रिज़र्व बैंक ने अपनी वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट में कहा है कि बैंकिंग क्षेत्र पर गैर-निष्पादित क़र्ज़ का दबाव बना रहेगा. आने वाले समय में यह और बढ़ेगा. मार्च 2019 तक 11.6 प्रतिशत से बढ़कर 12.2 प्रतिशत होगा.
बैंकों द्वारा बट्टा खाते में डाली गई यह राशि पिछले साल की तुलना में 61.8 प्रतिशत ज़्यादा है. पिछली साल बैंकों द्वारा 89,048 करोड़ रुपये बट्टा खाते में डाले गए थे.
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा फरवरी 2018 में जारी एक सर्कुलर उसके और नरेंद्र मोदी सरकार के बीच तकरार की वजह बन गया है. जिसमें कहा गया है कि सभी बड़े कॉरपोरेट समूह, जो बैंकों से लिए गए ऋण की पुनअर्दायगी करने में नाकाम रहते हैं, उन्हें 1 अक्टूबर, 2018 से दिवालिया घोषित किए जाने की प्रक्रिया में शामिल होना पड़ेगा.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने एनपीए को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा.
पूर्व गवर्नर वाईवी रेड्डी ने कहा कि बैंकिंग घोटालों में होने वाले नुकसान की भरपाई करदाता करते हैं. उन्होंने सरकार के स्वामित्व वाले बैंकों को अपना पैसा सौंपा, उन्हें सरकार से इस पर जवाब मांगना चाहिए.
मोदी सरकार आने के बाद पहली बार रिज़र्व बैंक ने रेपो दरों में 0.25 फीसदी का इज़ाफ़ा किया है. अब रेपो रेट 6.25 प्रतिशत और रिवर्स रेपो रेट 6 प्रतिशत है.
सूचना के अधिकार के तहत भारतीय रिजर्व बैंक से प्राप्त वित्तीय वर्ष 2017-18 की जानकारी के अनुसार, इस अवधि में पंजाब नेशनल बैंक नुकसान के मामले में शीर्ष पर रहा, तो भारतीय स्टेट बैंक दूसरे पायदान पर रहा.
जन गण मन की बात की 244वीं कड़ी में विनोद दुआ कर्नाटक में बनी नई सरकार और एनपीए को लेकर संसदीय समिति के सामने पेश हुए रिज़र्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल के बारे में चर्चा कर रहे हैं.
रिज़र्व बैंक के अनुसार कटे-फटे और गंदे नोटों को बदलने संबंधी मौजूदा आरबीआई अधिनियम में 200 और 2,000 रुपये के ख़राब नोट बदलने से जुड़ा कोई प्रावधान नहीं है.
आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2017 तक सभी बैंकों की गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) 8,40,958 करोड़ रुपये थीं. सबसे अधिक एनपीए भारतीय स्टेट बैंक का 2,01,560 करोड़ रुपये था.
मज़दूर दिवस के मौके पर झारखंड के मनरेगा मज़दूर और पेंशनधारियों ने बैंक भुगतान में आ रही समस्याओं के बारे में रिज़र्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल को अपनी मांगें लिखकर भेजी हैं.
आरटीआई कार्यकर्ता ने सूचना आयुक्त से शिकायत की थी कि पीएमओ और रिज़र्व बैंक ने उन्हें सूचना उपलब्ध नहीं कराई.
नोटबंदी से पहले तक तो जनता ये कल्पना भी नहीं करती थी कि कभी उसे बैंकों में जमा अपना ही धन पाने में इतनी समस्याएं पेश आएंगी और सरकार के झूठे आश्वासन जले पर नमक छिड़कते नज़र आएंगे.
राहुल गांधी ने कहा कि नकदी की कमी से देश फिर से ‘नोटबंदी के आतंक’ की गिरफ़्त में है. वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि दो-तीन दिन में समस्या सुलझा ली जाएगी.
आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार का सोचना था कि नोटबंदी के बाद बेसमेंट में नोट छुपाकर रखने वाले लोग सामने आएंगे और माफी मांगकर कहेंगे कि हम इसके लिए कर देने को तैयार हैं.