सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है लेकिन यदि देश के लोग आरटीआई कानून की शुचिता की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरें तो वह उनका साथ देने के लिए तैयार हैं.
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि आरटीआई कानून देश के लोकतंत्र की बहुत बड़ी उपलब्धि थी और इसने सरकार के हितों को कई बार चुनौती दी है.
प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने कहा कि इस कानून को लोकसभा में लम्बी बहस और विचार विमर्श के बाद पास किया गया था और मौजूदा सरकार का नया बदलाव सूचना के अधिकार को बेहद कमजोर करने वाला है.
यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लोकसभा से पारित हुए आरटीआई संशोधन विधेयक की आलोचना करते हुए कहा कि इस कानून को व्यापक विचार-विमर्श के बाद बनाया है और संसद ने इसे सर्वसम्मति से पारित किया. अब यह खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है.
वीडियो: केंद्र की मोदी सरकार द्वारा सूचना का अधिकार (आरटीआई) क़ानून में प्रस्तावित संशोधन के ख़िलाफ़ दिल्ली में लोगों ने प्रदर्शन किया. प्रदर्शन में कई सामाजिक कार्यकर्ता, वकील, विपक्षी दलों के सांसद और विभिन्न राज्यों से आए लोग शामिल थे.
सांसदों को लिखे एक पत्र में पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने कहा, 'मैं संसद के प्रत्येक सदस्य से अनुरोध करता हूं कि वे आरटीआई को बचाएं और सरकार को सूचना आयोगों और इस मूल्यवान अधिकार को मारने की अनुमति न दें.'
साल 2018-19 में सीआईसी और आरटीआई मद में नौ करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. लेकिन इस बार ये राशि घटाकर 5.5 करोड़ कर दी गई.
पूर्व सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने कहा कि यह एक हास्यास्पद प्रस्ताव है, जिन अधिकारियों को सूचना आयुक्तों के निर्देशों का पालन करना होता है, उन्हें सीआईसी के ख़िलाफ़ शिकायतों की जांच करने वाला उच्च प्राधिकार बना दिया गया है. यह उस संस्था को खत्म करने का एक और षड्यंत्रकारी प्रयास है.
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि केंद्र एवं राज्य के सूचना आयोगों में खाली पदों पर छह महीने के भीतर भर्तियां की जानी चाहिए. कोर्ट ने ये भी कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित हो और केंद्रीय सूचना आयुक्त का दर्जा केंद्रीय चुनाव आयुक्त के बराबर होना चाहिए.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आयुक्तों की नियुक्ति के लिए बनाई गई कमेटी ने 14 नामों को शॉर्टलिस्ट किया था जिसमें से 13 नौकरशाह थे. जिस पर जस्टिस सीकरी ने कहा कि हम नियुक्तियों को दोष नहीं दे रहे हैं. लेकिन गैर-नौकरशाह नाम भी थे, पर उनमें से किसी को भी नियुक्त नहीं किया गया.
केंद्रीय सूचना आयोग में हाल ही में नियुक्त चार सूचना आयुक्त पूर्व नौकरशाह हैं. हालांकि आरटीआई क़ानून की धारा 12 (5) बताती है कि सूचना आयुक्त विधि, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, सामाजिक सेवा, प्रबंधन, पत्रकारिता, संचार मीडिया, प्रशासन या शासन के क्षेत्र से नियुक्त किए जाने चाहिए.
सरकार द्वारा सार्वजनिक किए गए दस्तावेज़ों से यह खुलासा हुआ है कि इस पद के लिए आवेदन करने वाले दो वरिष्ठ सूचना आयुक्तों को भी शॉर्टलिस्ट नहीं किया गया था. हालांकि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि आवेदन करने वालों में से ही सर्च कमेटी द्वारा शॉर्टलिस्ट किया जाएगा.
आरटीआई कार्यकर्ताओं का कहना है कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि आवेदन करने वाले उम्मीदवारों में से ही सर्च कमेटी सूचना आयुक्त के लिए योग्य लोगों को शॉर्टलिस्ट करेगी. अगर सरकार को अपने मन से ही नियुक्ति करनी है तो आवेदन क्यों मंगाए गए.
आयोग के वरिष्ठ सूचना आयुक्त सुधीर भार्गव को मुख्य सूचना आयुक्त बना दिया गया है. इन चार सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के बाद भी अभी भी केंद्रीय सूचना आयोग में कुल चार पद खाली हैं.
केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के दुरुपयोग की कोई जानकारी भारत सरकार के संज्ञान में नहीं है. दुरुपयोग से बचने के लिए आरटीआई कानून में पहले से ही व्यवस्था दी गई है.