असम: ग़रीबी और काम न मिलने से परेशान प्रवासी मज़दूर ने अपनी नवजात बच्ची को बेचा

मामला कोकराझार ज़िले का है. लॉकडाउन के दौरान गुजरात लौटे एक मज़दूर ने आर्थिक तंगी और काम न मिलने से परेशान होकर अपनी 15 दिन की बच्ची को 45 हज़ार रुपये में बेच दिया. पुलिस ने मज़दूर और बच्ची खरीदने वाली महिलाओं को गिरफ़्तार कर लिया है.

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मामला कोकराझार ज़िले का है. लॉकडाउन के दौरान गुजरात लौटे एक मज़दूर ने आर्थिक तंगी और काम न मिलने से परेशान होकर अपनी 15 दिन की बच्ची को 45 हज़ार रुपये में बेच दिया. पुलिस ने मज़दूर और बच्ची खरीदने वाली महिलाओं को गिरफ़्तार कर लिया है.

Kokrajhar Assam

कोकराझार: गरीबी और कोविड-19 संकट के दौरान काम न मिलने से तंग आकर असम में एक प्रवासी मजदूर ने अपनी 15 दिन की बेटी को 45,000 रुपये में बेच दिया।

अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. मानव तस्करी के आरोप में उक्त व्यक्ति और दो महिलाओं को गिरफ्तार किया गया है.

कोकराझार जिले के धनतोला मंडारिया गांव का निवासी दीपक ब्रह्मा हाल ही में गुजरात से लौटा था, जहां वह मजदूरी करता था.

मानव तस्करी के खिलाफ काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन निदान फाउंडेशन के अनुसार दीपक बेरोजगार था और अपने परिवार का भरण-पोषण नहीं कर पा रहा था.

निदान फाउंडेशन के अध्यक्ष दिगंबर नर्जरी ने बताया, ‘ऐसे कठिन समय में दीपक की पत्नी ने दूसरी बेटी को जन्म दिया. दीपक ने महामारी के दौर में नौकरी खोजने की कोशिश की लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी. आजीविका कमाने के सभी साधन बंद होने के बाद उसने नवजात बेटी को बेचने का फैसला लिया.’

नर्जरी ने बताया कि दो जुलाई को  दीपक ने बिना अपनी पत्नी को बताए अपनी बेटी को दो महिलाओं को 45,000 रुपये में बेच दिया।

उसकी पत्नी और गांव वालों ने घटना की जानकारी मिलने पर कोचुगांव पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने कहा, ‘शिकायत मिलने पर पुलिस ने तत्काल कार्रवाई की और बच्ची को बचाया. हमने दीपक को भी गिरफ्तार कर लिया.’

पूछताछ के दौरान दोनों महिलाओं ने कहा कि उन्होंने अपने एक रिश्तेदार के लिए बच्ची को खरीदा था क्योंकि उनके पास बच्चा नहीं है.

दिगंबर नर्जरी ने कहा, ‘हम बच्ची को बचाने के लिए पुलिस का आभारी हैं. लेकिन यह मुद्दा बहुत गंभीर प्रकृति का है क्योंकि कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण गरीब लोगों के पास कोई काम नहीं है. ग्रामीण इलाकों में रहने वालों स्थिति बहुत खराब हो रही है.’

उल्लेखनीय है कि राज्य के बाहर के बड़े शहरों से लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हुए लाखों मजदूर असम में अपने घरों को लौट आए हैं.

हालांकि राज्य सरकार ने घोषणा की थी कि वह महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) तहत रोजगार के अवसर पैदा करेगी. लेकिन कोरोना महामारी के कारण राज्य की सभी आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह से प्रभावित हैं.

इसके अलावा असम बाढ़ की दोहरी मार झेल रहा है. राज्य के 33 में से 26 जिले बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं. करीब 28.32 लाख से अधिक लोग इस जलप्रलय से प्रभावित हुए हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)