लोकसभा चुनाव: क्या उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता ख़ुद भाजपा के लिए चुनौती बन सकती है?

समानता के नाम पर पुष्कर सिंह धामी सरकार की जिस यूसीसी का ढोल सारे देश में पीटा जा रहा है उसमें 'निवासी' को लेकर जो परिभाषा दी गई है उसने नया बवाल खड़ा कर दिया है और इस पर सत्तारूढ़ दल को जवाब देते नहीं बन रहा है.

समान नागरिक संहिता के बारे में क्या सोचते हैं उत्तराखंड के लोग

वीडियो: उत्तराखंड विधानसभा ने समान नागरिक संहिता विधेयक पारित कर दिया है, जो राज्य के आदिवासी समुदाय को छोड़कर सभी समुदायों पर लागू होगा. इस विधेयक में विवाह, तलाक़ समेत लिव-इन रिलेशनशिप के लिए भी विभिन्न प्रावधान दिए गए हैं. इस बारे में राजधानी देहरादून के लोगों से बातचीत.

विधेयक से कुछ समुदायों को बाहर रखा गया है तो वह समान नागरिक संहिता कैसे हुई: उत्तराखंड कांग्रेस

वीडियो: उत्तराखंड में भाजपा नेतृत्व वाली पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने हाल ही में समान नागरिक संहिता विधेयक विधानसभा में पारित कर दिया. इस मुद्दे को लेकर उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा से द वायर के अतुल होवाले की बातचीत.

क्या उत्तराखंड के ज्वलंत मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड का सहारा लिया गया है?

उत्तराखंड के सुदूर गांवों, तहसीलों और क़स्बों में आम आदमी और लिखे-पढ़े लोग भी पूरी तरह भ्रमित हैं कि बेशुमार समस्याओं से घिरे इस छोटे-से प्रदेश में अफ़रा-तफ़री में पारित हुए विवादास्पद यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल से उनकी ज़िंदगी किस तरह से बदलेगी.

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता, निशाने पर मुसलमान

वीडियो: उत्तराखंड विधानसभा में पुष्कर सिंह धामी की सरकार द्वारा पेश समान नागरिक संहिता विधेयक पारित कर दिया गया है. इसे लेकर द वायर की ​सीनियर ​एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.

केंद्र ने जनता के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए नागरिक संहिता की ‘गुगली’ डाली है: सचिन पायलट

कांग्रेस नेता और राजस्थान के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने समान नागरिक संहिता पर छिड़ी बहस के संबंध में कहा है कि संसद या स्थायी समिति में इस पर कोई ठोस प्रस्ताव नहीं है और इसे सिर्फ़ भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा ‘राजनीतिक टूल’ के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है.

समान नागरिक संहिता: आज़ाद ने केंद्र को चेताया, कहा- यह किसी भी सरकार के लिए ठीक नहीं होगा

पूर्व केंद्रीय मंत्री ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि समान नागरिक संहिता को लागू करना अनुच्छेद 370 को रद्द करने जितना आसान नहीं है. इसमें सभी धर्म शामिल हैं. एक साथ इन सभी लोगों को नाराज़ करना, किसी भी सरकार के लिए अच्छा नहीं होगा.

नागरिक संहिता पर मुस्लिम लॉ बोर्ड ने कहा- बहुसंख्यकवाद अल्पसंख्यक अधिकारों का हनन नहीं कर सकता

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भारत के विधि आयोग को पत्र लिखकर समान नागरिक संहिता के प्रति अपना विरोध दोहराया है. पत्र में कहा गया है कि बहुसंख्यकवादी नैतिकता को एक संहिता के नाम पर व्यक्तिगत क़ानून, धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक अधिकारों का हनन नहीं करना चाहिए.

समान नागरिक संहिता संविधान की भावना के ख़िलाफ़: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि देश के संविधान में बुनियादी अधिकारों में हर व्यक्ति को अपने धर्म पर अमल करने की आज़ादी दी गई है. इसलिए हुकूमत से अपील है कि वह आम नागरिकों की मज़हबी आज़ादी का एहतराम करे, क्योंकि समान नागरिक संहिता लागू करना अलोकतांत्रिक होगा.

समान नागरिक संहिता लागू करने पर कोई निर्णय नहीं लिया गया: सरकार

केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह भी बताया कि 22वां विधि आयोग समान नागरिक संहिता से संबंधित मामले पर विचार कर सकता है. उन्होंने बताया कि सरकार ने भारत के 21वें विधि आयोग से अनुरोध किया था, लेकिन इसकी अवधि 31 अगस्त 2018 को समाप्त हो गई.

केंद्रीय मंत्री ने संसद में कहा- राज्य सरकारें समान नागरिक संहिता पर क़ानून लागू कर सकती हैं

राज्यसभा में माकपा सांसद जॉन ब्रिटास ने राज्य सरकारों के समान नागरिक संहिता संबंधी क़ानून बनाने को लेकर प्रश्न किया था. इस पर केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि समान नागरिक संहिता बनाए रखने के प्रयास में राज्यों को उत्तराधिकार, विवाह, तलाक़ जैसे मुद्दों से संबंधित व्यक्तिगत क़ानून बनाने का अधिकार है.

विपक्ष के विरोध के बीच भाजपा सदस्य का समान नागरिक संहिता संबंधी निजी विधेयक राज्यसभा में पेश

विपक्षी सदस्यों ने इस विधेयक को संविधान के ख़िलाफ़ बताते हुए कहा कि इससे देश की विविधता की संस्कृति को नुकसान पहुंचेगा. उन्होंने कहा कि इससे देश के सामाजिक ताने-बाने को क्षति पहुंचने की आशंका है. उन्होंने भाजपा सदस्य किरोड़ीमल मीणा मीणा से यह निजी विधेयक वापस लेने का अनुरोध किया.

दिल्ली हाईकोर्ट ने किया समान नागरिक संहिता का समर्थन, कहा- आधुनिक समाज एक जैसा हो रहा है

एक तलाक़ के मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि विभिन्न समुदायों, जातियों या धर्मों से जुड़े विवाह करने वाले युवाओं को विभिन्न पर्सनल लॉ, विशेषकर विवाह और तलाक़ के संबंध में टकराव के कारण उत्पन्न होने वाले मुद्दों से जूझने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए.