साल 2019 के लिए गवर्नेंस और पॉलिटिक्स श्रेणी में क्रमशः 'डिजिटल मीडिया' और 'ब्रॉडकास्ट मीडिया' वर्ग में द वायर हिंदी के रिपोर्टर धीरज मिश्रा और स्वतंत्र पत्रकार सीमी पाशा को प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका पत्रकारिता पुरस्कार दिया गया है. चार साल के सफर में द वायर हिंदी के रिपोर्टर को मिला यह दूसरा रामनाथ गोयनका अवॉर्ड है.
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने संसद में बताया कि 2021-22 में छह दिसंबर 2021 की स्थिति के अनुसार 32,147 आरटीआई अनुरोध लंबित थे. इससे पहले सतर्क नागरिक संगठन द्वारा जारी एक रिपोर्ट में बताया गया था कि केंद्रीय सूचना आयोग में अपील/शिकायत के निपटारे के लिए औसतन एक साल 11 महीने का समय लग रहा है.
झारखंड से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा में कहा कि आरटीआई से हर ब्लॉक में सिर्फ़ बिचौलिये पैदा हुए हैं. चर्चा के दौरान एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि मनरेगा योजना को और सशक्त करने के लिए राज्य और केंद्र सरकार को मिलकर बेहतर तरीके से काम करने की ज़रूरत है. बेरोज़गारी की वजह से इस योजना की स्पष्ट ज़रूरत है.
श्रीनगर स्थित श्री महाराजा हरि सिंह हॉस्पिटल को पीएम केयर्स फंड से तीन कंपनियों ने 165 वेंटिलेटर्स दिए थे, जिसमें से कोई भी काम नहीं कर रहा है. इन तीन में से दो कंपनियों पर वेंटिलेटर की गुणवत्ता को लेकर पहले भी सवाल उठ चुके हैं. बताया गया है कि इस केंद्रशासित प्रदेश की ओर से इन वेंटिलेटर्स की मांग नहीं की गई थी.
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक़, देश में 17.76 लाख बच्चे अत्यंत कुपोषित तथा 15.46 लाख बच्चे अल्प कुपोषित हैं. कुपोषित बच्चों वाले राज्यों में महाराष्ट्र, बिहार और गुजरात शीर्ष पर हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट ने वरिष्ठता और पदोन्नति के संदर्भ में एक कर्मचारी को आरटीआई एक्ट के तहत जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे ख़ारिज करते हुए कहा कि पहले कोर्ट ये तय करे कि ऐसे संगठन आरटीआई के दायरे में आते हैं या नहीं.
पैंडोरा पेपर्स में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता कमलनाथ के एनआरआई बेटे बकुलनाथ का नाम सामने आया है. इसके अलावा अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर स्कैंडल के आरोपी राजीव सक्सेना का भी नाम इसमें शामिल है. प्रभावशाली व्यक्तियों की छिपाई गई संपत्ति का खुलासा करने वाले ‘पैंडोरा पेपर्स’ में भारत से उद्योगपति अनिल अंबानी, हीरा व्यापारी नीरव मोदी, क्रिकेटर और भारत रत्न सचिन तेंदुलकर आदि के नाम शामिल हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट में एक बार फिर इस बात को लेकर दलील दी गई कि पीएम केयर्स फंड ट्रस्ट में उच्च स्तर के पदाधिकारियों का शामिल होना, राजकीय चिह्न का उपयोग, आधिकारिक डोमेन नेम का इस्तेमाल आदि तथ्य इस बात की ओर इशारा करते हैं कि पीएम केयर्स फंड भारत सरकार की ही संस्था है.
दुनिया भर के प्रभावशाली व्यक्तियों की छिपाई गई संपत्ति का ख़ुलासा करने वाले ‘पैंडोरा पेपर्स’ में 300 से अधिक भारतीयों के नाम हैं. सीबीडीटी ने एक बयान में कहा कि सरकार ने इस रिपोर्ट का संज्ञान लिया है. संबंधित जांच एजेंसियां इन मामलों की पड़ताल करेंगी और क़ानून के अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी
पैंडोरा पेपर्स नामक अंतरराष्ट्रीय ख़ुलासे में बताया गया है कि सैकड़ों बड़े भारतीय नाम टैक्स से बचने के लिए अपनी संपत्तियों को टैक्स हैवेंस में छिपाने, ऑफशोर कंपनियां खोलने, कुल संपत्तियों का खुलासा न करने में शामिल हैं. इस सूची में कारोबारी अनिल अंबानी, हीरा व्यापारी नीरव मोदी, क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, अभिनेता जैकी श्रॉफ, बायोकॉन की कार्यकारी अध्यक्ष किरण मजूमदार शॉ, दिवंगत कांग्रेस नेता सतीश शर्मा जैसे लोगों के नाम शामिल हैं.
इन गुप्त खातों के लाभार्थियों के रूप में पहचाने गए नेताओं में जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय, ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर, चेक गणराज्य के प्रधानमंत्री आंद्रेज बाबिस, केन्या के राष्ट्रपति उहुरू केन्याटा, इक्वाडोर के राष्ट्रपति गुइलेर्मो लासो, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शामिल हैं.
एक आरटीआई के माध्यम से साल 2010 में अमित जेठवा ने गिर वन क्षेत्र में चल रहीं अवैध खनन गतिविधियों में जूनागढ़ से भाजपा के पूर्व सांसद दीनू सोलंकी की संलिप्तता का खुलासा किया था. उन्होंने इस संबंध में गुजरात हाईकोर्ट में विशेष दिवानी आवेदन दाख़िल किया था. 20 जुलाई 2010 को जेठवा की हाईकोर्ट के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से यह जवाब अदालत में दायर उन याचिकाओं को लेकर आया है, जिसमें पीएम केयर्स फंड को सरकारी घोषित करने की मांग की गई है.
2018 में जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की घोषणा के बाद आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक ने अक्टूबर 2019 में राष्ट्रपति भवन में आरटीआई याचिका दायर कर 18 बिंदुओं पर जवाब मांगा था. केंद्रीय सूचना आयोग का कहना है कि राष्ट्रपति भवन ने बिना उचित कारण बताए गोपनीयता का हवाला देकर इसका जवाब देने से इनकार किया है.
नीलेश गजानन मराठे नाम के एक व्यक्ति ने आरटीआई आवेदन दायर कर पूछा था कि क्या उनके दो मोबाइल फोन की कोई ग़ैर क़ानूनी फोन टैपिंग की गई थी. इसके जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा कि टेलीग्राफ क़ानून के तहत नियमानुसार फोन टैपिंग का प्रावधान है, लेकिन इसकी जानकारी नहीं दे सकते क्योंकि यह क़ानून के उद्देश्य को ही निरर्थक कर देगा.