नीति आयोग ने सरकार पर पीडीएस के निजीकरण, फ्री राशन का दायरा व सब्सिडी कम करने का दबाव बनाया

विशेष रिपोर्ट: दस्तावेज़ों से पता चलता है कि नीति आयोग खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों के दायरे के विस्तार का प्रबल विरोधी है. इसने बार-बार ग़रीबों को सब्सिडी वाला राशन देने वाली सार्वजनिक खाद्य वितरण प्रणाली के आकार को घटाने और उसमें बड़े बदलाव लाने की कोशिश की है.

जनजातीय मंत्रालय ने संसद में समुदायों को एसटी दर्जा दिए जाने संबंधी सवाल को नज़रअंदाज़ किया

ओडिशा के कांग्रेस सांसद सप्तगिरी शंकर उल्का ने लोकसभा में सवाल पूछा था कि केंद्र सरकार और उपयुक्त अधिकरणों के पास अनुसूचित जनजाति के दर्जे के कितने अनुरोध लंबित हैं. इस पर जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने सरकार के पास लंबित ऐसे अनुरोधों की संख्या बताने से इनकार कर दिया.

भारत में हर 36 में से एक नवजात की अपने प्रथम जन्मदिन से पहले हो जाती है मौत: सरकारी आंकड़ा

भारत के महापंजीयक द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 10 वर्षों में नवजात शिशु मृत्यु दर में क़रीब 36 प्रतिशत की कमी देखी गई है और राष्ट्रीय स्तर पर नवजात मृत्यु दर का स्तर पिछले दशक में 44 से गिरकर 28 हो गया. पिछले पांच दशकों में राष्ट्रीय स्तर पर जन्म दर में काफी कमी आई है, जो 1971 के 36.9 से घटकर 2020 में 19.5 हो गई.

असम एनआरसी प्रमुख ने आंकड़ों में ‘विसंगतियों’ के आरोप में हजेला के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के असम समन्वयक हितेश देव शर्मा ने अपने पूर्ववर्ती प्रतीक हजेला और अन्य पर रजिस्टर को अद्यतन करते समय राष्ट्र विरोधी और आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए सीआईडी में एक शिकायत दर्ज कराई है. हालांकि एक अधिकारी ने बताया कि सीआईडी ने अभी आरोपियों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज नहीं की है.

कोविड-19 मौतों को लेकर डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों पर भारत की आपत्ति: कितना सच, कितना झूठ

वीडियो: पिछले हफ़्ते विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा था कि साल 2020 और 2021 में लगभग 1.5 करोड़ लोगों ने या तो कोरोना वायरस से या स्वास्थ्य प्रणालियों पर पड़े इसके प्रभाव के कारण जान गंवाई है. डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि भारत में कोरोना वायरस संक्रमण से 47 लाख लोगों की मौत हुई. भारत के अलावा किसी भी बड़े देश ने अभी तक इन आंकड़ों पर सवाल नहीं उठाया है.

2020 में मृतक 82 लाख लोगों में 45 फ़ीसदी को कोई चिकित्सा सुविधा नहीं मिली: रजिस्ट्रार जनरल

भारत के रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 में पंजीकृत कुल मौतों में से करीब 1.3 फ़ीसदी लोगों को एलोपैथी या अन्य चिकित्सा क्षेत्रों के योग्य पेशेवरों से चिकित्सा सुविधा मिली थी. मरने वालों में से 45 फ़ीसदी को उनकी मृत्यु के समय कोई चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाई थी. चिकित्सा सुविधा के अभाव में 2019 में मरने वालों की संख्या 35.5 प्रतिशत थी.

कोविड-19 से दुनिया में अनुमानत: 1.5 करोड़ मौतें हुईं, भारत में 47 लाख लोगों की जान गई: डब्ल्यूएचओ

भारत ने डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रामाणिक आंकड़ों की उपलब्धता के बावजूद कोरोना वायरस महामारी से संबंधित अधिक मृत्यु दर अनुमानों को पेश करने के लिए गणितीय मॉडल के इस्तेमाल पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि इस्तेमाल किए गए मॉडल और डेटा संग्रह की कार्यप्रणाली संदिग्ध है. 

