अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन दावा करते हैं कि उनकी हुकूमत का केंद्रीय उसूल ‘लोकतंत्र की रक्षा’ है. यह बात सराहने लायक़ है, लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के समय वॉशिंगटन में जो कुछ हुआ वह ठीक इसका उल्टा था. अमेरिकी हुक्मरान जिस शख़्स के आगे बिछे हुए थे, उसने भारतीय लोकतंत्र को बहुत व्यवस्थित तरीक़े से कमज़ोर किया है.
वीडियो: हाल ही में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने सब्ज़ियों की कीमत में वृद्धि के लिए राज्य के मिया मुस्लिम समुदाय को ज़िम्मेदार ठहराया है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि वह व्यक्तिगत रूप से फ्लाईओवर के नीचे सब्ज़ी मंडियों को ख़ाली कराएंगे, ताकि ‘असमिया लड़कों’ को रोज़गार के अवसर मिल सकें.
बीते कुछ महीनों में ऐसे छोटे-बड़े क़रीब दर्जनभर ठग सामने आए हैं जो पीएमओ या गृह मंत्रालय के नाम पर चूना लगा रहे हैं. यह कुछ नेताओं के इर्द-गिर्द केंद्रित कामकाज की अपारदर्शी शैली का नतीजा है, जिसने सत्ता के धंधेबाजों की तरह-तरह की प्रजातियों के पनपने के लिए मुफ़ीद माहौल तैयार किया है.
साल 2002 में गठित एसबीएसपी को पूर्वी उत्तर प्रदेश में राजभर समुदाय से काफी समर्थन प्राप्त है. 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव के समय यह पार्टी सपा के साथ गठबंधन में थी. उससे पहले एसबीएसपी ने एनडीए के तहत भाजपा के साथ गठबंधन में 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा था.
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म ख़ान पर आरोप था कि उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान एक जनसभा में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रामपुर के तत्कालीन ज़िला मजिस्ट्रेट के ख़िलाफ़ भड़काऊ भाषण दिया था. पिछले छह महीने में यह तीसरा मामला है, जिसमें आज़म ख़ान को सज़ा हुई है.
सब्ज़ियों की कीमत में वृद्धि को लेकर पूछे एक सवाल के जवाब में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि ये मिया विक्रेता हैं, जो ऊंची दरों पर सब्ज़ियां बेच रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि वह फ्लाईओवर के नीचे सब्ज़ी मंडियों को ख़ाली कराएंगे, ताकि ‘असमिया लड़कों’ को रोज़गार के अवसर मिल सकें.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: देश में घृणा, परस्पर अविश्वास, भेदभाव, अन्याय, झूठ, अफ़वाह सभी में अद्भुत विस्तार हुआ है. राजनीति, मीडिया, धर्म, सामाजिक आचरण सभी मर्यादाहीन होने में कोई संकोच नहीं करते. राजनीति की सर्वग्रासिता, सार्वजनिक ओछापन-टुच्चापन लगभग अनिवार्य माने जाने लगे हैं.
किसी अपराध में दोषी पाए गए सदन के सदस्यों पर आजीवन प्रतिबंध की मांग करने वाली याचिका सुनते हुए कोर्ट ने कहा कि जब विधायिका छह साल के प्रतिबंध की बात करती है तो हम आजीवन प्रतिबंध की बात कैसे कह सकते हैं. कोर्ट ने जोड़ा कि अदालतें दोषी सांसदों/विधायकों के लिए अयोग्यता की अवधि निर्दिष्ट नहीं कर सकतीं.
वीडियो: भारतीय उपमहाद्वीप में रेडियो के इतिहास को इतिहासकार और कोलंबिया यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर इज़ाबेल वाकुहा एलोंसो ने 'रेडियो फॉर द मिलियंस: हिंदी-उर्दू ब्रॉडकास्टिंग अक्रॉस बॉर्डर' किताब में दर्ज किया है. उनसे इस किताब, आज़ादी से पहले और बाद की प्रसार नीतियों और उन पर श्रोताओं की प्रतिक्रियाओं को लेकर बातचीत.
पश्चिम बंगाल में ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और ज़िला परिषद की 73,887 सीटों पर शनिवार को मतदान हुआ था. भाजपा, माकपा और कांग्रेस सहित विपक्ष ने बड़े पैमाने पर चुनावी कदाचार का आरोप लगाया है. भाजपा ने हिंसा के लिए सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को ज़िम्मेदार ठहराते हुए राष्ट्रपति शासन की मांग की है.
वीडियो: महाराष्ट्र में 23 नगर निगम, 26 ज़िला परिषद और 385 नगर पंचायतों के चुनाव एक साल से अधिक समय से लंबित हैं. इतना ही नहीं नवी मुंबई, कोल्हापुर, ठाणे, वसई, विरार, कल्याण डोंबिवली के चुनावों में तो तीन साल की देरी हो चुकी है.
समान नागरिक संहिता के संबंध में नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने सवाल उठाते हुए पूछा कि इस तरह की कवायद से किसे फायदा होगा. यह अभ्यास निश्चित रूप से ‘हिंदू राष्ट्र’ के विचार से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि ‘हिंदू राष्ट्र’ ही एकमात्र तरीका नहीं हो सकता, जिससे देश प्रगति कर सकता है.
राष्ट्रीय जनता दल के 26वें स्थापना दिवस समारोह में ज़मीन के बदले नौकरी मामले में सीबीआई की चार्जशीट का सीधे तौर पर ज़िक्र किए बिना बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने कहा कि ज़्यादा अन्याय और ज़ुल्म ठीक नहीं है, ज़ुल्म करने वाला ज़्यादा ठहरा नहीं है. जिस दिन आप (नरेंद्र मोदी) सत्ता में नहीं रहेंगे उस दिन आपका क्या होगा.
पुण्यतिथि विशेष: वाराणसी की कोलअसला विधानसभा क्षेत्र से नौ बार विधायक रहे भाकपा नेता ऊदल को बंगले या मंत्री पद के आकर्षण कभी बांधकर नहीं रख सके. स्वतंत्रता सेनानियों के लिए सम्मान पेंशन शुरू हुई तो उन्होंने यह कहकर मना कर दिया कि 'यह जेल जाने, वहां यातनाएं सहने वालों के लिए है. मैं तो कभी गोरी पुलिस के हाथ लगा ही नहीं.'
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हिंदी अंचल में ज़हराब की बाढ़-सी लाने का सोचा-समझा और राजनीतिक रूप से वोट-खींचू अभियान शुरू हो गया है. उसका लक्ष्य बढ़ती विषमताओं, बेरोज़गारी, महंगाई आदि के ज्वलंत मुद्दों से ध्यान हटा सांप्रदायिकता-हिंसा, भेदभाव और सामाजिक समरसता के भंग को बढ़ावा देना है.