सूचना आयोग में अब भी तीन सूचना आयुक्तों के पद ख़ाली हैं. सूचना का अधिकार क़ानून के तहत मुख्य सूचना आयुक्त के साथ इस संस्था में कुल 10 सूचना आयुक्त होने चाहिए.
समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा आरटीआई के तहत दायर आवेदन के जवाब में दिल्ली पुलिस ने बताया कि जनवरी 2017 से 30 जून 2020 तक दिल्ली के 37 कर्मचारियों और अधिकारियों ने आत्महत्या की है. पिछले 42 महीनों में 14 कर्मचारियों ने ड्यूटी के दौरान जान दी, जबकि 23 कर्मचारियों ने ‘ऑफ ड्यूटी’ आत्महत्या की.
सूचना का अधिकार क़ानून के 15 साल पूरे होने के मौके पर ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश भर में कम से कम 3.33 करोड़ आवेदन दायर हुए. सूचना आयोग समय पर वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित नहीं कर रहे. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद देश भर के सूचना आयोगों में 38 पद ख़ाली हैं, जो इस क़ानून के लिए बड़ा झटका है.
यह आंकड़ा केंद्र सरकार के 50 विभागों का है. 157.23 करोड़ रुपये के इस अनुदान में से 93 प्रतिशत से अधिक की धनराशि यानी क़रीब 146 करोड़ रुपये अकेले रेलवे के कर्मचारियों के वेतन से दान किए गए हैं.
राजस्थान की कोटा पुलिस ने सूचना के अधिकार के तहत बताया है कि अलग-अलग कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले इन विद्यार्थियों की उम्र 15 से 30 वर्ष के बीच थी.
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार, आरबीआई सहित 15 सरकारी बैंकों और संस्थाओं ने आरटीआई के माध्यम से बताया है कि उन्होंने कुल मिलाकर 349.25 करोड़ रुपये पीएम केयर्स फंड में दान किए. एलआईसी ने विभिन्न श्रेणियों के तहत अकेले सबसे अधिक 113.63 करोड़ रुपये दान में दिए हैं.
मद्रास हाईकोर्ट ने सरकार के अधिवक्ता को यह भी कहा है कि वे बताएं कि क्या एक ऐसी ईमेल आईडी बना सकते हैं जो कम से कम समय के भीतर 'जीवन और स्वतंत्रता' से जुड़े मामलों का निपटारा कर सके.
लोकसभा में विपक्षी सांसदों द्वारा पीएम केयर्स फंड पर लगातार सवाल उठाने पर भाजपा के नेता कांग्रेस पर हमलावर होते रहे, साथ ही कहा कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष गांधी परिवार की निजी संपत्ति की तरह काम करता है. हालांकि पीएम केयर्स फंड की जवाबदेही को लेकर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.
कोविड-19 से लड़ाई में जनता से आर्थिक मदद प्राप्त करने के लिए बना पीएम केयर्स फंड पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट है, जो पंजीकरण अधिनियम, 1908 के तहत पंजीकृत है. यह किसी केंद्रीय या राज्य एक्ट के माध्यम से स्थापित नहीं किया गया है, जिससे इसे एफसीआरए के प्रावधानों से छूट मिल सके.
आरटीआई के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि कॉरपोरेट मंत्रालय ने अपनी फाइलों में ये लिखा है कि पीएम केयर्स फंड का गठन केंद्र सरकार द्वारा किया गया है. केंद्र सरकार द्वारा गठित कोई भी विभाग आरटीआई एक्ट के दायरे में आता है.
सूचना के अधिकार क़ानून से मिली जानकारी के अनुसार, ओएनजीसी ने सबसे ज़्यादा 300 करोड़ रुपये, एनटीपीसी ने 250 करोड़ रुपये, इंडियन ऑयल ने 225 करोड़ रुपये कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) का पैसा अनुदान के रूप में पीएम केयर्स फंड में दिया है.
सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में कहा गया था कि चूंकि पीएम केयर्स फंड की कार्यप्रणाली काफ़ी गोपनीय है, इसलिए इसमें प्राप्त राशि एनडीआरएफ में ट्रांसफर की जाए, जो कि संसद से पारित किए गए क़ानून के तहत बनाया गया है और एक पारदर्शी व्यवस्था है.
हाल ही में केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत बनाए गए नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड में व्यक्तियों और संस्थानों द्वारा अनुदान को मंज़ूरी दी है. लेकिन कोविड-19 जैसी आपदा के दौर में जब स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की बेहतरी के लिए इसमें मिली राशि का प्रयोग किया जा सकता है, इसमें दान देने के बारे में आम जनता को बेहद कम जानकारी है.
संसद की बेहद महत्वपूर्ण लोक लेखा समिति की बैठक में प्रस्ताव रखा गया था कि वो कोरोना संकट पर सरकार के प्रबंधन की जांच-पड़ताल करेगी. हालांकि भाजपा सदस्यों ने इसका कड़ा विरोध किया और जांच करने से रोक दिया.
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में पीएम केयर्स के गठन जायज़ ठहराते हुए कहा कि आपदा प्रबंधन क़ानून के तहत एक क़ानूनी कोष यानी नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड के होने मात्र से स्वैच्छिक दान के लिए अलग कोष के सृजन पर रोक नहीं है.