नरेगा संघर्ष मोर्चा ने कहा कि जब महंगाई को ध्यान में रखा जाता है, तो 2025-26 के बजट में योजना का आवंटन 2024-25 के बजट की तुलना में प्रभावी रूप से लगभग 4,000 करोड़ रुपये कम है. यह उपेक्षा नहीं है, यह लाखों लोगों की महत्वपूर्ण जीवनरेखा को व्यवस्थित रूप से ख़त्म करने का हिस्सा है.
कुंभों और महाकुंभों की लंबी परंपरा में कभी इलाहाबादी कुंभ यात्रियों या कुंभयात्री इलाहाबादियों की किसी भी तरह की असुविधा के हेतु नहीं बने. उन्होंने हमेशा, और इस बार विशेषकर मुस्लिम समुदाय ने परस्पर सत्कार व सहकार की भावना बनाए रखी.
रुस्तम सिंह अपने सहकर्मियों के रचना-संसार पर गहरी निगाह रखते हैं और उनकी उपलब्धियों को सार्वजनिक रूप से दर्ज करते हैं. हाल ही में उन्होंने हिंदी के अठारह समकालीन कवियों का संकलन तैयार किया है. यहां प्रस्तुत है, उस संकलन का प्राक्कथन और कुछ चुनिंदा कविताएं.
इन सभी विधायकों ने आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने के बाद इस्तीफ़ा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए. इनका आरोप है कि पार्टी केंद्रीकृत, अपारदर्शी हो गई है और इसमें आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है.
ज़किया जाफ़री ने अपनी ज़िंदगी के पिछले 22 साल इंसाफ़ की जद्दोजहद में झोंक दिए. हर कदम पर भारत के ताकतवर निज़ाम की तरफ़ से रुकावट और मुख़ालिफ़त के बावजूद उन्होंने इंसाफ़ की अपनी टेक नहीं छोड़ी.
ढाई हज़ार से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे और चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी का दावा करने वाला प्रशासन भगदड़ रोकने में असफल क्यों हुआ? झूंसी इलाके में हुई भगदड़ की जानकारी प्रशासन को क्यों नहीं थी? अगर जानकारी नहीं थी, तो बिखरे कपड़ों, चप्पलों और अन्य चीजों को बड़े ट्रकों में किसके आदेश पर हटवाया जा रहा था?
केंद्र सरकार ने 2025-26 का बजट पेश किया, जिसमें मध्यम वर्ग के लिए आयकर राहत का ऐलान किया गया. अब 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. इसके अलावा, बिहार के लिए मखाना बोर्ड, खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थान और आईआईटी पटना के विस्तार जैसी विशेष घोषणाएं की गई हैं.
कहते हैं कि जब कोई गंगा स्नान करके घर आता है तो उसके पैरों में लगकर गंगा की माटी भी उन लोगों के लिए चली आती है जो गंगा तक नहीं जा पाए. महाकुंभ में भगदड़ की रात जब तमाम श्रद्धालु मेला क्षेत्र से निकलकर शहर में फंसें, तो जिन मुसलमानों को कुंभ में हिस्सा लेने से रोका गया, कुंभ ख़ुद ही उनके घरों, उनकी मस्ज़िदों में चला आया.
शनिवार को ज़किया जाफ़री का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उन्होंने गुजरात दंगा पीड़ितों के लिए न्याय और दंगों के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अलग-अलग अदालतों में क़ानूनी संघर्ष का लंबा सफर तय किया था. उनके पति और कांग्रेस सांसद एहसान जाफ़री भी दंगों में मारे गए थे.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार भी अपने बजटीय भाषण में मनरेगा का कोई उल्लेख नहीं किया. इस बार भी योजना के लिए बजट में 86,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो 2024-2025 के संशोधित अनुमान के अनुसार योजना पर ख़र्च की गई राशि के बराबर है.
जदयू सांसद संजय कुमार झा ने 'एक राष्ट्र एक चुनाव' विधेयक पर बनी संयुक्त संसदीय समिति के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग करते हुए सरकार से आग्रह किया है कि वह क़ानून लाने में जल्दबाज़ी न करें. जदयू ने विधेयक पर व्यापक विचार-विमर्श की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है.
तृणमूल कांग्रेस के महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी ने महाकुंभ भगदड़ के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को ज़िम्मेदार ठहराते हुए उन पर योजना बनाने की बजाय प्रचार को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया.
केंद्रीय बजट को यह तथ्य ध्यान में रखना चाहिए कि हमारे देश में एक-चौथाई से अधिक श्रमशक्ति की दैनिक आय 100 रुपये से कम है, आधे से अधिक श्रमशक्ति की औसत मजदूरी 300 रुपये प्रतिदिन से कम है और एक चौथाई से भी कम श्रमशक्ति 500 रुपये प्रतिदिन या 15 हजार रुपये प्रति माह से अधिक आय अर्जित कर पाती है.
भारतीय संविधान ने हर धर्म, जाति और पहचान के लोगों के लिए समान अधिकार वाला देश बनाने का संकल्प लिया था. लेकिन जिस तरह बहुसंख्यक हिंदू और ऊंची जातियां दलितों और मुसलमानों को हमारे पड़ोस, स्कूलों और हमारे जीवन से बाहर निकाल रही हैं, ये समुदाय डाल से टूटकर दूर जा गिरे हैं.
मौनी अमावस्या के महापर्व पर महाकुंभ में जो हादसा हुआ, उसके लिए मानवीय भूल और भीड़ नियंत्रण की विफलता को तो ज़िम्मेदार माना ही जाएगा. चूंकि सरकार इतनी अधिक भीड़ जुटाने का श्रेय ले रही थी, इसलिए हादसे का अपयश भी स्वीकार करना ही चाहिए.