आफ़स्पा हटाए जाने की मांग के बीच केंद्र सरकार ने नगालैंड में इसकी अवधि बढ़ाई

गृह मंत्रालय ने कहा है कि केंद्र सरकार की राय है कि पूरे नगालैंड राज्य का क्षेत्र इतनी अशांत और ख़तरनाक स्थिति में है कि नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सशस्त्र बलों का उपयोग आवश्यक है. बीते चार और पांच दिसंबर को मोन ज़िले में सेना की गोलीबारी में कम से कम 14 नागरिकों के मौत के बाद आफ़स्पा को वापस लेने की मांग हो रही है.

नगालैंड: राज्य से आफ़स्पा हटाने की संभावना पर गौर करने के लिए केंद्र ने समिति गठित की

सेना की गोलीबारी में 14 लोगों की मौत के बाद बढ़े तनाव के मद्देनज़र केंद्र ने दशकों से नगालैंड में लागू विवादास्पद आफ़स्पा हटाने की संभावना पर गौर करने के लिए भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त विवेक जोशी की अगुवाई ने पांच सदस्यीय समिति गठित की है, जो 45 दिन में अपनी रिपोर्ट देगी. 

भाजपा ने त्रिपुरा हिंसा को कम करके दिखाया, ‘स्वाभाविक’ प्रतिक्रिया कहकर सही ठहराया: रिपोर्ट

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया द्वारा गठित फैक्ट फाइंडिंग टीम ने त्रिपुरा पुलिस और प्रशासन पर हिंसा से निपटने में ‘ईमानदारी की कमी’ प्रदर्शित करने का आरोप लगाया है. टीम की रिपोर्ट में कहा गया कि यह दिखाने के लिए बड़ी कॉन्सपिरेसी थ्योरी तैयार की गई कि सांप्रदायिक हिंसा को उजागर करने वाली स्वतंत्र पत्रकारिता एक चुनी गई सरकार को ‘राज्य के दुश्मनों द्वारा कमज़ोर करने’ का एक प्रयास है.

नगालैंड विधानसभा ने आफ़स्पा हटाने की मांग करने वाला प्रस्ताव पारित किया

नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने कहा कि हर बार हमारा यही रुख़ रहा है कि नगालैंड को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित करने की कोई ज़रूरत या औचित्य नहीं है. लेकिन हर बार हमारे विचारों और हमारी आपत्तियों को नज़रअंदाज़कर दिया जाता है. वहीं असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा है कि उनका राज्य आफ़स्पा के दायरे में बना रहेगा और इसे वापस लेने का निर्णय तभी लिया जाएगा जब मौजूदा शांति लंबे समय तक बनी रहे.

पूर्वोत्तर में आफ़स्पा के चलते मानवाधिकार उल्लंघन होने की आम राय बनाना ग़लत: एनएचआरसी प्रमुख

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि आयोग सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम यानी आफ़स्पा की वैधता या संवैधानिकता की पड़ताल नहीं कर सकता या इस पर बहस नहीं कर सकता. अधिनियम लागू करने या वापस लेने की आवश्यकता की समीक्षा सरकार करेगी.

मणिपुर: सरकारी विज्ञापनों के बकाये को लेकर मीडिया संस्थानों की कामबंदी का ऐलान

एडिटर्स गिल्ड मणिपुर और मणिपुर हिल्स जर्नलिस्ट्स यूनियन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सरकारी विज्ञापनों के बिलों का भुगतान नहीं करने पर विरोधस्वरूप 16 दिसंबर को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर कोई न्यूज़ बुलेटिन या बहस का कार्यक्रम नहीं होगा, जबकि 17 दिसंबर को प्रिंट मीडिया कोई प्रकाशन नहीं करेगा.

