वीडियो: उत्तर प्रदेश के चुनाव नज़दीक आते ही राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ने लगी हैं. जहां एक तरफ़ भाजपा जनता को बता रही है कि अगर अखिलेश यादव वापस आए तो गुंडाराज वापस आ जाएगा तो वहीं अखिलेश यादव ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के ओपी राजभर से हाथ मिलाकर एक नया पासा फेंका है. उत्तर प्रदेश के चुनावी हालात के पर वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान का नज़रिया.
2012 से 2017 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करते समय विधान परिषद एमएलसी के सदस्य रहे सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने अपने इस निर्णय के पीछे का कोई कारण नहीं बताया है. हालांकि उन्होंने ये ज़रूर कहा कि उनके चुनाव लड़ने पर अंतिम फैसला पार्टी करेगी.
2017 के विधानसभा चुनाव से ऐन पहले शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बना ली थी. पिछले हफ़्ते अखिलेश यादव ने भी शिवपाल यादव के दल से गठबंधन के संकेत दिए थे.
पिछले 21 वर्षों में चंदौली सीट के मतदाताओं ने किसी भी पार्टी या प्रत्याशी को लगातार दो बार नहीं चुना है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडे दोबारा जीत दर्ज कर अपनी प्रतिष्ठा बचा पाते हैं या नहीं.
मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन को लेकर अखिलेश पर निशाना साधते हुए कहा कि आख़िर किस आधार पर आधी सीटें बसपा को दी गईं. सपा के ही लोग पार्टी को कमजोर कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले परिवार में समाजवादी पार्टी की कमान को लेकर हुए विवाद के बाद से शिवपाल यादव हाशिये पर चल रहे थे. उन्होंने सपा से अलग होकर समाजवादी सेकुलर मोर्चा नाम का एक संगठन बनाया था.