राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लिखे गए पत्र में शिक्षाविदों, पत्रकारों, वकीलों और कार्यकर्ताओं आदि ने इंडिया गेट पर सुभाष चंद्र बोस की होलोग्राम प्रतिमा लगाए जाने के फैसले के पीछे की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा था कि ऐसा नहीं है कि उनकी प्रतिमा दिल्ली में पहले से मौजूद नहीं है, लेकिन फिर भी मीडिया के एक वर्ग ने ग़लत तरीके से यह दर्शाने की कोशिश की कि ऐसा पहली बार होगा कि नेताजी को राजधानी में इस तरह
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परपोते और जीवनी लेखक सुगत बोस ने करण थापर के साथ बातचीत में कहा कि अगर नेताजी जीवित होते तो धर्म संसद से मुसलमानों के नरसंहार का आह्वान करने की किसी की हिम्मत नहीं होती.