मोदी सरकार के पास जीएसटी दरें बदलने के अलावा कोई विकल्प नहीं है: चिदंबरम

कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि दहशत में आई मोदी सरकार अगले महीने गुजरात विधानसभा चुनाव के कारण विपक्ष और विशेषज्ञों की सलाह पर ध्यान देने को मजबूर होगी.

स्टैच्यू आॅफ यूनिटी: सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ते बच्चे और 121 करोड़ रुपये का चंदा

देश के वंचितों के स्वास्थ्य की बदतर स्थिति का एक तरह से मखौल उड़ाती सरदार पटेल की मूर्ति के लिए 121 करोड़ के चंदे की ख़बर पर चर्चा नहीं हो सकी.

भ्रष्टाचार और कालाधन रात भर में सुलझाने वाली समस्या नहीं है: बिबेक देबरॉय

प्रख्यात अर्थशास्त्री और नीति आयोग के सदस्य देबरॉय ने कहा कि भ्रष्टाचार से अपेक्षाकृत गरीबों को ज्यादा नुकसान होता है और ​भ्रष्टाचार पर शिकंजे का असर अमीरों पर पड़ता है.

रोज़गार सृजन नहीं हुआ तो भावी पीढ़ी माफ़ नहीं करेगी: श्रम मंत्री

श्रम सचिव एम. सत्यवती ने कहा, हर साल एक करोड़ युवा रोज़गार चाहने वालों में शामिल होते हैं. दुर्भाग्य से नौकरी पाने के लिए कई युवाओं में ज़रूरी कौशल नहीं होता.

हिमाचल विधानसभा चुनाव: पहले दो घंटे में पड़े 13.72 प्रतिशत वोट

चुनाव प्रचार अभियान में भ्रष्टाचार को मुख्य मुद्दा बनाकर भाजपा ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर निशाना साधा, जबकि कांग्रेस ने जीएसटी और नोटबंदी को लेकर भाजपा पर प्रहार किया.

दिल्ली की चुनी हुई सरकार के कामकाज में उपराज्यपाल बाधा नहीं बन सकते: सुप्रीम कोर्ट

उच्चतम न्यायालय ने कहा, मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिपरिषद की सहायता और परामर्श शब्द शून्य में नहीं हैं, उन्हें कुछ मायने तो देना ही होगा.

दिल्ली सरकार कोई नीतिगत फ़ैसला करती है तो एलजी को जानकारी देनी ज़रूरी: सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने कहा, अगर दिल्ली सरकार एक नीतिगत फ़ैसला करती है तो वह एलजी को जानकारी देने के लिए बाध्य है, परंतु एलजी का सहमत होना ज़रूरी नहीं है.

हिमाचल में प्रचार अभियान समाप्त, मतदान कल

हिमाचल प्रदेश चुनाव राउंडअप: भाजपा के नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के भ्रष्टाचार को बनाया मुद्दा, कांग्रेस के राहुल गांधी ने नोटबंदी और जीएसटी पर किया प्रहार, अब फ़ैसला जनता के हाथ.

निजी क्षेत्र में आरक्षण समय की ज़रूरत ​है

निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग पर विचार करने से पहले यह उल्लेख कर देना ज़रूरी है कि आरक्षण के मसले पर मेरिट, सामान्य श्रेणी के साथ अन्याय व निजी क्षेत्र की स्वायत्तता में बेमानी दख़ल जैसे तर्कों पर फ़ालतू चर्चा का अब कोई मतलब नहीं है.