न्यूज़क्लिक पर हमला: क्या कहता है ‘राजदंड’ का यह निर्मम प्रहार?

देखते ही देखते संविधान व क़ानून दोनों का अनुपालन कराने की शक्तियां ऐसी राजनीति के हाथ में चली गई हैं, जिसका ख़ुद लोकतंत्र में विश्वास बहुत संदिग्ध है और जो निर्मम और अन्यायी होकर उसे अपने कुटिल मंसूबों और सुविधाओं के लिए इस्तेमाल कर रही है.

‘न्यूज़क्लिक’ को जनता को बाख़बर रखने के साथ ख़बरदार करने की सज़ा मिल रही है

सरकार के जिस कदम से देश का नुक़सान हो, उसकी आलोचना ही देशहित है. 'न्यूज़क्लिक’ की सारी रिपोर्टिंग सरकार के दावों की पड़ताल है लेकिन यही तो पत्रकारिता है. अगर सरकार के पक्ष में लिखते, बोलते रहें तो यह उसका प्रचार है. इसमें पत्रकारिता कहां है?

न्यूज़क्लिक केस: दिल्ली पुलिस की एफआईआर में चीनी फर्म शाओमी, वीवो का नाम, अज्ञात वकील का ज़िक्र

एफआईआर में न्यूज़क्लिक के संपादक में प्रबीर पुरकायस्थ, गौतम नवलखा और अमेरिकी कारोबारी नेविल रॉय सिंघम के ख़िलाफ़ यूएपीए की पांच धाराएं लगाई गई हैं. साथ ही शाओमी और वीवो द्वारा 'अवैध फंडिंग' और किसी 'गौतम भाटिया' द्वारा इन टेलीकॉम कंपनियों के 'क़ानूनी मामलों में बचाव' की बात कही गई है. कंपनियों से जुड़े अदालती रिकॉर्ड में किसी गौतम भाटिया के उनके वकील होने के प्रमाण नहीं हैं.

दिल्ली पुलिस ने न्यूज़क्लिक के संपादक द्वारा एफआईआर कॉपी मांगने की याचिका का विरोध किया

न्यूज़क्लिक के संस्थापक व संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और पोर्टल के एचआर विभाग के प्रमुख अमित चक्रवर्ती को मंगलवार को यूएपीए के तहत गिरफ़्तार किया गया था, लेकिन पुलिस ने उनके वकीलों को एफआईआर की प्रति देने से इनकार कर दिया. इसके बाद उन्होंने अदालत का रुख़ किया है.

एफआईआर आधारित ख़बर पर मानहानि का मुक़दमा पत्रकार की आवाज़ को दबाना है: कोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने एक मीडिया संस्थान के ख़िलाफ़ दर्ज मानहानि के मुक़दमे की सुनवाई में कहा कि एफआईआर पर आधारित ख़बर पर मानहानि की शिकायत दर्ज कराना रिपोर्टर को चुप कराने और आरोपियों के ख़िलाफ़ छपी ख़बर को जबरन वापस लेने का प्रयास करवाने के अलावा और कुछ नहीं है.