हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी समूह पर लगे आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले में सेबी को बेदाग़ बताया गया है, जबकि समूह पर लगे आरोपों को लेकर सवाल सेबी के नियामक के बतौर कामकाज पर भी हैं.
बीते जनवरी माह में अमेरिका वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि दो साल की जांच में पता चला है कि अडानी समूह दशकों से ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है.
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अडानी समूह पर स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी का आरोप लगने के बाद सेबी मामले की जांच कर रहा है. सेबी ने जांच के लिए छह महीने का समय मांगा था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच के लिए सेबी लंबा समय नहीं ले सकता है. हम उसे तीन महीने का समय देंगे.
बीते जनवरी माह में अमेरिका वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि दो साल की जांच में पता चला है कि अडानी समूह दशकों से ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था.
अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह पर लगाए गए आरोपों की जांच कर रहे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि अब तक की जांच में 12 संदिग्ध लेन-देन के अलावा, उसने और भी संभावित उल्लंघन पाए हैं, जिनकी जांच पूरी करने के लिए कम से कम छह माह की ज़रूरत होगी.
ब्लूमबर्ग में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट का नतीजा यह रहा कि अडानी समूह द्वारा कुछ निवेशों को रोक दिया गया, इसके अलावा पूंजीगत व्यय में कटौती की गई और परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए एक अलग दृष्टिकोण पर विचार किया जाने लगा.
अडानी एंटरप्राइज़ेज़ लिमिटेड ने इसकी एक कंपनी मुंद्रा पेट्रोकेम लिमिटेड का काम अगली सूचना तक रोक दिया है. यह निर्णय अमेरिका की हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह पर बड़े पैमाने पर ऑडिट धोखाधड़ी और स्टॉक हेरफेर के आरोप लगाने वाली रिपोर्ट सामने आने के दो महीने बाद आया है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अडानी समूह के शेयर्स में मुख्य हिस्सा रखने वाले चार फंड्स में से एक- मॉरीशस की एलारा इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड समूह की एक रक्षा कंपनी की सह-मालिक है, जिसका केंद्र सरकार के साथ 590 करोड़ रुपये का एक अनुबंध भी है.
बीते सोमवार को केंद्र की मोदी सरकार ने लोकसभा में यह जानकारी दी है. एक अन्य सवाल के जवाब में सरकार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अडानी समूह के ख़िलाफ़ लगाए गए आरोपों के संबंध में चल रही जांच को सेबी दो महीने के भीतर पूरा करेगा.
वीडियो: बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने अडानी समूह को लेकर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से जुड़े मसलों की जांच के लिए शीर्ष अदालत के पूर्व जज जस्टिस अभय मनोहर सप्रे की अध्यक्षता में समिति बनाई है. यह इस बात का पता लगाएगी कि क्या भारत का नियामिकीय ढांचा ठीकठाक है या नहीं.
विशेष रिपोर्ट: सिंगापुर की एक कंपनी गुदामी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड, जो अडानी समूह का हिस्सा रही है, के ख़िलाफ़ अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले में ईडी द्वारा 2014 और 2017 में चार्जशीट दायर की गई थी. इस पर घोटाले के प्रमुख आरोपी गौतम खेतान के साथ कंसल्टेंसी सर्विसेज़ के नाम पर जाली इनवॉइस बनाकर कारोबार करने का आरोप लगाया गया था.
अडानी समूह के ख़िलाफ़ धोखाधड़ी का आरोप लगाने वाली रिपोर्ट जारी करने के बाद सोशल मीडिया पर ऐसी ख़बरें चलने लगी थीं कि हिंडनबर्ग रिसर्च के ख़िलाफ़ अमेरिका में तीन मामलों की जांच चल रही है, इसके बैंक एकाउंट जब्त कर दिए गए हैं और इसे न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनियों पर रिपोर्ट जारी करने से रोक दिया गया है.
अडानी समूह को लेकर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट पर मचे विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि निवेशकों के हितों को बाज़ार के उतार-चढ़ाव से बचाने की ज़रूरत है. अदालत ने बाज़ार नियामक तंत्र को मज़बूत करने के लिए केंद्र से एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में क्षेत्र के विशेषज्ञों की एक समिति के गठन पर विचार करने के लिए भी कहा है.
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में बड़े कारोबारी घरानों को दिए गए 500 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण के लिए मंज़ूरी नीति की निगरानी को लेकर एक विशेष समिति गठित करने के बारे में भी निर्देश देने की मांग की गई है. अमेरिकी निवेश अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि अडानी समूह दशकों से ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है.
अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह की कंपनियों के ख़िलाफ़ ‘स्टॉक हेरफेर और धोखाधड़ी’ के आरोपों के बाद समूह के शेयरों में गिरावट शुरू होने के बीच अपनी चुप्पी तोड़ते हुए सरकार ने कहा कि एसबीआई और एलआईसी ने बहुत स्पष्ट रूप से कहा है कि उनके द्वारा दिया गया क़र्ज़ अनुमति सीमा के भीतर है.