विदेश मंत्रालय की ओर से दो लापता व्यक्तियों के परिवार के सदस्यों को भेजे गए पत्र के अनुसार, क़रीब पच्चीस भारतीय जिन्हें धोखाधड़ी से रूसी सेना में भर्ती किया गया था और जबरन रूस-यूक्रेन सीमा पर युद्ध क्षेत्र में भेजा गया था, वे अब भी लापता बताए जा रहे हैं.
अमेरिका का कहना है कि उसने जिन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है, वो रूस को ऐसे सामान मुहैया करवा रही हैं, जिसका उपयोग रूस, यूक्रेन युद्ध में कर रहा है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि कंपनियों ने भारतीय क़ानूनों का उल्लंघन नहीं किया है और वे इस पर स्पष्टता के लिए अमेरिका के संपर्क में हैं.
रूस की एक निजी सेना में काम करने को मजबूर किए गए चार भारतीय नागरिक, जिनमें से एक तेलंगाना और तीन कर्नाटक के हैं, शुक्रवार को भारत लौट आए. उनके अनुसार, कम से कम 60 भारतीय युवाओं को उनकी तरह नौकरी का झांसा देकर रूसी सेना में शामिल किया गया था, जो अब भी वही हैं.
नरेंद्र मोदी का यूक्रेन दौरा इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि लगभग 30 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा यूक्रेन की पहली यात्रा है.
केरल के त्रिशूर जि़ले 36 वर्षीय संदीप पेशे से इलेक्ट्रीशियन थे औरअप्रैल में एक रेस्तरां में काम करने के लिए रूस गए थे. बताया गया है कि वे एक सैन्य कैंटीन में काम कर रहे थे जो यूक्रेन की सेना के हमलों की ज़द में आ गई.
विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने संसद में कहा कि रूसी सेना में सेवा देने वाले आठ भारतीय नागरिकों की मौत हुई है. इससे पहले सरकार ने केवल चार मौतों की पुष्टि की थी.
यूक्रेन के ख़िलाफ़ युद्ध में रूसी सेना में शामिल भारतीय नागरिक उर्गेन तमांग ने एक वीडियो जारी कर कहा है कि उनके ग्रुप के 15 में से 13 लोगों की मौत हो चुकी है. इससे पहले, उन्होंने मार्च में एक अन्य वीडियो में कहा था कि उन्हें हथियार प्रशिक्षण देकर जबरन युद्ध क्षेत्र में भेज दिया गया है.
वीडियो: मिसाइल इज़रायल पर चलाई गई और मौत एक भारतीय की हुई. युद्ध यूक्रेन और रूस के बीच चल रहा है और युद्ध के मैदान में मजबूरन पहुंचे दो भारतीय भी जान गंवा चुके हैं. कैसे ये लोग युद्धग्रस्त इलाके में पहुंचे? क्या मोदी सरकार के दौर में आर्थिक बदहाली से झेल रहे भारतीय इतने मजबूर हो चुके हैं कि आजीविका के लिए उन्हें जंग से जूझ रहे इलाकों में रहने से गुरेज़ नहीं है?
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कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: बर्बरता के लोकव्यापीकरण के इस युग में शक्तिशाली देश, जो मिनटों में युद्ध समाप्त करने की सैन्य और राजनयिक क्षमता रखते हैं, चुपचाप विभीषिका देख रहे हैं. सृजनधर्मियों के लिए यह बर्बरता और हिंसा के विरुद्ध आवाज़ उठाकर अपनी पक्षधरता सत्यापित करने का समय है.
देश भर में 120 से अधिक भर्ती एजेंसियों का प्रतिनिधित्व करने वाले इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन ने कहा कि कंपनियों द्वारा ठेकेदारों के माध्यम से काम पर रखे गए फ्लेक्सी कर्मचारियों की नौकरियों में एक साल पहले की तुलना में 7.7 प्रतिशत कम हो गई हैं.
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने फरवरी 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर यूक्रेनी बच्चों के अपहरण का आरोप लगाया है.
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट (सिपरी) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हथियारों के आयात में भारत की हिस्सेदारी पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक 11 प्रतिशत थी. भारत हथियारों की ख़रीद के मामले में 2013 से 2017 के बीच भी सबसे बड़ा आयातक था, जो कि पूरे विश्व में कुल हथियार आयात का 12 प्रतिशत है.
दिल्ली में हो रही जी-20 देशों की बैठक में यह स्पष्ट नहीं है कि क्या जी-20 अध्यक्ष भारत, यूक्रेनी विदेश मंत्री दिमित्री कुलेबा द्वारा वीडियो लिंक के ज़रिये सभा को संबोधित करने पर सहमत होगा. यूक्रेन के वित्त मंत्री ने पिछले सप्ताह जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों की बैठक को भी संबोधित नहीं किया था.
यूक्रेन में बढ़ते हालिया तनाव के मद्देनज़र भारतीय दूतावास ने हफ्ते भर से भी कम समय के अंदर दूसरा परामर्श जारी किया है. इसमें कहा गया है कि यूक्रेन में मौजूद सभी भारतीय नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे उपलब्ध साधनों से तुरंत यूक्रेन छोड़ दें.