश डैम टूटने से संयंत्र से निकलने वाली राख आसपास के खेतों में फैल गई. इससे कथित तौर पर छह ग्रामीणों की मौत हो गई, जिसमें तीन नाबालिग भी शामिल थे.

एनटीपीसी विंध्याचल का सबसे पुराना शाहपुर फ्लाई ऐश डैम फूटा, आसपास के ग्रामीणों में दहशत

फ्लाई ऐश में भारी धातु जैसे आर्सेनिक, सिलिका, एल्युमिना, पारा और आयरन होते हैं, जो दमा, फेफड़े में तकलीफ, टीबी और यहां तक कि कैंसर तक का कारण बनते हैं.

क्या एनटीपीसी कहलगांव बिहार का ‘स्टरलाइट’ बनता जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्ट: नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन के कहलगांव स्थित थर्मल पावर प्लांट से निकलने वाली राख से आसपास के गांवों में रहने वाले लोग पिछले कई सालों से दमा, टीबी और फेफड़ों के संक्रमण जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं.