उत्तर-पश्चिम दिल्ली लोकसभा सीट से टिकट नहीं मिलने से नाराज़ उदित राज ने भाजपा छोड़ दी है. उनकी जगह गायक हंसराज हंस को इस सीट से टिकट दिया गया है.
देश में चुनाव हो रहे हैं और लोकतांत्रिक अधिकारों को लेकर चिंताएं गहराती जा रही हैं. लोग बदहाल ज़िंदगियां जी रहे हैं, बीमारी, भूख, अत्याचार, दुर्घटना और हिंसक हमलों में मारे जा रहे हैं. अपमानित किए जा रहे हैं. उनके अधिकार दिन-ब-दिन कमज़ोर किए जा रहे हैं.
उत्तर-पश्चिम दिल्ली लोकसभा सीट से टिकट न मिलने पर नाराज़ भाजपा सांसद उदित राज ने पार्टी छोड़ने की बात कही. निर्दलीय लड़ सकते हैं चुनाव.
बिहार के मधेपुरा लोकसभा पर यादव बिरादरी का प्रभुत्व है. यहां एनडीए की तरफ से जदयू नेता दिनेश चंद्र यादव मैदान में हैं जबकि महागठबंधन ने शरद यादव को मैदान में उतारा है, वहीं पप्पू यादव निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.
चुनावी बातें: चौधरी चरण सिंह ने एक चुनावी सभा में मतदाताओं से कहा था कि अगर उनकी पार्टी का प्रत्याशी चारित्रिक रूप से पतित हो या शराब पीता हो, तो वे उसे हराने में संकोच न करें.
चुनावी बातें: सपा-बसपा के पहले गठबंधन के समय उत्तर प्रदेश विधानसभा के मध्यावधि चुनाव में जनता दल ने अपने प्रचार की ज़िम्मेदारी लालू प्रसाद यादव के कंधों पर डाली थी.
चुनावी बातें: देश की राजनीति में एक समय ऐसा भी था जब सादगी हमारे नेताओं के बीच एक स्थापित परंपरा हुआ करती थी.
बिहार में ‘सन ऑफ मल्लाह’ के नाम से मशहूर मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी साल 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए के साथ थी. इस बार मुकेश साहनी महागठबंधन का हिस्सा हैं.
भाजपा और कांग्रेस दोनों के घोषणा-पत्र में कश्मीर को लेकर वादे किए गए हैं. जहां भाजपा ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ा, वहीं कांग्रेस ने कश्मीर समस्या के समाधान की बात की. मीडिया बोल की इस कड़ी में उर्मिलेश कश्मीर को लेकर किए इन वादों पर फिल्मकार संजय काक और वरिष्ठ पत्रकार सैयद नज़ाकत हसन से चर्चा कर रहे हैं.
मोदी की बची-खुची राजनीतिक कामयाबी यही है कि विपक्ष के नेता और उनकी सरकारें भी फेल रही हैं. फेल होने वाला हमेशा घर में बताता है कि सब फेल हुए हैं मगर मोहल्ले को बताता है कि वह पास हुआ है, पर रिज़ल्ट किसी को नहीं दिखाता. देश के 50 फीसदी से अधिक छात्रों की यही कहानी आज नरेंद्र मोदी की भी कहानी है.
जब कोई फल पक जाता है, तब उसे तोड़ने के लिए सभी लपक पड़ते हैं. उसी तरह आज राजनीति में आंबेडकर चहेते हो गए हैं, लेकिन आंबेडकर दिखने में चाहे जितने आकर्षक हों, अपनाने में उतने ही कठिन हैं. वर्तमान राजनीतिक दल इस बात को जानते हैं इसीलिए वे 14 अप्रैल और 6 दिसंबर पर उनका नाम तो लेते हैं लेकिन उनकी वैचारिक तेजस्विता से डरते हैं.
मेंहदावल विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं की बैठक के दौरान भाजपा विधायक राकेश बघेल और सांसद शरद चंद त्रिपाठी के समर्थकों ने एक-दूसरे के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी. सांसद शरद चंद त्रिपाठी ने हाल में जिला योजना की बैठक के दौरान विधायक बघेल को जूते से मारा था.
पुस्तक समीक्षा: अपनी किताब ‘बदलता गांव बदलता देहात: नयी सामाजिकता का उदय’ में सत्येंद्र कुमार ग्रामीण भारतीय जीवन को देखने की बनी-बनाई समझ और उससे पैदा हुई बहसों से परे जाकर उसे उसके रोज़मर्रा के जीवन में समझने की कोशिश करते हैं.
वीडियो: अभिनेता, लेखक और नाटककार मानव कौल और ‘अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है’ फिल्म के निर्देशक सौमित्र रानाडे से प्रशांत वर्मा की बातचीत.
आखिर टाटा, भारती एयरटेल और ज़ी समूह जैसे एक से अधिक डीटीएच ऑपरेटर्स सिर्फ एक स्पेशल सर्विस चैनल के प्रति इतनी ज़्यादा उदारता क्यों दिखा रहे हैं?