सूत्रों के मुताबिक शरद यादव को मनाने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उनसे संपर्क किया था लेकिन उन्होंने एनडीए के साथ आने से मना कर दिया.
अगर सारे दल बीजेपी में शामिल हो जाएं तो हो सकता है कि प्रधानमंत्री टीवी पर ऐलान कर दें कि भारत से राजनीतिक भ्रष्टाचार ख़त्म हो गया है क्योंकि सब मेरे साथ आ गए हैं.
बिहार के उलटफेर पर कहा, सम्मानजनक तरीका यह होता कि नीतीश बिहारियों को मतदान का मौक़ा देते.
राजद प्रमुख लालू यादव ने कहा, नीतीश कुमार ने बिहार के जनादेश को धोखा दिया है. नीतीश कुमार बहुत बड़े अवसरवादी हैं.
लालू ने कहा, ‘भाजपा के साथ नीतीश का सौदा हो चुका है. अगर ऐसा नहीं है तो फिर जदयू-राजद व कांग्रेस के सभी विधायक मिलकर नया मुख्यमंत्री चुनें.'
मोदी ने ट्वीट किया, ‘भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में जुड़ने के लिए नीतीश कुमार जी को बहुत-बहुत बधाई. सवा सौ करोड़ नागरिक ईमानदारी का स्वागत और समर्थन कर रहे हैं.’
नीतीश ने कहा, ‘जितना भी संभव हुआ हमने काम करने की कोशिश की, लेकिन इस बीच में जो चीजें उभर कर सामने आईं, उस माहौल में मेरे लिए काम करना संभव नहीं था.’
राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के इस्तीफे की मांग नहीं की है.
आप पर भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप है. हो सकता है क़ानूनी लड़ाई में वह आरोप ग़लत सिद्ध हो लेकिन अभी छवि-युद्ध में आपकी पीठ दीवार से लगी है.
राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार से एनडीए की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन देने के फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा था.
लालू और चिदंबरम दोनों का आरोप, विपक्ष की आवाज़ दबाने के लिए केंद्र सरकार जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है.
भाजपा को मात देने के लिए विपक्षी दलों की गोलबंदी भले शुरू हो गई हो, लेकिन फ़िलहाल ऐसा कोई मुद्दा सामने नहीं आया है जो भाजपा के विरोध में हलचल पैदा कर सके.
समाजवादी नेता मधु लिमये के जयंती समारोह में मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद, नीतीश कुमार और मायावती में से कोई भी नज़र नहीं आया.
चंद्रशेखर ने कहा था, ‘हां, मेरी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा है- भगत सिंह की तरह जीवन, चे ग्वेरा की तरह मौत.’ उनके दोस्त कहते हैं कि चंदू ने अपना वायदा पूरा किया.
लोकतंत्र में हर पल अपने समाज और वोटरों के बारे में सोचते रहना पड़ता है, लेकिन दुखद यह है कि उत्तर भारत के सामाजिक न्याय के सभी बड़े नेता सिर्फ अपने परिवार और रिश्तेदार के बारे में सोचते हैं, उन जनता के बारे में नहीं जिनके वोट से ये मसीहा बने थे.