बिहार, मध्य प्रदेश समेत सात राज्यों में जन्म पंजीकरण में बड़ा लैंगिक अंतर: रजिस्ट्रार जनरल

भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा तैयार किए गए आंकड़े के अनुसार बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र और राजस्थान में 2020 में लड़कियों की तुलना में लड़कों के जन्म के पंजीकरण में बहुत अधिक अंतर दर्ज किया गया. लड़कियों की संख्या पंजीकृत किए गए लड़कों से लगभग 4 प्रतिशत कम है.

असम में अगस्त 2019 में प्रकाशित एनआरसी अंतिम है: फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल

असम के करीमगंज ज़िले के एक व्यक्ति को भारतीय नागरिक घोषित करते हुए ट्रिब्यूनल ने कहा कि राष्ट्रीय पहचान पत्र अभी जारी किए जाने बाकी हैं लेकिन इस बात में कोई संदेह नहीं है कि 2019 में प्रकाशित नागरिक रजिस्टर फाइनल एनआरसी है.

एनआरसी आवेदकों का बायोमेट्रिक डाटा ‘लॉक’ किए जाने का मामला केंद्र के समक्ष उठाया है: असम सरकार

31 अगस्त, 2019 को एनआरसी का अंतिम मसौदा प्रकाशित करने से पहले दावे एवं आपत्ति की प्रक्रिया के दौरान 27 लाख से ज्यादा आवेदकों की बायोमेट्रिक जानकारी एकत्रित की गई थी. एनआरसी की चल रही प्रक्रिया लंबित होने की वजह से इन आवेदकों के आंकड़ों को फ्रीज कर दिया गया है, जिसकी वजह से वे आधार नंबर प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं और उन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

असम: एनआरसी में गड़बड़ी के आरोप में पूर्व संयोजक प्रतीक हजेला के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज

ग़ैर सरकारी संगठन असम पब्लिक वर्क्स ने आरोप लगाया है कि हजेला और उनके सहयोगियों ने प्रवासी पृष्ठभूमि वाले कुछ अधिकारियों, डेटा एंट्री ऑपरेटरों, कुछ अल्पसंख्यक नेताओं और कुछ राष्ट्र विरोधी तत्वों के साथ मिलकर वेरिफिकेशन में गड़बड़ी कर अपडेटेड एनआरसी में कथित अवैध प्रवासियों का नाम जोड़ा.

असम एनआरसी के पुनर्सत्यापन के लिए कोऑर्डिनेटर ने सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया

असम एनआरसी के समन्वयक हितेश शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर कर दावा किया है कि एनआरसी अपडेट करने की प्रक्रिया में कई गंभीर, मौलिक और महत्वपूर्ण त्रुटियां सामने आई हैं, इसलिए इसके पुन: सत्यापन की आवश्यकता है. सत्यापन का कार्य संबंधित ज़िलों में निगरानी समिति की देखरेख में किया जाना चाहिए.

नागरिकता साबित करने के लिए सभी रिश्तेदारों के साथ संबंध का प्रमाण ज़रूरी नहीं: हाईकोर्ट

असम के फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल ने अपने एक आदेश में हैदर अली नामक एक व्यक्ति को विदेशी घोषित कर दिया था, जबकि उन्होंने 1965 और 1970 के वोटर लिस्ट में शामिल अपने पिता और दादा के साथ संबंध को प्रमाण दिया था. गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा कि व्यक्ति को सिर्फ़ इस आधार पर विदेशी नहीं घोषित किया जा सकता है कि वे वोटर लिस्ट में शामिल रिश्तेदारों के साथ अपने संबंध स्थापित नहीं कर पाया है.

असम विधानसभा चुनाव के बीच एनआरसी का मुद्दा कहां है…

ऐसे राज्य में जहां एनआरसी के चलते 20 लाख के क़रीब आबादी 'स्टेटलेस' होने के ख़तरे के मुहाने पर खड़ी हो, वहां के सबसे महत्वपूर्ण चुनाव में इस बारे में विस्तृत चर्चा न होना सवाल खड़े करता है.

एनआरसी के बचे कार्य के लिए 31 मार्च के बाद वित्तीय सहायता देने से रजिस्ट्रार जनरल ने किया इनकार

असम सरकार ने चार मार्च को लिखे पत्र में एनआरसी के लंबित कार्यों को 31 मार्च के बाद पूरा करने के लिए पूर्व में आवंटित 1600 करोड़ रुपये से अधिक के बजट के अलावा अतिरिक्त 3.22 करोड़ रुपये प्रतिमाह जारी करने का अनुरोध किया था.