बक्सर सिविल कोर्ट द्वारा 6 जनवरी को जारी एक आदेश में पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के निर्देश का हवाला देते हुए अदालत के कर्मचारियों को सर्किट हाउस के पास मंदिरों की सफाई के लिए कहा गया था. आदेश पर सवाल उठने के बाद इसे लिपकीय त्रुटि बताते हुए 10 जनवरी को वापस लिया गया, पर तब तक कर्मचारी मंदिर साफ कर चुके थे.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इन दिनों शराबबंदी को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए राज्यव्यापी यात्रा पर हैं. नीतीश यह यात्रा ऐसे समय में कर रहे हैं, जब हाल ही में चीफ जस्टिस एनवी रमना ने किसी क़ानून का मसौदा तैयार करने में दूरदर्शिता की कमी के उदाहरण के रूप में बिहार के शराबबंदी क़ानून का हवाला दिया है.
मामला मधुबनी ज़िले का है, जहां बीत हफ्ते एक मामले की सुनवाई के दौरान दो पुलिसकर्मी अदालत कक्ष के भीतर दाख़िल हुए और झंझारपुर के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अविनाश कुमार पर कथित तौर पर बंदूक तान दी और उन पर हमला कर दिया.
पटना हाईकोर्ट ने कोविड-19 प्रबंधन को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. अदालत ने कहा कि जो भी कारण हो, बिहार सरकार कोविड-19 से मरने वालों की संख्या को सार्वजनिक करने को लेकर अनिच्छुक है, जो सही नहीं है. हमारे नज़रिये से सरकार का यह रवैया न ही किसी क़ानून द्वारा संरक्षित है और न ही सुशासन के स्थापित सिद्धांतों के अनुरूप है.
संक्रमण और मौतों के आंकड़े छिपाने के आरोप लगने के बाद पिछले महीने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने नीतीश कुमार सरकार से महामारी की दूसरी लहर के दौरान गांवों में कोविड-19 से हुईं मौतों का हिसाब देने को कहा था. न्यायालय ने ज़िलावार मौतों के आंकड़े भी पेश करने को कहा था.
पटना हाईकोर्ट ने ने बिहार सरकार को लॉकडाउन उल्लंघन के नाम पर पुलिस की कथित बर्बरता को तुरंत रोकने का निर्देश दिया. अदालत ने पुलिस द्वारा की गई कथित ज़्यादती पर चिंता जताने के साथ ही संबंधित अधिकारियों को इसकी जांच करने का निर्देश दिया है.
हाईकोर्ट ने बिहार की नीतीश कुमार सरकार से ज़िलावार मौतों का आंकड़ा पेश करने को कहा है. साथ ही सरकार से पहली लहर के दौरान गांवों में लौटे लगभग 40 लाख प्रवासियों की स्थिति रिपोर्ट के अलावा बक्सर में गंगा नदी में तैरती पाई गईं संदिग्ध कोरोना संक्रमित लाशों पर जवाब दाख़िल करने को कहा है.
बिहार में कोविड मामलों की वर्तमान वृद्धि को रोकने के लिए राज्य सरकार की किसी भी व्यापक कार्य योजना के अभाव पर नाराज़गी जताते हुए पटना हाईकोर्ट ने कहा कि अगर अदालत इस नतीजे पर पहुंचती है कि कोविड रोगियों को ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी के कारण मरने दिया जा रहा है, तो वह न्यायिक समीक्षा की अपनी शक्ति का प्रयोग करेगी.
पटना हाईकोर्ट पिछले कई वर्षों से एक आफ्टर केयर होम में रखे गए पटना रेलवे स्टेशन से गिरफ़्तार दो महिला बांग्लादेशी प्रवासियों- मरियम ख़ातून और मौसमी ख़ातून की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. हाईकोर्ट ने डिटेंशन सेंटर और अवैध प्रवासियों के मुद्दे पर केंद्र और बिहार सरकार से हलफ़नामा दाख़िल करने को कहा है.
मामला बिहार में 2007 के बाद से हुई साढ़े तीन लाख से अधिक शिक्षकों की नियुक्तियों से संबंधित है. सतर्कता विभाग 2014 से फ़र्ज़ी डिग्री के आधार पर नियुक्तियों के आरोपों की जांच कर रहा है. अब तक राज्य का शिक्षा विभाग 1,10,418 शिक्षकों का विवरण देने में विफल रहा है.
ग्राउंड रिपोर्ट: बिहार के क़रीब चार लाख से अधिक नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त, पूर्ण वेतनमान जैसी विभिन्न मांगों को लेकर लंबे समय से नीतीश सरकार से ठनी हुई है. अब शिक्षक संघ और शिक्षकों का कहना है कि वे इस चुनाव में सरकार से आर पार की लड़ाई करने जा रहे हैं.
अदालत में भ्रष्टाचार को लेकर सीबीआई जांच और न्यायिक तंत्र पर तीखी टिप्पणी वाला आदेश पारित करने पर मुख्य न्यायाधीश ने जस्टिस राकेश कुमार के समक्ष लंबित सभी मामले को तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया था.
दो बार जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे चंद्रशेखर की 31 मार्च 1997 को बिहार के सीवान शहर में एक जनसभा को संबोधित करने के दौरान हत्या कर दी गई थी.
पटना हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2017 में नियोजित शिक्षकों को नियमित शिक्षकों के बराबर वेतन देने का आदेश दिया था, जिसे बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर शहर में सेवा संकल्प एवं विकास समिति नाम के एनजीओ द्वारा संचालित बालिका गृह में रहने वाली लड़कियों के साथ पिछले साल यौन शोषण का मामला सामने आया था. एनजीओ का संचालक ब्रजेश ठाकुर मुख्य आरोपी है.