दिसंबर 2021 में मोन ज़िले के ओटिंग और तिरु गांवों के बीच सेना की गोलीबारी में 14 नागरिकों की मौत हो गई थी. मामले को लेकर नगालैंड पुलिस ने मेजर रैंक के एक अधिकारी समेत 21 पैरा स्पेशल फोर्स के 30 जवानों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर की है.
मणिपुर में स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा के लिए निर्धारित 177 करोड़ रुपये का इस्तेमाल नहीं हो सका है. प्रजनन बाल स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य प्रणाली सुदृढ़ीकरण, राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम तथा राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के लिए 13.23 करोड़ रुपये और राष्ट्रीय आयुष मिशन के लिए जारी अतिरिक्त 15.83 करोड़ रुपये की राशि बिना उपयोग के बची हुई हैं.
मणिपुर सरकार ने दिवंगत ब्रिगेडियर सुशील कुमार शर्मा की किताब 'द कॉम्प्लेक्सिटी कॉल्ड मणिपुर: रूट्स, परसेप्शन्स एंड रियलिटी' में दर्ज जानकारियों को भ्रामक बताते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया है. किताब में मणिपुर रियासत के भारत के विलय का इतिहास बताया गया है.
असम सरकार ने बराक घाटी में कछार के लखीपुर उप-मंडल के अलावा तिनसुकिया, डिब्रूगढ़, चराईदेव, शिवसागर, जोरहाट, गोलाघाट, कार्बी आंगलोंग और दीमा हसाओ जिलों को अशांत क्षेत्र घोषित करते हुए आफ़स्पा की अवधि छह महीने के लिए बढ़ा दी है.
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा कि राज्य सरकार नशीली दवाओं के ख़तरे की जांच के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रवर्तन ब्यूरो और राजस्व खुफिया निदेशालय जैसी केंद्रीय एजेंसियों के साथ नियमित समन्वय बनाए हुए है.
केंद्र सरकार ने नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश के 12 ज़िलों और दोनों राज्यों के पांच अन्य ज़िलों के कुछ हिस्सों में सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून के तहत ‘अशांत क्षेत्र’ की अवधि छह महीने के लिए और बढ़ा दी है.
मणिपुर की भाजपा सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में कहा है कि राज्य के इतिहास, संस्कृति, परंपरा और भूगोल पर प्रकाशित कुछ पुस्तकों की सामग्री तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करती है. इसलिए, इन किताबों को 'सही जानकारी' के साथ प्रकाशित करने पर निगरानी रखने के लिए एक 15 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है.
‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के तहत संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से कॉमिक बुक ‘अमर चित्र कथा’ ने ‘स्वतंत्रता संग्राम के आदिवासी नेता’ नामक एक संग्रह प्रकाशित किया था, जिसमें ब्रिटिशराज के मणिपुरी सेनानायक पाउना ब्रजवासी की कहानी को भी शामिल किया था. मणिपुर के छात्र संगठनों ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि ब्रजवासी न तो आदिवासी थे और न ही उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था.
दिसंबर 2021 में मोन ज़िले में हुई फायरिंग के मामले में नगालैंड सरकार की एसआईटी ने सेना के टीम कमांडर पर 'जानबूझकर चूक' का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके द्वारा लिए गए हिंसक क़दम और चूक को छिपाने के प्रयासों के चलते तेरह आम आदिवासियों की जान गई.
असम जातीय परिषद ने कहा कि पूर्वोत्तर में उग्रवाद की समस्या ख़तरनाक रूप में है. इस साल ही ढाई सौ से अधिक युवा प्रतिबंधित विद्रोही समूह उल्फा में शामिल हुए हैं. ऐसे में डर है कि चार साल की सेवा के अंत में रोजगार नहीं मिला तो कुछ अग्निवीर उग्रवादी संगठनों में शामिल हो जाएंगे.
दिसंबर 2021 में मोन ज़िले के ओटिंग और तिरु गांवों के बीच सेना की गोलीबारी में 14 नागरिकों की मौत हो गई थी. नगालैंड पुलिस ने मेजर रैंक के एक अधिकारी समेत 21 पैरा स्पेशल फोर्स के 30 जवानों के ख़िलाफ़ आरोपपत्र दायर करते हुए कहा कि उन्होंने मानक संचालन प्रक्रिया और नियमों का पालन नहीं किया था, न ही फायरिंग से पहले नागरिकों की पहचान सुनिश्चित की गई थी.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े साप्ताहिक ‘पाञ्चजन्य’ और ‘ऑर्गेनाइजर’ के एक कार्यक्रम में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि बच्चों को मदरसों में प्रवेश देना मानवाधिकारों का उल्लंघन है. किसी भी धार्मिक संस्थान में प्रवेश उस उम्र में होना चाहिए, जिसमें वे अपने फ़ैसले खुद ले सकें.
सेना के पूर्वी कमान के प्रमुख पी. कलीता ने कहा कि यह ग़लत पहचान और निर्णय की त्रुटि का मामला था. सेना की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी पूरी हो गई है और अभी इसकी पड़ताल की जा रही है. हमें एसआईटी की रिपोर्ट भी मिली है और दोनों का विश्लेषण किया जा रहा है. नगालैंड के मोन जिले में पिछले साल दिसंबर में सैनिकों की गोलीबारी में 14 नागरिकों के मौत हो गई थी.
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में असम एनआरसी की अंतिम सूची अगस्त 2019 में प्रकाशित हुई थी, जिसमें 19 लाख से अधिक लोगों के नाम शामिल नहीं थे. इस सूची के प्रकाशन के बाद से ही राज्य समन्वयक हितेश देव शर्मा और राज्य की भाजपा सरकार इस पर सवाल उठाते रहे हैं.
गौहाटी हाईकोर्ट की खंडपीठ ने हाल ही में 12 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया. खंडपीठ ने कहा कि ‘रेस ज्यूडिकाटा’ का सिद्धांत यानी किसी विषय पर अंतिम निर्णय दिए जाने के बाद मामला संबंधित पक्षों द्वारा दोबारा नहीं उठाया जा सकता, असम राज्य के विदेशी न्यायाधिकरणों पर भी लागू होता है.