छत्तीसगढ़: कोविड-19 की स्थिति चिंताजनक, मुर्दाघर में शवों का ढेर, जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर

मंगलवार को प्रदेश में एक दिन में रिकॉर्ड 15,121 नए संक्रमित मिले हैं, जिसमें सर्वाधिक रायपुर में हैं. अधिकारियों के अनुसार बीते दो दिनों से रायपुर में प्रति दिन 100 शवों का अंतिम संस्कार किया गया है. इस बीच राजधानी के बीआर आंबेडकर अस्पताल के जूनियर डॉक्टर्स पीपीई किट, दस्तानों, मास्क आदि सुविधाओं को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं.

सरकारी और निजी अस्पतालों को महामारी काल में बुज़ुर्गों के इलाज को प्राथमिकता देने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने चार अगस्त 2020 के आदेश में परिवर्तन करते हुए यह बात कही हैं. उस आदेश में शीर्ष न्यायालय ने कोरोना वायरस के जोख़िम को देखते हुए बुज़ुर्ग लोगों को भर्ती एवं इलाज में प्राथमिकता देने का निर्देश केवल सरकारी अस्पतालों को दिया था.

कोरोना संकट में बुज़ुर्गों की देखभाल: राज्यों को हलफ़नामा दाख़िल करने के लिए चार हफ़्ते का समय

शीर्ष अदालत ने बीते चार अगस्त को कोविड-19 महामारी के समय अकेले रह रहे करोड़ों बुज़ुर्गों को वृद्धावस्था पेंशन, आवश्यक दवाएं, सैनिटाइज़र, मास्क तथा अन्य आवश्यक वस्तुएं प्रदान करने का निर्देश दिया था. साथ ही राज्यों से हलफ़नामा दाख़िल करने को कहा था.

बुज़ुर्गों को समय पर पेंशन दें, वृद्धाश्रमों में पीपीई, मास्क दिए जाएं: सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर मांग की गई थी कि महामारी के समय में करोड़ों बुज़ुर्ग अकेले रहे हैं और इस बात के लिए उचित निर्देश जारी किए जाने चाहिए कि पात्र लोगों को समय पर पेंशन मिले.

जम्मू: अंतिम संस्कार के दौरान कोरोना पीड़ित के दो रिश्तेदारों की मौत को लेकर प्रदर्शन

जम्मू में बीते 18 जून को कोरोना वायरस से संक्रमित एक व्यक्ति के अंतिम संस्कार में शामिल होने के दौरान उनके दो रिश्तेदारों की मौत हो गई थी. परिजनों को आरोप है कि दोनों की मौत प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है. भीषण गर्मी के बावजूद उन्हें पीपीई किट पहनाकर एक श्मशान भूमि से दूसरे श्मशान भूमि घुमाया गया. पानी की कमी से उनकी मौत हो गई.

जम्मूः कोरोना संक्रमित के अंतिम संस्कार में दो लोगों की मौत, जांच के आदेश

घटना गुरुवार को उस समय हुई, जब एक 65 वर्षीय कोरोना संक्रमित व्यक्ति के दाह संस्कार के लिए उनके बेटे के साथ परिवार के दो लोग जा रहे थे. बताया गया कि तीनों ने पीपीई किट पहन रखी थी और बेहद गर्मी के चलते वे बेहोश हो गए. इनमें से दो की मौत हो गई, एक अस्पताल में भर्ती है.

महाराष्ट्रः एक कॉटन मास्क के भरोसे कोविड मरीज़ों का रिकॉर्ड जुटा रही हैं आशा कार्यकर्ता

महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच लगातार घर-घर जाकर सर्वे करने वाली आशा कार्यकर्ता पर्याप्त सुरक्षा उपकरण न मिलने के चलते अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं. एक कार्यकर्ता ने बताया कि उन्हें दो महीने पहले एक-एक पीपीई किट दी गई थी, जिसे वे धोकर दोबारा इस्तेमाल कर रही हैं.

कर्नाटकः कांग्रेस ने पीपीई किट ख़रीद में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया

कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समिति के कार्यकारी अध्यक्ष सलीम अहमद का कहना है कि कुछ मंत्रियों पर अपने निकट सहयोगियों की कंपनियों के लिए पीपीई किट और अन्य मेडिकल उपकरणों की सप्लाई के कॉन्ट्रैक्ट लेने के आरोप हैं.

मध्य प्रदेशः पीपीई किट के बजाय प्लास्टिक की शीट पहन काम करते पाए गए डॉक्टर

यह मामला मध्य प्रदेश के अशोक नगर जिले का है. कोरोना संक्रमित युवक के घर पहुंचे चिकित्साकर्मी पीपीई किट के बजाय प्लास्टिक की एक शीट बांधकर गए हुए थे.

आंध्र प्रदेश: पुलिस का निलंबित डॉक्टर को बुरी तरह पीटने का वीडियो सामने आया, अभद्रता का आरोप

पिछले महीने आंध्र प्रदेश सरकार ने इस डॉक्टर को पीपीई किट की कमी के संबंध में शिकायत करने के बाद निलंबित कर दिया था. विजाग पुलिस का आरोप है कि डॉक्टर ने शराब पीकर पुलिस के साथ बुरा बर्ताव किया था.

झारखंड सरकार ने केंद्र से लगाई गुहार, राज्य को नहीं मिल रहे पर्याप्त पीपीई किट, उपकरण और मास्क

झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि केंद्र से एक लाख से ज़्यादा एन-95 मास्क मांगे गए थे लेकिन सिर्फ दस हज़ार मास्क ही दिए गए. 1.34 लाख पीपीई किट की जगह सिर्फ 6,000 किट मिले. साथ ही 300 वेंटिलेटर, 10,000 वीटीएम और थर्मल गन मांगे थे लेकिन अब तक इनमें से कुछ नहीं मिला.

कोरोना: नर्सों द्वारा सुरक्षा उपकरण और मास्क की कमी बताने के बाद त्रिपुरा में एस्मा लागू

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने घोषणा की है कि त्रिपुरा में कोरोना सं​क्रमित लोगों के इलाज के दौरान किसी डॉक्टर या नर्स की मौत पर उनके परिवार वालों को रोज़गार मिलेगा.

कोरोना संकट: जंग की ललकार की नहीं, दोस्ती की पुकार की घड़ी

युद्ध असाधारण परिस्थिति उत्पन्न करता है, जहां समाचार, विचार और सामाजिक आचार सिर्फ सरकारें तय कर सकती हैं. युद्ध में सरकार से सवाल जुर्म होता है और सैनिक से बलिदान की अपेक्षा की जाती है. ऐसे में अगर डॉक्टर ख़ुद को संक्रमण से बचाने की सामग्री की मांग करते हुए काम रोक दें तो वही जनता, जो इनके लिए करतल ध्वनि के कोलाहल का उत्सव मना रही थी, इनके लिए सज़ा की मांग करेगी.