तमाम सर्वे बताते हैं कि नरेंद्र मोदी देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि ‘अत्यंत’ लोकप्रिय मोदी सांप्रदायिक दंगों, आंदोलनों या जातीय हिंसा के समय कोई अपील जारी क्यों नहीं करते? महात्मा गांधी के गुजरात से आने वाले मोदी मणिपुर के विभिन्न समुदायों के बीच जाकर शांति की अपील क्यों नहीं करते? दरअसल उनकी लोकप्रियता महज़ चुनावी है.
वीडियो: मणिपुर में 3 मई को बहुसंख्यक मेईतेई और आदिवासी कुकी समुदाय के बीच शुरू हुई जातीय हिंसा जारी है. अब तक करीब 200 लोगों की जान जा चुकी है और लगभग 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं जो 350 राहत शिविरों में रह रहे हैं.
वीडियो: मणिपुर में पिछले दो महीने से जारी जातीय हिंसा के बीच बीते 29 जून को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राज्य का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने राहत शिविरों में रह रहे हिंसा प्रभावित लोगों और नागरिक समाज संस्थाओं के सदस्यों आदि से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि हिंसा से कोई हल नहीं निकलेगा.
ख़बर थी कि हिंसाग्रस्त मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह शुक्रवार को राज्यपाल से मुलाकात करने वाले हैं. इसके बाद उनके इस्तीफ़े की अटकलें तेज़ हो गई थीं. मई की शुरुआत से राज्य में शुरू हुई जातीय हिंसा से निपटने के अपने तरीके को लेकर मुख्यमंत्री को काफी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.
‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ अख़बार की संवाददाता सबरीना सिद्दीक़ी ने अमेरिकी दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भारत में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव को लेकर सवाल पूछा था, जिसके बाद उनके माता-पिता के पाकिस्तानी होने का दावा कर उन्हें ‘पाकिस्तान की बेटी’ बताया जा रहा है.
मणिपुर की स्थिति को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा 24 जून को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है. विपक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस बैठक से अनुपस्थिति इस विषय पर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की गंभीरता की कमी को दर्शाती है, जबकि मणिपुर में छह सप्ताह से अधिक समय से भड़की जातीय हिंसा जारी है.
पिछले डेढ़ महीने से मणिपुर में जातीय हिंसा का दौर जारी है. बीते बुधवार को बिष्णुपुर ज़िले में एक आईईडी विस्फोट में एक आठ वर्षीय लड़का और दो किशोर घायल हो गए. वहीं, कांगपोकपी ज़िले के दो गांवों में भी अंधाधुंध गोलीबारी हुई. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्थिति पर चर्चा के लिए 24 जून को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है.
कांग्रेस सहित दस विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मणिपुर में जातीय हिंसा को हल करने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की. विपक्षी दलों ने हिंसा को रोकने में विफल रहने के लिए केंद्र और राज्य में भाजपा सरकार की 'बांटो और राज करो की राजनीति' को ज़िम्मेदार ठहराया है.
मणिपुर हिंसा के दौरान पुलिस शस्त्रागारों से हथियार लूटने के मामले में दर्ज विभिन्न एफ़आईआर के द वायर द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि एके 47 और इंसास राइफल, बम एवं अन्य आधुनिक हथियार लूटे गए. उपद्रवी बुलेटप्रूफ जैकेट भी ले गए और पुलिस थानों में आग तक लगा दी.
देश भर के 550 से अधिक सिविल सोसायटी समूहों और व्यक्तियों ने एक संयुक्त बयान में कहा है कि भाजपा अपने राजनीतिक लाभ के लिए समुदायों के बीच सदियों पुराने जातीय तनाव को बढ़ा रही है. बयान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मणिपुर में पिछले डेढ़ महीने से जारी जातीय हिंसा पर अपनी चुप्पी तोड़ने का आग्रह किया गया है.
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि मई 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से क़र्ज़ का बोझ 100 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ गया है. 67 वर्षों में 14 प्रधानमंत्रियों के रहते क़र्ज़ 55 लाख करोड़ रुपये था, जबकि मोदी कार्यकाल में इसमें 100 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि देखी गई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने वॉशिंगटन जाने वाले हैं, उससे पहले अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत में अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ होते ‘निरंतर लक्षित हमलों’ पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि अमेरिकी नरसंहार संग्रहालय भारत को ‘सामूहिक नरसंहार की संभावना रखने वाले’ देश के रूप में देखता है.
बिहार सरकार में गठबंधन सहयोगी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) पार्टी के कर्ता-धर्ता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की यह विवादास्पद टिप्पणी रामनवमी पर निकले जुलूसों के दौरान कई राज्यों में बड़े पैमाने पर हुई सांप्रदायिक झड़पों के बाद आई है.
विधानसभा क्षेत्रों की सीमा को नए सिरे से निर्धारित करने के मक़सद से गठित परिसीमन आयोग के इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए पीडीपी, जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने कहा कि आयोग ने उसकी सिफ़ारिशों में आंकड़ों के बजाय भाजपा के राजनीतिक एजेंडा को तरजीह दी है.
लॉकडाउन से पहले इन नौ क्षेत्रों में कुल 307.8 लाख लोग कार्यरत थे, जो कि लॉकडाउन के बाद घटकर 284.8 लाख लोग रह गए. सरकार द्वारा संसद को दी गई जानकारी के मुताबिक, आईटी/बीपीओ, वित्तीय सेवाओं और स्वास्थ्य क्षेत्रों के मुकाबले विनिर्माण, निर्माण, शिक्षा और व्यापार क्षेत्रों को अधिक नुकसान हुआ है.