पूर्वोत्तर से विवादास्पद आफ़स्पा क़ानून को हटाने का समय आ चुका है: इरोम शर्मिला

सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफ़स्पा) के ख़िलाफ़ 16 सालों तक भूख हड़ताल करने वाली मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने कहा कि नगालैंड में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में नागरिकों की मौत की घटना आंख खोलने वाली साबित होनी चाहिए. आफ़स्पा न सिर्फ़ दमनकारी क़ानून है, बल्कि मूलभूत मानवाधिकारों का व्यापक उल्लंघन करने जैसा है.

नगालैंड गोलीबारी में जिन लोगों की मौत हुई उनके परिवारों ने मुआवज़ा ठुकराया, न्याय की मांग की

पीड़ित परिवारों ने एक बयान में कहा है कि भारतीय सशस्त्र बल के 21वें पैरा कमांडो के दोषियों को नागरिक संहिता के तहत न्याय के कटघरे में लाने और पूरे पूर्वात्तर क्षेत्र से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (आफस्पा) को हटाने तक वे मुआवज़ा स्वीकार नहीं करेंगे. नगालैंड के मोन ज़िले में चार से पांच दिसंबर के दौरान एक असफल उग्रवाद विरोधी अभियान के दौरान सेना की गोलीबारी में कम से कम 14 नागरिकों की जान चली गई थी.

नगालैंड के लोगों की मौत पर अमित शाह अपना भ्रामक बयान वापस लेकर माफ़ी मांगेंः कोन्यक यूनियन

नगालैंड में कोन्यक जनजाति का शीर्ष संगठन ‘कोन्यक यूनियन’ ने मोन ज़िले में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 14 नागरिकों के मौत पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दावे ‘ग़लत पहचान’ और सुरक्षा बलों द्वारा ‘आत्मरक्षा’ में आम लोगों पर गोली चलाने के तर्क को भी ख़ारिज किया और कहा कि उन्हें कोन्यक और नगालैंड के लोगों से माफ़ी मांगनी चाहिए.

मणिपुरः सेना की गोलीबारी से लोगों की मौत पर प्रदर्शन, आफ़स्पा हटाने के लिए पीएम मोदी को ज्ञापन

बीते चार दिसंबर को नगालैंड के मोन ज़िले में सुरक्षाबलों की कथित गोलीबारी में 14 आम लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने छह दिसंबर को संसद में कहा था कि सैन्यबल के इशारे पर गाड़ी न रुकने के बाद फायरिंग की गई थी. विभिन्न संगठन उनके इस बयान को झूठ बताते हुए इसकी निंदा कर रहे हैं.

नगालैंड: आफ़स्पा के बावजूद बीते 28 सालों में राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन नहीं हुआ

राष्ट्रमंडल देशों में रहने वालों के अधिकारों के लिए काम करने वाली ग़ैर-सरकारी संस्था कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव ने हाल ही में सुरक्षा बलों के हाथों 14 नागरिकों की मौत को लेकर राज्य में तत्काल मानवाधिकार आयोग के गठन की मांग की है.

आफ़स्पा के साये में शांति वार्ता संभव नहीं, शाह का बयान ‘गैर-ज़िम्मेदाराना’: एनएससीएन-आईएम

केंद्र के साथ नगा राजनीतिक वार्ता में प्रमुख वार्ताकार एनएससीएन-आईएम ने कहा है कि आफ़स्पा के कारण नगाओं को कई मौकों पर कड़वा अनुभव मिला है. इसने काफ़ी ख़ून बहाया है. ख़ून और राजनीतिक बातचीत एक साथ नहीं चल सकती. वहीं मेघालय में भाजपा की सहयोगी नेशनल पीपुल्स पार्टी ने भी बयान दिया है कि सेना की गोलीबारी में 14 नागरिकों के मौत पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है.

नगालैंड हिंसा: जानिए क्या है पूरा घटनाक्रम

वीडियो: बीते चार दिसंबर को नगालैंड के मोन जिले में सुरक्षाबलों की कथित गोलीबारी में 14 आम लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद विभिन्न छात्र संगठनों और राजनीतिक दलों ने सेना को विशेष अधिकार देने वाले आफ़स्पा हटाने की मांग की है. 

1 14 15 16 17 18 39