2006 में नोएडा में डकैती के एक मामले में 26 वर्षीय व्यक्ति की हिरासत में लिए जाने के बाद मौत हो गई थी, जिसके लिए 2019 में यूपी पुलिस के पांच कर्मचारियों को दस साल क़ैद की सज़ा सुनाई गई थी. अब दिल्ली हाईकोर्ट ने रिकॉर्ड में गंभीर विसंगतियों का हवाला देते हुए निचली अदालत के सज़ा के आदेश को बरक़रार रखा है.
सीबीआई अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा समेत 12 लोगों को इस मामले में सबूतों के अभाव में बाइज़्ज़त बरी कर दिया.
चाईबासा कोषागार मामले में पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र को भी दोषी क़रार देते हुए उन्हें भी पांच साल की सज़ा सुनाई गई है.
चारा घोटाले में कई बार जेल जाने वाले लालू जैसे छत्रप का यह तिलिस्म ही है कि एक बड़ी जमात उन्हें ज़मीनी नेता मानने से गुरेज नहीं करती. तभी जेल में उनसे मिलने वालों का तांता लगा हुआ है.
विशेष सीबीआई अदालत ने क़ैद के साथ 10 लाख रुपये का ज़ुर्माना भी लगाया.