वित्त राज्यमंत्री भागवत के. कराड ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान बैंकों द्वारा 1,57,096 करोड़ रुपये के क़र्ज़ बट्टे खाते में डाले गए. मंत्री ने यह भी बताया कि जानबूझकर ऋण न चुकाने वालों की सूची में मेहुल चोकसी की गीतांजलि जेम्स लिमिटेड सबसे ऊपर है. इसके बाद एरा इंफ्रा इंजीनियरिंग, कॉनकास्ट स्टील एंड पावर, आरईआई एग्रो लिमिटेड और एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड का स्थान है.
लॉकडाउन से लघु और मझोले उद्यम सर्वाधिक प्रभावित, 2020-2021 में इनका क़र्ज़ 20,000 करोड़ बढ़ा: आरटीआई
सूचना का अधिकार के ज़रिये आरबीआई से मिली जानकारी से पता चला है कि लॉकडाउन के दौरान सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम (एमएसएमई) एमएसएमई की कुल ग़ैर निष्पादित संपत्तियां (एनपीए) या फंसा हुआ क़र्ज़ सितंबर 2020 में 1,45,673 करोड़ की तुलना में 20,000 करोड़ रुपये बढ़कर सितंबर 2021 में 1,65,732 हो गया.
भारतीय बैंकों को उनके फंसे हुए क़र्ज़ से उबारने के लिए बैड बैंक की स्थापना की जा रही है. इसके तहत फंसे क़र्ज़ को संबंधित बैंक की बैलेंस शीट से हटा दिया जाएगा और वो क़र्ज़ बैड बैंक के पास चला जाएगा. फंसे क़र्ज़ के समाधान के तहत पहले चरण में 50,335 करोड़ रुपये के कम से कम 15 खाते 31 मार्च तक बैड बैंक में हस्तांतरित किए जाएंगे.
वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा लोकसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक, बैंकों ने वित्त वर्ष 2018-19, और वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तीन तिमाहियों के दौरान क्रमश: 2.36 लाख करोड़ रुपये और 2.34 लाख करोड़ रुपये के ऋण को बट्टे खाते में डाला है. ऐसे ऋण जिसकी वसूली नहीं हो पाती है, बैंक उन्हें बट्टे खाते में डाल देते हैं.
आरटीआई से पता चला है कि बैंकों ने एसएमएस अलर्ट सेवा शुल्क, न्यूनतम शेष शुल्क, लॉकर शुल्क, डेबिट-क्रेडिट कार्ड सेवा शुल्क, खाता बही से बड़ी राशि अर्जित की है.
केंद्रीय बैंक की ओर से किए गए आकलन के अनुसार 2018-19 में पीएनबी का सकल एनपीए 81,089.70 करोड़ रुपये था. यह बैंक द्वारा दिखाए गए 78,472.70 करोड़ रुपये के सकल एनपीए से 2,617 करोड़ रुपये अधिक है.
आरबीआई से इस्तीफा देने के बाद ये पहला मौका है जब उर्जित पटेल ने कोई सार्वजनिक टिप्पणी की है.
द वायर एक्सक्लूसिव: आरटीआई के तहत प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक शीर्ष 100 एनपीए क़र्ज़दारों का एनपीए 4,46,158 करोड़ रुपये है, जो कि देश में कुल एनपीए 10,09,286 करोड़ रुपये का क़रीब 50 फीसदी है.
सूचना के अधिकार के तहत रिज़र्व बैंक से डिफाल्टरों के नाम की जानकारी मांगी गई थी.
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक पिछले दस सालों में सात लाख करोड़ से ज़्यादा का बैड लोन राइट ऑफ हुआ यानी न चुकाए गए क़र्ज़ को बट्टे खाते में डाला गया, जिसका 80 फीसदी जो लगभग 5,55,603 करोड़ रुपये है, बीते पांच सालों में बट्टे खाते में डाला गया.
रिज़र्व बैंक की रिपोर्ट में बताया गया है कि एनपीए 31 मार्च, 2018 तक बढ़कर 10 लाख करोड़ रुपये के ऊपर पहुंच गया है, जो 31 मार्च, 2015 तक तीन लाख करोड़ रुपये था.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता एम वीरप्पा मोइली की अगुवाई वाली वित्त पर संसद की स्थायी समिति की इस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया गया है. इसे संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है.
रिज़र्व बैंक ने अपनी वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट में कहा है कि बैंकिंग क्षेत्र पर गैर-निष्पादित क़र्ज़ का दबाव बना रहेगा. आने वाले समय में यह और बढ़ेगा. मार्च 2019 तक 11.6 प्रतिशत से बढ़कर 12.2 प्रतिशत होगा.
बैंकों द्वारा बट्टा खाते में डाली गई यह राशि पिछले साल की तुलना में 61.8 प्रतिशत ज़्यादा है. पिछली साल बैंकों द्वारा 89,048 करोड़ रुपये बट्टा खाते में डाले गए थे.
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा फरवरी 2018 में जारी एक सर्कुलर उसके और नरेंद्र मोदी सरकार के बीच तकरार की वजह बन गया है. जिसमें कहा गया है कि सभी बड़े कॉरपोरेट समूह, जो बैंकों से लिए गए ऋण की पुनअर्दायगी करने में नाकाम रहते हैं, उन्हें 1 अक्टूबर, 2018 से दिवालिया घोषित किए जाने की प्रक्रिया में शामिल होना पड़ेगा.