अरुणाचल प्रदेश से सांसद तापिर गाओ ने 19 जनवरी को कहा कि पीएलए ने भारतीय क्षेत्र के अपर सियांग ज़िले से 17 वर्षीय एक किशोर का अपहरण किया है. भारतीय सेना के पीएलए से किशोर का पता लगाने और प्रोटोकॉल के अनुसार उसे वापस करने के लिए कहने पर चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उन्हें घटना की जानकारी नहीं है.
अरुणाचल प्रदेश से भाजपा सांसद तापिर गाओ ने कहा कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने राज्य के अपर सियांग ज़िले से 17 वर्षीय एक किशोर का अपहरण कर लिया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि हम मिराम तरोन के परिवार के साथ हैं और उम्मीद नहीं छोड़ेंगे, हार नहीं मानेंगे. प्रधानमंत्री की बुज़दिल चुप्पी ही उनका बयान है- उन्हें फर्क नहीं पड़ता!
आफ़स्पा के विरोध और सुरक्षाबलों की गोलीबारी में मारे गए 14 आम नागरिकों के लिए इंसाफ़ की मांग करते हुए सैकड़ों की संख्या में नगा लोगों ने नगालैंड के दीमापुर शहर से 70 किलोमीटर दूर राज्य की राजधानी कोहिमा तक पैदल मार्च किया.
बीते एक जनवरी को एक सरकारी चीनी मीडिया के पत्रकार ने अपने वीडियो ट्वीट में दावा किया था कि गलवान घाटी में चीनी राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया है. लद्दाख में स्थित ये वही घाटी है, जहां जून 2020 में चीन और भारत के सैनिकों के बीच ख़ूनी संघर्ष हुआ था. वीडियो में कुछ चीनी सैनिकों को किसी पहाड़ी इलाके में अपना राष्ट्रीय ध्वज फ़हराते हुए दिखाया गया है. हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है कि ये गलवान
कांग्रेस ने अरुणाचल के स्थानों के नाम बदलने के चीन के क़दम पर प्रधानमंत्री की ‘चुप्पी’ पर सवाल उठाया
कांग्रेस ने मोदी सरकार को ‘कमज़ोर’ बताया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भारत की क्षेत्रीय अखंडता के लिए चीनी ख़तरों पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया है. चीन ने भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में 15 और स्थानों के लिए चीनी अक्षरों, तिब्बती और रोमन वर्णमाला के नामों की घोषणा की है. चीन अरुणाचल के दक्षिण तिब्बत होने का दावा करता है.
राज्य से आफ़स्पा हटाने को लेकर दर्ज एक स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई के दौरान मणिपुर मानवाधिकार आयोग ने कहा कि यह क़ानून सशस्त्र बलों को क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने के नाम पर गोली मारने तक का अधिकार देता है. यह संविधान के तहत मिले जीवन के अधिकार का उल्लंघन है.
केंद्र सरकार ने नगालैंड की स्थिति को अशांत और ख़तरनाक क़रार देते हुए विवादास्पद आफ़स्पा के तहत छह और महीने के लिए पूरे राज्य को अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया है. सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 14 नागरिकों की मौत के बाद नगालैंड से विवादास्पद आफ़स्पा को वापस लेने की संभावना की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति के गठन के कुछ दिनों बाद केंद्र द्वारा यह क़दम उठाया गया है.
चीन ने भारत के अरुणाचल प्रदेश में 15 और स्थानों के लिए चीनी अक्षरों, तिब्बती और रोमन वर्णमाला के नामों की घोषणा की है. चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताता है. भारत ने इसे ख़ारिज करते हुए कहा कि यह राज्य हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है और हमेशा रहेगा, क्योंकि गढ़े गए नामों से यह तथ्य नहीं बदलेगा.
गृह मंत्रालय ने कहा है कि केंद्र सरकार की राय है कि पूरे नगालैंड राज्य का क्षेत्र इतनी अशांत और ख़तरनाक स्थिति में है कि नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सशस्त्र बलों का उपयोग आवश्यक है. बीते चार और पांच दिसंबर को मोन ज़िले में सेना की गोलीबारी में कम से कम 14 नागरिकों के मौत के बाद आफ़स्पा को वापस लेने की मांग हो रही है.
सेना की गोलीबारी में 14 लोगों की मौत के बाद बढ़े तनाव के मद्देनज़र केंद्र ने दशकों से नगालैंड में लागू विवादास्पद आफ़स्पा हटाने की संभावना पर गौर करने के लिए भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त विवेक जोशी की अगुवाई ने पांच सदस्यीय समिति गठित की है, जो 45 दिन में अपनी रिपोर्ट देगी.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया द्वारा गठित फैक्ट फाइंडिंग टीम ने त्रिपुरा पुलिस और प्रशासन पर हिंसा से निपटने में ‘ईमानदारी की कमी’ प्रदर्शित करने का आरोप लगाया है. टीम की रिपोर्ट में कहा गया कि यह दिखाने के लिए बड़ी कॉन्सपिरेसी थ्योरी तैयार की गई कि सांप्रदायिक हिंसा को उजागर करने वाली स्वतंत्र पत्रकारिता एक चुनी गई सरकार को ‘राज्य के दुश्मनों द्वारा कमज़ोर करने’ का एक प्रयास है.
नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने कहा कि हर बार हमारा यही रुख़ रहा है कि नगालैंड को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित करने की कोई ज़रूरत या औचित्य नहीं है. लेकिन हर बार हमारे विचारों और हमारी आपत्तियों को नज़रअंदाज़कर दिया जाता है. वहीं असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा है कि उनका राज्य आफ़स्पा के दायरे में बना रहेगा और इसे वापस लेने का निर्णय तभी लिया जाएगा जब मौजूदा शांति लंबे समय तक बनी रहे.
इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, नगालैंड, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के समाचार.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि आयोग सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम यानी आफ़स्पा की वैधता या संवैधानिकता की पड़ताल नहीं कर सकता या इस पर बहस नहीं कर सकता. अधिनियम लागू करने या वापस लेने की आवश्यकता की समीक्षा सरकार करेगी.
एडिटर्स गिल्ड मणिपुर और मणिपुर हिल्स जर्नलिस्ट्स यूनियन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सरकारी विज्ञापनों के बिलों का भुगतान नहीं करने पर विरोधस्वरूप 16 दिसंबर को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर कोई न्यूज़ बुलेटिन या बहस का कार्यक्रम नहीं होगा, जबकि 17 दिसंबर को प्रिंट मीडिया कोई प्रकाशन नहीं करेगा.