भोपाल में ‘वैलेंटाइन डे’ के विरोध में कुछ हिंदुत्ववादी संगठनों ने शहर के एक हुक्का लाउंज और एक रेस्तरां में तोड़फोड़ की. इस मामले में पूर्व भाजपा विधायक सुरेंद्र नाथ सिंह को गिरफ़्तार किया गया है.
लोकसभा में एक सवाल के जवाब में गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि संबंधित मुद्दे बुनियादी रूप से राज्य सरकारों के विषय हैं और क़ानून का उल्लंघन होने पर एजेंसियां कार्रवाई करती हैं.
उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर ज़िले का मामला. आरोपी नाबालिग को गिरफ़्तार करने के बाद जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के समक्ष पेश किया गया, जहां से उसे संरक्षण गृह भेज दिया गया है. उसके ख़िलाफ़ साज़िश रचने, अपहरण और शादी के लिए दबाव डालने समेत विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कराया है.
तीन साल पहले अंतर धार्मिक विवाह करने वाले युवक-युवती ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हाल में धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश लागू किए जाने के बाद से अमेठी पुलिस उन्हें प्रताड़ित कर रही है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी के लिए 30 दिन पहले नोटिस का अनिवार्य प्रकाशन कराना स्वतंत्रता और निजता के मूल अधिकार का उल्लंघन है. अब से नोटिस का प्रकाशन विवाह के इच्छुक पक्षों के लिए वैकल्पिक होगा.
मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल ने बीते 29 दिसंबर को धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश-2020 को मंज़ूरी दी थी. इस क़ानून के ज़रिये धर्मांतरण के मामले में अधिकतम 10 साल की क़ैद और 50 हज़ार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को अंतरधार्मिक विवाह करने वाले युवक-युवती के संबंध में कहा कि इस अदालत ने कई बार यह व्यवस्था दी है कि जब दो बालिग व्यक्ति एक साथ रह रहे हों, तो किसी को भी उनके शांतिपूर्ण जीवन में दख़ल देने का अधिकार नहीं है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान एक हलफ़नामा दाख़िल कर यूपी सरकार की ओर से अदालत को ये जानकारी दी गई. उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण विरोधी क़ानून लागू होने के एक दिन बाद बीते साल 29 नवंबर को मुजफ़्फ़रनगर में दो मुस्लिम दिहाड़ी मज़दूरों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया था.
उत्तर प्रदेश के फ़िरोज़ाबाद ज़िले के नागला मुल्ला गांव का मामला. युवती बीते साल दिसंबर में आरोपी मुस्लिम युवक के साथ घर छोड़कर चली गई थी. पुलिस ने युवती का पता लगा लिया, लेकिन पुलिस को अभी युवक की तलाश है. फिलहाल युवक और युवती के गांवों में तनाव व्याप्त है.
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में लागू नए धर्मांतरण रोधी क़ानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं. सीजेआई एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने इन क़ानूनों पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि राज्य सरकारों का पक्ष सुने बिना कोई आदेश नहीं दिया जा सकता.
मामला बरेली ज़िले का है, जहां एक जनवरी को 24 साल की एक महिला पर जबरन धर्म परिवर्तन का दबाव डालने के आरोप में तीन मुस्लिम युवकों पर मामला दर्ज किया गया था. पुलिस का कहना है कि जांच में तीनों युवकों पर लगाए गए आरोप ग़लत पाए गए हैं.
जाने-माने विधि विशेषज्ञ फ़ैज़ान मुस्तफ़ा ने कहा कि धर्मांतरण रोधी क़ानून हिंदुत्व के विचार, जो हमारी सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा रहा है, को भी ख़त्म करता है. हमारे यहां स्वयंवर का प्रावधान था, उसमें दुल्हन को अपना पति चुनने की आज़ादी थी. अब हम कह रहे हैं कि उन्हें कोई बेवकूफ़ बना सकता है, वो अपने फ़ैसले नहीं ले सकती हैं.
उत्तर प्रदेश के बिजनौर ज़िले का मामला. 22 वर्षीय युवक पर एक दलित युवती का अपहरण और बलात्कार करने का आरोप है. पुलिस ने अपहरण, बलात्कार और नए धर्मांतरण रोधी कानून से संबंधित धाराओं में केस दर्ज कर युवक को बीते 10 दिसंबर को गिरफ़्तार किया था.
देश के 104 पूर्व नौकरशाहों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर धर्मांतरण विरोधी क़ानून को तत्काल प्रभाव से वापस लेने की मांग करते हुए कहा है कि इसका इस्तेमाल मुस्लिम पुरुषों और अपनी मर्ज़ी से शादी कर रही महिलाओं को प्रताड़ित करने के लिए किया जा रहा है.
उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता क़ानून 2018 लागू होने के बाद से राज्य में तथातकथित धर्म परिवर्तन का यह पहला मामला है. मामला तब सामने आया जब मुस्लिम युवक ने हाईकोर्ट में सुरक्षा की गुहार लगाई थी. मुस्लिम महिला द्वारा धर्म परिवर्तन कर विवाह करने के एक अन्य मामले में हाईकोर्ट ने पति-पत्नी को सुरक्षा देने का पुलिस को निर्देश दिया है.