वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट बताती है कि भारत में नेटफ्लिक्स और अमेज़ॉन प्राइम वीडियो को धर्म, राजनीति और जाति विभाजन से जुड़े प्रोजेक्ट को लेकर भाजपा और हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों के दबाव का सामना करना पड़ता है, जिसके चलते कई प्रोजेक्ट या तो रद्द कर दिए जाते हैं या उन्हें बीच में ही रोक दिया जाता है.
साल दर साल भारत में मीडिया पर नियंत्रण और सेंसरशिप ख़त्म होने के बजाय बढ़ रही है. इस मामले में सभी राजनीतिक दल एक जैसे हैं. वे आज़ाद मीडिया की जगह नियंत्रित मीडिया को प्यार करते हैं.
अंतरराष्ट्रीय संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स का कहना है कि 2015 से अब तक सरकार की आलोचना करने वाले नौ पत्रकारों की हत्या कर दी गई.
प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर अंतर्राष्ट्रीय संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की ओर से किए गए एक अध्ययन में 180 देशों की सूची में भारत 136वें स्थान पर है.