निर्मल वर्मा की 96वीं जयंती पर उनकी असंकलित कहानियों के संग्रह ‘थिगलियाँ’ के लोकार्पण में उनकी जीवनसाथी गगन गिल ने कहा कि अच्छे लेखक की परतें उसके गुज़र जाने के कई वर्ष बीत जाने के बाद खुलती हैं.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: विनीत गिल की किताब निर्मल जीवन और लेखन का सूक्ष्म-सजग-संवेदनशील पाठ है. हर बखान या विवेचन, हर खोज या स्थापना के लिए प्राथमिक और निर्णायक साक्ष्य उनका लेखन है.
जन्मदिन विशेष: एक सर्जक के मन की पीड़ाएं उसकी सर्जना के लिए माध्यम बनती हैं पर स्वयं सर्जक भी स्पष्ट रूप से नहीं समझ पाते कि उनकी मानसिक व्याधियों से उनकी कला का वह रूप संभव हो सका है, या अशांत मन के विकारों ने उनकी कला को सीमित किया. स्वदेश दीपक भी अपने मन की प्रेत-छायाओं से लड़ते रहे और अंततः जब लड़ने से थक गए तो अपने आस-पास की दुनिया को छोड़कर एक सुबह चुपचाप कहीं चले गए.
आज उपन्यासकार फणीश्वर नाथ रेणु का जन्मदिन है. ये मार्मिक संस्मरण कहानीकार निर्मल वर्मा ने उन्हें याद करते हुए लिखा था. इसे रेणु की पुस्तक ‘ऋणजल धनजल’ में शामिल किया गया है.
प्रेमचंद की प्रासंगिकता का सवाल बेमानी जान पड़ता है, लेकिन हर दौर में उठता रहा है. अक्सर कहा जाता है कि अब भी भारत में किसान मर रहे हैं, शोषण है, इसलिए प्रेमचंद प्रासंगिक हैं. प्रेमचंद शायद ऐसी प्रासंगिकता अपनी मृत्यु के 80 साल बाद न चाहते.