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पिछले चार सालों में केंद्र सरकार ने पराली जलाने की समस्या का समाधान करने के लिए पंजाब को 1,050.68 करोड़ रुपये दिए हैं, लेकिन अभी भी भारी तादाद में खेतों में पराली जलाए जा रहे हैं. पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, सिर्फ़ एक से सात नवंबर के बीच क़रीब 22,000 पराली जलाने के मामले रिपोर्ट किए गए हैं.
16 अक्टूबर के अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी के लिए पूर्व जस्टिस मदन लोकुर की अध्यक्षता में एक सदस्यीय समिति गठित की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के साथ पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों को पराली जलाए जाने के संबंध में एक ठोस योजना तैयार करने का निर्देश दिया. इसके साथ ही छोटे और सीमातं किसानों को कृषि मशीनें मुफ्त या कम दामों में उपलब्ध कराने का भी आदेश दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समय आ गया है कि राज्य सरकारें यह बताएं कि उन्हें हवा की ख़राब गुणवत्ता से प्रभावित लोगों को मुआवज़ा क्यों नहीं देना चाहिए?
जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस दीपक गुप्ता की विशेष पीठ ने सुनवाई के बाद दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिए अंतरिम आदेश पारित किया है.
प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन ने कहा कि किसानों को दोष देने के बजाय राज्य सरकारों को अपने यहां धान जैविक पार्क लगाना चाहिए ताकि किसान पराली या पुआल को रोज़गार और आय कमाने में परिवर्तित कर सकें.
दिल्ली सरकार ने स्कूलों से खुले में होने वाली सभी गतिविधियां रोकने को कहा. घातक प्रदूषण स्तर के चलते डॉक्टरों ने मास्क पहनकर चलने सहित कई सावधनियां बरतने का परामर्श जारी किया है. दफ़्तर आने जाने के समय में बदलाव करने पर हो रहा विचार.
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की वजह से दिल्ली के प्रदूषण में भारी बढ़ोतरी होती है. इसी के चलते हाल में दिल्ली और पंजाब के मुख्यमंत्रियों के बीच विवाद शुरू हो गया और दोनों ने एक दूसरे को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराया.