इसके साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट ने एयर इंडिया को यह निर्देश दिए कि इन विमान चालकों को पुराने भत्ते भी देने होंगे. एयर इंडिया ने आर्थिक स्थिति और कोविड-19 महामारी का हवाला देते हुए पिछले साल 13 अगस्त को 48 पायलटों को बर्ख़ास्त कर दिया था.
इन 48 पायलटों ने समय पर वेतन और भत्ते न मिलने के कारण पिछले साल इस्तीफ़ा दे दिया था, लेकिन फिर छह महीने की नोटिस अवधि के भीतर इस्तीफ़ा वापस ले लिया था. एयर इंडिया ने इन्हें बर्ख़ास्त करने के पीछे का कारण कंपनी की आर्थिक स्थिति और कोविड-19 महामारी को बताया है.
एयर इंडिया ने कहा है कि जिन कर्मचारियों का कुल मासिक वेतन 25,000 रुपये से ज़्यादा है, उनके भत्तों में 50 फीसदी तक की कमी की जाएगी, हालांकि कंपनी की ओर से ये भी कहा गया है कि अन्य एयरलाइनों की तरह उसके किसी कर्मचारी की नौकरी नहीं जाएगी.
एयर इंडिया ने इससे पहले अपनी वित्तीय स्थिति का हवाला देकर अपने कर्मचारियों को पांच साल के लिए बिना वेतन अवकाश पर भेजने का फैसला किया है.
वित्तीय संकट से जूझ रही एयर इंडिया के पायलटों की यूनियनों ने सरकार से राष्ट्रीय विमानन कंपनी को वित्तीय मदद देने की मांग की है.
निजी विमानन कंपनी स्पाइसजेट के मुख्य विमान परिचालन अधिकारी ने ईमेल के ज़रिये जानकारी दी कि लॉकडाउन में जो पायलट मालवाहक विमानों से उड़ान भर रहे हैं, उन्हें उड़ान के घंटों के हिसाब से वेतन मिलेगा.