पिछले महीने प्रकाशित इस वार्षिक रिपोर्ट में से उस तालिका को हटा दिया गया है, जिसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के कर्मचारियों की संख्या का विवरण होता था.
विज्ञान की एक प्रमुख पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट बताती है कि भारत में आईआईटी-आईआईएस समेत विज्ञान क्षेत्र के प्रतिष्ठित संस्थानों में फैकल्टी पदों को भरने के लिए आरक्षण नियमों का पालन नहीं हो रहा है. वहीं, इन संस्थानों के विभिन्न पाठ्यक्रमों में भी दलित और आदिवासी छात्रों का प्रतिनिधित्व कम है.
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी का मामला है. सिटी इंटर कॉलेज में संस्कृत पढ़ाने वाले दलित शिक्षक ने आरोप लगाया है कि विद्यालय में क्षत्रिय शिक्षकों ने गुट बना रखा है, जो आए दिन उन्हें यह कह कर प्रताड़ित करते हैं. उनके खिलाफ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हैं और उन्हें कक्षाओं में पढ़ाने के लिए नहीं जाने देते तथा उपस्थिति रजिस्टर पर हस्ताक्षर भी नहीं करने देते.
आरोप है कि उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फरनगर ज़िले के ताजपुर गांव में दलित युवक द्वारा वॉट्सऐप ग्रुप में टिप्पणी किए जाने को लेकर ग्राम प्रधान ने उन्हें चप्पल से पीटा और जान से मारने की धमकी दी थी.
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) के अध्यक्ष डॉ. भगवान लाल साहनी ने कहा कि जाति आधारित जनगणना निश्चित तौर पर नीति निर्माताओं को पिछड़े वर्ग के लिए कल्याणकारी नीतियां बनाने में मददगार साबित होगी. अगर ऐसा हुआ तो सरकार के लिए यह जानना आसान होगा किस जाति के कितने लोग हैं और उनके लिए क्या किया जाना चाहिए.
ग्रामीण भारत में कृषक परिवारों की स्थिति को लेकर हाल ही में एनएसओ द्वारा जारी किए गए एक सर्वे के मुताबिक़, देश के 17.24 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 44.4 फीसदी अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी से हैं.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना की अपनी मांग को दोहराते हुए कहा कि इससे विकास की दौड़ में पिछड़ रहे समुदायों की प्रगति में मदद मिलेगी. इसकी मांग न केवल बिहार बल्कि कई राज्यों से आ रही है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में जाति के आधार पर जनगणना को ख़ारिज करते हुए कहा था कि पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर’ है.
शीर्ष अदालत में केंद्र की दलील ऐसे समय में आई है, जब उसे विपक्षी दलों और यहां तक कि जदयू जैसे उसके सहयोगियों से जातिगत जनगणना की मांग लगातार की जा रही है. बीते 20 जुलाई को लोकसभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा था कि भारत सरकार ने फैसला किया है कि जनगणना में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य जाति-वार आबादी की गणना नहीं की जाएगी.