पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आठ सीटों का गणित, जहां पहले चरण में होना है मतदान

ग्राउंड रिपोर्ट: 2014 के लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सहारनपुर, कैराना, मुज़फ़्फ़रनगर, मेरठ, बागपत, ग़ाज़ियाबाद, गौतम बुद्ध नगर और बिजनौर सीटों पर भाजपा जीती थी. हालांकि, कैराना में हुए उपचुनाव में गठबंधन प्रत्याशी तबस्सुम हसन ने रालोद से जीत हासिल की थी. धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया की रिपोर्ट.

क्या पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा की हालत ठीक नहीं है?

उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के पहले चरण में आठ सीटों पर चुनाव होने हैं, इनमें से सात सीटों पर भाजपा का क़ब्ज़ा है. इन सीटों को बचाकर रखना उसके लिए चुनौतीपूर्ण नज़र आ रहा है, क्योंकि सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस प्रत्याशियों की वजह से मुक़ाबला त्रिकोणीय हो गया है.

निषाद पार्टी का सपा से गठबंधन क्यों टूटा

सबसे बड़ा सवाल यह है कि निषाद पार्टी से सपा का गठबंधन टूटने से पूर्वी उत्तर प्रदेश की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा? भाजपा से निषाद पार्टी का गठजोड़ न तो निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं को पसंद आ रहा है और न भाजपाइयों को.

कैराना सीट: भाजपा उम्मीदवार को अपनी ही पार्टी की वजह से हार का ख़तरा है

कैराना उत्तर प्रदेश की उन तीन सीटों में शामिल है, जहां 2018 के उपचुनाव में भाजपा हार गई थी. भाजपा ने इस सीट से इस बार गुर्जर नेता हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह का टिकट काटकर प्रदीप चौधरी को टिकट दिया है. वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग बता रहे हैं प्रदीप चौधरी को उनकी ही पार्टी से ख़तरा है.

निषाद पार्टी ने सपा-बसपा-रालोद गठबंधन का साथ छोड़ा, पार्टी प्रमुख योगी आदित्यनाथ से मिले

समाजवादी पार्टी ने गोरखपुर से राम भुवाल निषाद को बनाया अपना प्रत्याशी. निषाद पार्टी के मीडिया प्रमुख के मुताबिक, समाजवादी पार्टी से उत्तर प्रदेश की महराजगंज लोकसभा सीट को लेकर मतभेद था.

मुज़फ़्फ़रनगर दंगा: चुनावों की भेंट चढ़ती नैतिकता

मुज़फ़्फ़रनगर दंगों पर राजनीतिक रोटियां सबने सेंक लीं पर दंगा पीड़ितों को न्याय नहीं मिला. जो लोग तब सरकार चला रहे थे वे कहते हैं कि दंगे नहीं रोक सकते थे. तो अब सवाल यह है कि इस बार उन्हें क्यों चुना जाए?

लोकसभा चुनाव के सपा-बसपा गठबंधन में निषाद पार्टी समेत तीन अन्य दल शामिल

लोकसभा चुनाव राउंडअप: राहुल गांधी ने सूरतगढ़ में एक सभा में कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव दो विचारधाराओं की लड़ाई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो हिंदुस्तान बनाने की कोशिश कर रहे हैं जिसमें एक हिंदुस्तान अमीरों का और दूसरा गरीबों का होगा.

विपक्ष को मोदी के उग्र एजेंडा के जाल से बचना होगा

भाजपा ने आम चुनाव में राष्ट्रवाद और पाकिस्तान से ख़तरे को मुद्दा बनाने का मंच सजा दिया है. वो चाहती है कि विपक्ष उनके उग्रता के जाल में फंसे, क्योंकि विपक्षी दल उसकी उग्रता को मात नहीं दे सकते. विपक्ष को यह समझना होगा कि जनता में रोजगार, कृषि संकट, दलित-आदिवासी और अल्पसंख्यकों पर बढ़ते अत्याचार जैसे मुद्दों को लेकर काफी बेचैनी है और वे इनका हल चाहते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता पुलिस कमिश्नर को सीबीआई के समक्ष पेश होने को कहा, गिरफ्तारी पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को शिलॉन्ग में सीबीआई के सामने पेश होने का आदेश दिया. पश्चिम बंगाल सरकार के मुख्य सचिव, डीजीपी और कोलकाता पुलिस कमिश्नर से 18 फरवरी तक मांगा जवाब. 20 फरवरी को होगी अगली सुनवाई.

ममता बनर्जी को मिला विपक्ष का समर्थन, राजद ने कहा- देखेंगे कि चुनाव के बाद जेल कौन जाएगा

पश्चिम बंगाल सरकार और सीबीआई के बीच हुई तनातनी पर विपक्षी दलों ने ममता बनर्जी को समर्थन देते हुए सीबीआई की कार्यशैली पर उठाए सवाल.

लोकसभा चुनाव के लिए सपा-बसपा के बीच गठबंधन, उत्तर प्रदेश में 38-38 सीटों पर लड़ेंगे चुनाव

सपा-बसपा के बीच गठबंधन की औपचारिक घोषणा करते हुए अखिलेश यादव बोले- भाजपा के अहंकार का विनाश करने के लिए बसपा और सपा का मिलना बहुत ज़रूरी था.

मायावती और अखिलेश यादव करेंगे संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस, कर सकते हैं गठबंधन का औपचारिक ऐलान

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती शनिवार को लखनऊ के ताज होटल में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गठबंधन का औपचारिक ऐलान कर सकते हैं.

राजस्थान के चुनावी रण में भाजपा के मुक़ाबले में लौटने की चर्चा में कितना दम है?

विशेष रिपोर्ट: चुनावी सर्वेक्षणों के आधार पर यह कहा जा रहा था कि भाजपा की राजस्थान से विदाई तय है, लेकिन टिकट वितरण और धुंआधार प्रचार को देखकर सियासी गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि पार्टी मुक़ाबले में लौट आई है.

अब चुनाव में हिंदू-मुस्लिम नहीं होने देंगे, भाजपा के प्रयासों को विफल करेंगे: जयंत चौधरी

राष्ट्रीय लोक दल के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि उपचुनाव के नतीजों ने लोगों को एक संभावित विकल्प दिखाया है. लोगों को लगता था कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की ‘चाणक्य नीति’ का सामना कोई नहीं कर सकता है.

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