कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हम जिस हिंदी समाज में लिखते हैं, जिसके बारे में लिखते हैं और जिससे समझ और संवेदना की अपेक्षा करते हैं वह ज़्यादातर पुस्तकों-लेखकों से मुंहफेरे समाज है. उसके लिए साहित्य कोई दर्पण नहीं है जिसमें वह जब-तब अपना चेहरा देखने की ज़हमत उठाए.
लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के 240 सीटों पर सिमटने और उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से भी पिछड़ने के बाद से राज्य में पार्टी के भीतर मतभेद की ख़बरें लगातार सामने आ रही हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के इशारे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को निशाना बनाया जा रहा है.
शिवसेना नेता रामदास कदम ने भाजपा नेता और महाराष्ट्र के पीडब्ल्यूडी मंत्री रवींद्र चव्हाण को मुंबई-गोवा राजमार्ग की बदहाल स्थिति के लिए ज़िम्मेदार ठहराते हुए इस्तीफ़े की मांग की है. इस पर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पूछा है कि कदम ऐसे बयान देते समय किस गठबंधन सिद्धांत का पालन कर रहे हैं.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: समाज, शिक्षा, धर्म, मीडिया आदि में जो ज़हर फैल गया है वह रातोंरात ग़ायब नहीं हो जाएगा, न हो रहा है. हमारे समय का एक दुखद अंतर्विरोध यह है कि ये शक्तियां अब भी हावी और सक्रिय हैं, उन्हें समर्थन देने वाला पढ़ा-लिखा मध्यवर्ग झांसों-वायदों की गिरफ़्त में है.
कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कथित मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूमि घोटाला मामले में कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया पर मुक़दमा चलाने की मंज़ूरी दी है. सिद्धारमैया ने इसे 'संविधान विरोधी' क़रार देते हुए कहा कि इस पर अदालत में सवाल उठाए जाएंगे.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फ़ारूक़ अब्दुल्ला और अन्य के ख़िलाफ़ ईडी का मामला बीसीसीआई अनुदान के 43.69 करोड़ रुपये के कथित दुरुपयोग के लिए सीबीआई द्वारा दाखिल आरोपपत्र के बाद दर्ज किया गया था. अब्दुल्ला 2001 से 2011 तक जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष थे.
वीडियो: देश के अग्रणी विचारकों में से एक आशीष नंदी का मानना है कि उनके जैसे लोग 2014 के चुनावों के परिणामों का अनुमान नहीं लगा पाए थे. द वायर हिंदी के संपादक आशुतोष भारद्वाज के साथ बातचीत में उन्होंने नरेंद्र मोदी, गोपाल गोडसे और मदनलाल पाहवा के साथ अपने प्रसिद्ध साक्षात्कारों को याद किया.
कभी कभार | अशोक वाजपेयी: स्वतंत्रता के अर्थ में बदलते परिवेश और समय के अनुसार कई और अर्थ जुड़ते रहे. अगर आज विचार करें तो लगेगा कि इस समय का अर्थ प्रमुख रूप से यह है कि हम झूठ-नफ़रत-हिंसा की मानसिकता और राजनीति की ग़ुलामी करने से मुक्त रहें.
पुस्तक समीक्षा: परमजीत सिंह की 'मैं क्यूं जाऊं अपने शहर: 1984 कुछ सवाल, कुछ जवाब' सिख विरोधी दंगों की कुछ अनसुलझी मानवीय और राजनीतिक गुत्थियों को नए सिरे से पेश करती है.
योगी आदित्यनाथ सरकार का नजूल संपत्ति विधेयक विधानसभा से पारित होने के बाद विधान परिषद में तब अटक गया जब इसे समीक्षा के लिए प्रवर समिति के पास भेज दिया गया. इसकी मांग सबसे पहले यूपी भाजपा प्रमुख और एमएलसी भूपेंद्र चौधरी ने की, जिसका समर्थन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने किया.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा मंगलवार को पेश किए गए बजट को 'भेदभावपूर्ण' बताते हुए विपक्ष ने बुधवार को राज्यसभा में सदन की कार्यवाही शुरू होने के कुछ मिनट बाद ही वॉकआउट कर दिया.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व करने का ठेका न तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को, न भाजपा को, न किसी राजनेता को मिला हुआ है. ये सभी स्वनियुक्त ठेकेदार हैं, जिनका सामाजिक आचरण हिंदू धर्म के बुनियादी सिद्धांतों से मेल नहीं खाता.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: दुचित्तेपन से मुक्त होने का आशय यह नहीं है कि हम ख़ुद को संसार में विकसित चिंतन-सृजन आदि से विमुख कर लें और आधुनिकता संपन्न मानकर किसी छद्म आत्मगौरव में इठलाने लगें. दुचित्तेपन से मुक्ति एक दुधारी आलोचना दृष्टि से ही मिल सकती है.
पुस्तक समीक्षा: युवा कहानीकार शहादत के कहानी संग्रह ‘कर्फ़्यू की रात’ की कहानियां अपने परिवेश को न केवल दर्शाती हैं, बल्कि इसमें समय के साथ बदलते हिंदुस्तान की जटिलता, संघर्ष में पिसते नागरिकों की निराशा और जिजीविषा गहराई से दर्ज है.
नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने भाजपा सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मुझे नहीं लगता कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का विचार उचित है. भारत हिंदू राष्ट्र नहीं है, यह बात चुनाव के नतीजों से ही पता चलती है.