एसकेएम ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सेवानिवृत्त अधिकारियों की एक विशेष जांच टीम द्वारा चुनावी बॉन्ड मामले की जांच की मांग करते हुए कहा कि केंद्र द्वारा लाए गए तीनों कृषि क़ानून, चारों लेबर कोड और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण जैसे फैसले कॉरपोरेट चंदादाताओं को खुश करने के लिए थे.
किसान मज़दूर संघर्ष समिति के बैनर तले 200 किसान संगठनों और संयुक्त किसान मोर्चा के एक गुट ने 13 फरवरी को एमएसपी क़ानून और कृषि ऋण माफ़ी समेत विभिन्न मांगों को लेकर 13 फरवरी को दिल्ली कूच का आह्वान किया है. इससे पहले केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, नित्यानंद राय और पीयूष गोयल किसान प्रतिनिधियों से मिलने पहुंचे थे.
पुस्तक समीक्षा: आंदोलन के साथ ही आंदोलनों का दस्तावेज़ीकरण एक महत्वपूर्ण और ज़िम्मेदारी भरा काम है. पत्रकार मनदीप पुनिया ने कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन की यात्रा को तथ्यों के साथ रचनात्मक तरीके से दर्ज करते हुए इसी दिशा में प्रयास किया है.
सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने संयुक्त किसान मोर्चा की समन्वय समिति से इस्तीफ़ा देते हुए कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि सभी जन आंदोलनों और विपक्षी राजनीतिक दलों की ऊर्जा को किसान विरोधी मोदी सरकार के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए जोड़ा जाए. इसके लिए वे किसान आंदोलन के अलावा अन्य आंदोलनों के संपर्क में हैं.
अडानी समूह ने 2020 में हिमाचल प्रदेश में प्रीमियम गुणवत्ता वाले सेब के लिए 88 रुपये प्रति किलोग्राम की खरीद दर पेशकश की थी, जिसे दो साल बाद घटाकर 76 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया गया है. यही वजह है कि सेब उत्पादक खरीद क़ीमत में कम से कम 30 प्रतिशत की वृद्धि की मांग कर रहे हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य और हरियाणा भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने ‘संयुक्त संघर्ष पार्टी’ की घोषणा की है. उनके इस क़दम से एसकेएम में उनके भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि मोर्चे के नेता डॉ. दर्शन पाल कह चुके हैं कि राजनीति में जाने वाले किसानों को एसकेएम छोड़ना होगा.
वीडियो: एक साल से जारी ऐतिहासिक किसान आंदोलन में किसानों ने बहुत कुछ खोया है. इस दौरान क़रीब 700 से ज़्यादा किसानों की मौत हुई, किसी ने आत्महत्या की, तो किसी की बीमारी के चलते जान गई. आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों से बातचीत.
ट्रैक्टर मार्च को स्थगित करने का निर्णय संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले आया है. इस सत्र के दौरान तीन कृषि क़ानून निरस्त करने के लिए विधेयक पेश किया जाना है. इसके साथ ही किसान संगठनों ने केंद्र से उनकी लंबित मांगों के समाधान के लिए फिर से बातचीत शुरू करने का भी आह्वान भी किया है.