पिछले पांच-छह सालों में दिनकर का कीर्तन वैसे लोगों ने किया है, जिन्हें शायद वे अपनी चौखट न लांघने देते. उनकी ओजस्विता से इस भ्रम में नहीं पड़ जाना चाहिए कि वे हुंकारवादी राष्ट्रवाद के प्रवक्ता थे. वे राष्ट्रवादी थे, लेकिन ऐसा राष्ट्रवादी जो अपने राष्ट्र को नित नया हासिल करता था और कृतज्ञ होता था.
साक्षात्कार: भारतीय उपमहाद्वीप के बंटवारे का जो असर समाज पर पड़ा, उसकी पीड़ा सिनेमा के परदे पर भी नज़र आई. एमएस सथ्यू की 'गर्म हवा' विभाजन पर बनी सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक है. इस फिल्म समेत सथ्यू से उनके विभिन्न अनुभवों पर द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ भाटिया की बातचीत.
भारतीय उपमहाद्वीप के विभाजन के बाद से अब तक के अनुभव बताते हैं कि बंटवारा कोई हल नहीं बल्कि ख़ुद अपने आप में ही एक समस्या साबित हुआ है.
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निर्देशों के आधार पर ये फ़ैसला लिया गया है. मंत्रालय ने कहा है कि कोविड-19 संकट के बीच छात्रों पर से पढ़ाई का बोझ कम करने के लिए 9वीं कक्षा से 12वीं कक्षा तक के पाठ्यक्रम को 30 प्रतिशत तक कम करने का निर्णय लिया गया है.
मुख्य विपक्षी दल के सवाल करने को उसकी क्षुद्रता बताया जा रहा है. 20 सैनिकों के मारे जाने के बाद कहा गया कि बिहार रेजीमेंट के जवानों ने शहादत दी, यह बिहार के लोगों के लिए गर्व की बात है. अन्य राज्यों के जवान भी मारे गए, उनका नाम अलग से क्यों नहीं? सिर्फ बिहार का नाम क्यों? क्या यह क्षुद्रता नहीं?
बीते दिनों एक रैली में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि महात्मा गांधी ने 1947 में कहा था कि पाकिस्तान में रहने वाला हिंदू, सिख हर नज़रिये से भारत आ सकता है. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बताया था कि गांधी जी ने कहा था कि पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू और सिख साथियों को जब लगे कि उन्हें भारत आना चाहिए तो उनका स्वागत है. क्या वाकई महात्मा गांधी ने ऐसा कहा था जैसा प्रधानमंत्री और गृहमंत्री
इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने केरल साहित्य महोत्सव के दूसरे दिन ‘राष्ट्रभक्ति बनाम अंधराष्ट्रीयता’ विषय पर आयोजित सत्र में कहा कि कांग्रेस का स्वतंत्रता संग्राम के समय ‘महान पार्टी‘ से आज ‘दयनीय पारिवारिक कंपनी‘ बनने के पीछे एक वजह भारत में हिंदुत्व और अंधराष्ट्रीयता का बढ़ना है.
गुजरात के अहमदाबाद में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रंगराजन ने कहा कि विकसित देश की परिभाषा ऐसे देश से है जिसकी प्रति व्यक्ति आय 12,000 डॉलर सालाना हो. अगर हम नौ फीसदी की दर से विकास करे तब भी इसे हासिल करने में 22 साल लगेंगे.
दुर्गा अब राष्ट्रवाद की गुलाम बना ली गई हैं. फिर उनसे वही काम लिया जा रहा है, जो कभी डरपोक-कपटी देवताओं ने उनकी आड़ में महिषासुर पर वार करके लिया था. अब दुर्गा की आड़ में आक्रमण मुसलमानों पर किया जा रहा है और हम, जो खुद को दुर्गा का भक्त कहते हैं, यह होने दे रहे हैं.
ब्रिटिश राज में बने राजद्रोह क़ानून को सरकारों द्वारा अक्सर आज़ाद अभिव्यक्ति रखने वालों या सत्ता के विरुद्ध बोलने वालों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल किया गया है.
आज हमारे सामने ऐसे नेता हैं जो केवल तीन काम करते हैं: वे भाषण देते हैं, उसके बाद भाषण देते हैं और फिर भाषण देते हैं. सार्वजनिक राजनीति से करनी और कथनी में केवल कथनी बची है. गांधी उस कथनी को करनी में तब्दील करने के लिए ज़रूरी हैं.
वीडियो: भगत सिंह की जयंती पर उनके विचारों पर चर्चा कर रहे हैं प्रोफेसर अपूर्वानंद.
ऐसा लगता है कि भगत सिंह के प्रति श्रद्धा वास्तव में गांधी-नेहरू से घृणा का दूसरा नाम है. जिनके वैचारिक पूर्वज ख़ुद को बचाते हुए अपने अनुयाइयों को भगत सिंह से दूर रहने की सलाह देते हुए दिन गुज़ारते रहे, उन्होंने अपनी कायर हिंसा को उचित ठहराने के लिए आज भगत सिंह को एक ढाल बना लिया है.
देहरादून में आयोजित एक कार्यक्रम में भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने कहा कि जहां तक मंदी के दौर की बात है, ये सांसों के आरोह और अवरोह की तरह होता है. सांस नीचे-ऊपर होती है लेकिन शरीर पूरा चल रहा होता है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण पर दिए बयान पर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि ग़रीबों के अधिकारों पर हमला, संविधान सम्मत अधिकारों को कुचलना, दलितों-पिछड़ों के अधिकार छीनना...यही असली भाजपाई एजेंडा है.