2013-23 के बीच गैर-चुनावी बॉन्ड से पार्टियों को 7,726 करोड़ का चंदा मिला, क़रीब 65% भाजपा को

राजनीतिक दलों को 10 सालों में मिले कुल 7,726 करोड़ रुपये के चंदे में से भाजपा को लगभग 5,000 करोड़ रुपये या 64.7% मिले, उसके बाद कांग्रेस (10.7%), भारत राष्ट्र समिति (3.3%) और आम आदमी पार्टी (3.1%) का नंबर आता है.

राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को प्राप्त होने वाला लगभग 60% धन ‘अज्ञात’ स्रोतों से होता है: एडीआर

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, 2022-23 में छह राष्ट्रीय दलों द्वारा आय के रूप में घोषित 3,076.88 करोड़ रुपये में से 59% से अधिक अज्ञात स्रोतों से आया था. इसमें से चुनावी बॉन्ड से होने वाली आय का हिस्सा 1,510.61 करोड़ रुपये या 82.42% था. इसका बड़ा हिस्सा भाजपा को मिला.

राष्ट्रीय दलों को 2022-23 में मिले कुल कॉरपोरेट चंदे का 90 प्रतिशत भाजपा को मिला: एडीआर

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2022-23 में राष्ट्रीय दलों द्वारा घोषित कुल प्राप्त दान (20,000 रुपये से अधिक) की राशि 12,167 चंदों से 850.438 करोड़ रुपये थी, जिसमें से भाजपा को 719.858 करोड़ रुपये मिले. भाजपा को 2022-23 में चुनावी बॉन्ड से 1,294.14 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जो कांग्रेस से सात गुना अधिक था.

कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड से सभी दलों की तुलना में भाजपा को तीन गुना अधिक धन मिलने पर सवाल उठाया

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री मोदी पारदर्शिता की बात करते हैं, लेकिन चुनावी बॉन्ड राजनीतिक फंडिंग की सबसे अपारदर्शी प्रणाली है. इसके ज़रिये भाजपा ने विधायक ख़रीदने और सरकारें गिराने का काम किया.