बीते दिनों लोकसभा में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद रॉय ने 'सार्वजनिक हित' का हवाला देते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज यूएपीए मामलों की जानकारी देने से मना कर दिया. हैरानी की बात यह है कि इस बारे में सारी जानकारी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध है. यह भी गौर करने योग्य है कि दिल्ली में इस कड़े क़ानून के तहत गिरफ़्तार 34 लोगों में अधिकांश धार्मिक अल्पसंख्यक हैं.
कर्नाटक हाईकोर्ट का यह आदेश पिछले हफ़्ते के सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद आया है, जिसमें उच्च न्यायालयों की मंज़ूरी के बिना राज्यों द्वारा विधायकों और सांसदों के ख़िलाफ़ मामलों को वापस लेने पर रोक लगा दिया गया था. मामले वापस लेने से इससे हिंदुत्ववादी समूहों के 205 सदस्यों, मैसूर से भाजपा सांद प्रताप सिम्हा और 106 मुस्लिमों को फ़ायदा पहुंचा था.
यह दूसरी बार है जब पूर्वोत्तर राज्य नगालैंड में सर्वदलीय सरकार बनेगी. ऐसी पहली सरकार साल 2015 में बनी थी जब आठ विपक्षी कांग्रेस विधायक सत्ताधारी नगा पीपुल्स फ्रंट में शामिल हो गए थे.
उत्तर प्रदेश के महोबा ज़िले का मामला. 30 वर्षीय महिला ने 14 अगस्त को अपने पड़ोसी विपिन यादव के ख़िलाफ़ घर में घुसकर मारपीट करने और छेड़खानी करने का मामला दर्ज करवाया था. पुलिस ने आरोपी युवक को हिरासत में ले लिया था. आरोप है कि इसी से नाराज़ होकर उसके मां-बाप ने महिला पर किरोसिन छिड़ककर आग लगा दी थी.
‘कांस्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप’ के तत्वाधान में 108 पूर्व नौकरशाहों द्वारा लिखे पत्र में कहा गया है कि गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) पांच दशकों से अधिक समय से भारत की क़ानून की किताबों में मौजूद है और हाल के वर्षों में इसमें किए गए संशोधनों ने इसे निर्मम, दमनकारी और सत्तारूढ़ नेताओं तथा पुलिस के हाथों घोर दुरुपयोग करने लायक बना दिया है.
आईवीएफ के ज़रिये गर्भधारण करने वाली एक तलाक़शुदा महिला ने केरल जन्म-मृत्यु पंजीकरण नियमावली के पिता की जानकारी देने संबंधी नियम को चुनौती दी थी. केरल हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य को ऐसी प्रक्रिया से जन्मे बच्चों के ऐसे पंजीकरण के लिए उचित फॉर्म मुहैया कराना चाहिए.
उत्तर प्रदेश पुलिस ने कहा कि मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जौनपुर के रहने वाले 62 वर्षीय मनमोहन मिश्रा पिछले 35 साल से चेन्नई में रहे हैं. आरोप है कि अपने कई वीडियो में मिश्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोदी और भाजपा सरकार की उसकी नीतियों और कोविड-19 की दूसरी लहर को संभालने में बुरी तरह विफल होने की आलोचना की है.
तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल पर क़ब्ज़ा कर लेने के बाद यहां तनाव का माहौल है. ज़्यादातर लोग अपने घरों में छिप गए हैं और बड़े-बड़े चौराहों पर तालिबान लड़ाके तैनात हैं. देश छोड़कर जाने वालों की भारी भीड़ काबुल एयरपोर्ट पर जमा है. अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ ग़नी ने कहा है कि वह काबुल छोड़कर इसलिए चले गए, ताकि वहां ख़ून-ख़राबा और बड़ी मानवीय त्रासदी न हो. भारत ने एयर इंडिया ने काबुल की एकमात्र उड़ान रद्द कर
भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने कार्यकाल में तमाम अलोकतांत्रिक, अराजक, दमनकारी, उत्पीड़नात्मक तथा विभेदकारी कार्य किए, वह इनके विरोध में उनके ख़िलाफ़ चुनाव लड़ेंगे. ठाकुर को गृह मंत्रालय के निर्णय के अनुपालन में गत 23 मार्च को समय-पूर्व सेवानिवृत्ति दे दी गई थी.
सिलचर से सांसद रहीं सुष्मिता देव ने 15 अगस्त को पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को अपना इस्तीफ़ा भेजा था. अपने त्यागपत्र में उन्होंने पार्टी छोड़ने के कारण का कोई उल्लेख नहीं किया था. सोमवार को कोलकाता में वे तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गईं.
अफ़ग़ानिस्तान में लगभग दो दशकों में सुरक्षा बलों को तैयार करने के लिए अमेरिका और नाटो द्वारा अरबों डॉलर ख़र्च किए जाने के बावजूद तालिबान ने एक सप्ताह में लगभग पूरे देश पर क़ब्ज़ा कर लिया है. फ़िलहाल अमेरिका अपने बाकी बचे कर्मचारियों को निकालने में लगा हुआ है. इस बीच देश के राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी के ताज़िकिस्तान में शरण लेने की सूचना है. देश में सत्ता हस्तानांतरण की प्रक्रिया जारी है. यह स्पष्ट नहीं है कि यह कब होगा
जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र अरबाब अली ने आरोप लगाया है कि दिल्ली के जंतर मंतर पर मुस्लिम विरोधी नारेबाज़ी के संबंध में भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय और हिंदुत्व कार्यकर्ता उत्तम उपाध्याय के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज कराने की कोशिश करने पर उन्हें हिरासत में लिया गया और धमकाया गया. आरोप है कि अश्विनी उपाध्याय के नेतृत्व में बीते आठ अगस्त को जंतर मंतर पर एक कार्यक्रम के दौरान भड़काऊ और मुस्लिम विरोधी नारेबाज़ी की गई थी.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र में असहमति का होना महत्वपूर्ण है. राज्य में सुशासन के लिए देश में जनसेवा में जुटे लोगों की स्वस्थ्य आलोचना/समीक्षा होनी चाहिए, ताकि ढांचागत विकास हो सके, लेकिन नए नियमों के लागू होने के बाद किसी को भी ऐसे किसी व्यक्ति की आलोचना करने से पहले दोबार सोचना पढ़ेगा, फिर चाहे किसी लेखक/संपादक/प्रकाशक के पास इसके लिए उचित कारण ही क्यों न हो.
मुज़फ़्फ़रनगर के कवाल गांव में दो युवकों की हत्या को लेकर कार्रवाई के लिए सितंबर 2013 को जाट समुदाय के लोगों ने महापंचायत बुलाई थी. महापंचायत से लौट रहे लोगों पर हमले के बाद हिंसा भड़क गई थी. इस दौरान 65 लोगों की मौत हो गई और लगभग 40,000 लोगों को पलायन करना पड़ा था.
वीडियो: बीते 8 अगस्त को दिल्ली के जंतर मंतर पर एक कार्यक्रम के दौरान मुस्लिम विरोधी हिंसक नारे लगे थे. उत्तम उपाध्याय उन लोगों में से एक हैं, जिन्हें वीडियो में ये नारे लगाते हुए देखा जा सकता है. इस कार्यक्रम के बाद से वह घर नहीं लौटे हैं. दिल्ली पुलिस का कहना है कि वह वीडियो में किसी की पहचान नहीं कर पाई है, लेकिन द वायर ने उत्तम कुमार की पहचान की और उनके परिवार से बातचीत भी