सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग गोले को 2016 में भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया गया था. 2018 में वे जेल से बाहर आए. इसके बाद उन्हें छह साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए था, पर केंद्र ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के एक महत्वपूर्ण खंड को निरस्त कर दिया, जिससे भाजपा के सहयोगी तमांग मुख्यमंत्री बन सके.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि कहा कि एसीबी का गठन लोकायुक्त को कमज़ोर करने के लिए किया गया था. अदालत का यह आदेश उस घटनाक्रम के बाद आया है जब इसी हाईकोर्ट के एक जज एचपी संदेश ने कहा था कि एसीबी से जुड़े एक भ्रष्टाचार के मामले की सुनवाई के लिए उन्हें तबादले की धमकी मिली थी.
भ्रष्टाचार संबंधी मामलों पर नज़र रखने वाले ‘पीपुल राइट टू इनफॉरमेशन एंड डेवलपमेंट इम्पलीमेंटिंग सोसाइटी ऑफ मिज़ोरम’ और वरिष्ठ नागरिक संघ ‘मिज़ोरम उपा पाउल’ ने 2009 में मुख्यमंत्री जोरमथांगा पर लोकसेवक के तौर पर अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था.
सीबीआई द्वारा अपने चार अधिकारियों ख़िलाफ़ एफआईआर में बताया गया है कि एक आरोपी इंस्पेक्टर को उनके दो वरिष्ठ डिप्टी एसपी से कम से कम 10-10 लाख रुपये प्राप्त हुए, जो हज़ारों करोड़ रुपये से अधिक की बैंक धोखाधड़ी की आरोपी दो कंपनियों के लिए काम कर रहे थे.
सीबीआई ने बैंकों के साथ धोखाधड़ी करने की आरोपी कंपनियों के ख़िलाफ़ जांच में समझौता करने के लिए कथित तौर पर रिश्वत लेने के मामले में अपने चार अधिकारियों के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के मामले दर्ज किए हैं, इनमें दो पुलिस उपाधीक्षक शामिल हैं.
सीवीसी की एक हालिया रिपोर्ट हाल ही में संपन्न मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश की गई है. रिपोर्ट के अनुसार, सीबीआई के पास भ्रष्टाचार से संबंधित 6,226 मामलों की सुनवाई लंबित है और इनमें से 182 मामलों की सुनवाई तो 20 साल से भी अधिक समय से लंबित है.
मद्रास उच्च न्यायालय के जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम ने अपने आदेश में कहा कि आम आदमी सरकारी दफ़्तरों में और सरकारी कर्मचारियों की भ्रष्ट कार्यप्रणाली से पूरी तरह से हताश है.
सवाल है कि क्या हमारे नेता नौकरशाही में अपने समर्थ सहयोगियों की मिलीभगत के बग़ैर ही अकूत काला धन जमा करने और तरह-तरह के अपराध करने में कामयाब हो जाते हैं?
राजग से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद ने 2012 में भ्रष्टाचार के एक मामले में पूर्व भाजपा अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण के बचाव में गवाही दी थी.
बिड़ला-सहारा डायरी केस और कालिखो पुल सुसाइड मामले में न्यायपालिका पर सवाल उठाता वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण के लेख का आॅडियो.
वह समय आ चुका है जब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को गंभीरता से विचार-विमर्श करके इन दस्तावेजों की विस्तृत जांच के लिए कोई रास्ता निकालने के बारे में सोचना चाहिए.