उत्तर प्रदेश के महराजगंज ज़िले का मामला. भाजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के ज़िलाध्यक्ष राही मासूम रज़ा पर एक दलित लड़की के साथ बलात्कार और उसके पिता की हत्या का आरोप लगा है. अब बयान बदलने के लिए लड़की को एक कॉन्स्टेबल के द्वारा रिश्वत देने का मामला सामने आया है, जिसके बाद पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गई. रज़ा फिलहाल फ़रार है.
जहां हिंदी लेखकों ने विभाजन पर बार-बार लिखा, हिंदी कवि इस पर तटस्थ बने रहे. कइयों ने आज़ादी मिलने के जश्न की कविताएं तो लिखीं, लेकिन देश बंटने के पीड़ादायी अनुभव पर उनकी चुप्पी बनी रही.
‘मित्रो मरजानी’ के बाद सोबती पर पाठक फ़िदा हो उठे थे. ये इसलिए नहीं हुआ कि वे साहित्य और देह के वर्जित प्रदेश की यात्रा पर निकल पड़ी थीं. ऐसा हुआ क्योंकि उनकी महिलाएं समाज में तो थीं, लेकिन उनका ज़िक्र करने से लोग डरते थे.
रज़ा साहब ने समय की कमी के कारण पहले संवाद लिखने से मना कर दिया था.