कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने दावा किया है कि एक ‘मोनोपोली बचाओ सिंडिकेट' काम कर रहा था, जिसके तहत अडानी समूह, प्रमुख नियामक निकायों और भाजपा के बीच ‘खतरनाक सांठगांठ’ थी.
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद हितों के टकराव संबंधी गंभीर आरोपों का सामना कर रहीं सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच बीते 24 अक्टूबर को व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए संसद की लोक लेखा समिति के समक्ष प्रस्तुत नहीं हुई थीं.
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के क़रीब 500 अधिकारियों द्वारा बीते माह वित्त मंत्रालय को लिखे गए एक शिकायती पत्र में कहा गया था कि सेबी की बैठकों में अधिकारियों के ऊपर चिल्लाना, डांटना और सार्वजनिक रूप से अपमानित करना आम बात हो गई है.
बीते फरवरी में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने माधबी बुच के नेतृत्व में अमेरिकी फर्म ब्लैकस्टोन द्वारा नियंत्रित कंपनी आधार हाउसिंग फाइनेंस के आईपीओ को मंजूरी दी थी.
हिंडनबर्ग रिसर्च ने बताया है कि इस साल 31 मार्च तक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड की अध्यक्ष माधबी बुच के पास अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड की 99% हिस्सेदारी थी. इस कंपनी ने बुच के सेबी में रहने के दौरान सात सालों में 3 करोड़ रुपये से ज़्यादा की कमाई की.
हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा सेबी प्रमुख माधबी बुच और उनके पति की अडानी समूह से जुड़े विदेशी फंडों में हिस्सेदारी के आरोपों पर जदयू ने कहा कि विपक्ष कितने मुद्दों पर जेपीसी की मांग करेगा. वहीं, तेदेपा का कहना है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में किए गए ख़ुलासे 'केवल आरोप' हैं.
हिंडेनबर्ग रिसर्च ने कहा है कि सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अडानी समूह से जुड़े विदेशी फंडों में हिस्सेदारी के आरोपों की इसकी ताज़ा रिपोर्ट पर दंपत्ति की प्रतिक्रिया बड़े पैमाने पर हितों के टकराव का संकेत देती है.
हिंडनबर्ग रिसर्च की ताज़ा रिपोर्ट में सामने आए सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अडानी समूह से जुड़े विदेशी फंडों में हिस्सेदारी के आरोपों को लेकर दंपत्ति ने कहा कि उक्त निवेश उन्होंने सिंगापुर में रहते हुए एक आम नागरिक के तौर पर किया था.
अमेरिकी वित्तीय शोध संस्थान हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी नई रिपोर्ट में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) प्रमुख माधबी बुच पर अपनी आय छिपाने और अपने पति की कंपनी को लाभ पहुंचाने के भी आरोप लगाए हैं. साथ ही, अडानी समूह के स्टॉक हेरफेर और वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े मामले में सेबी की जांच की निष्पक्षता पर संदेह व्यक्ति किया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस पर झूठा आरोप लगा रहे हैं कि वह चुनाव में उद्योगपति मुकेश अंबानी और गौतम अडानी को मुद्दा नहीं बना रही है, जबकि इस दौरान वह स्वयं उन ज्वलंत सवालों का जवाब नहीं देते हैं जो इन दोनों उद्योगपतियों के साथ उनकी सरकार के संबंधों को लेकर उठते रहे हैं.
रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया कि इस साल की शुरुआत में अडानी ग्रुप में निवेश करने वाले एक दर्जन ऑफशोर निवेशकों को नियमों के उल्लंघन के आरोप पर नोटिस भेजा गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने अडानी समूह के ख़िलाफ़ हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों की जांच भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) से सीबीआई को स्थानांतरित करने या एसआईटी गठित करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है. इससे इनकार करते हुए अदालत ने सेबी को 3 महीने में जांच पूरी करने का निर्देश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह के ख़िलाफ़ लगाए गए आरोपों की अदालत की निगरानी में जांच की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. शीर्ष अदालत ने कहा है कि जब सेबी के नियामक क्षेत्र की बात आती है तो अदालत के पास सीमित क्षेत्राधिकार है.
सेबी ने आरोप लगाया है कि ज़ी समूह की सूचीबद्ध कंपनियों से ग़ैर-सूचीबद्ध कंपनियों में धन की हेराफेरी की गई जो अंततः सूचीबद्ध कंपनियों के पास ही पहुंच गया. इसके साथ ही सेबी ने सुभाष चंद्रा और उनके बेटे पुनीत गोयनका को कंपनी में किसी भी निदेशक या प्रमुख प्रबंधकीय पद पर रहने से प्रतिबंधित कर दिया है.
वीडियो: मीडिया का एक तबका कह रहा है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ने अडानी समूह को क्लीन चिट दे दी है. क्या वाकई ऐसा हुआ है? इसे जानने का तरीका यह है कि जाना जाए कि हिंडनबर्ग रिसर्च में आरोप क्या थे और क्या कोर्ट ने इन सभी को लेकर कोई कमेटी बनाई थी? अगर नहीं तो फिर कमेटी का काम क्या था?