जीबी रोड की ज़्यादातर सेक्स वर्कर्स के लिए लोकसभा चुनाव और उसके नतीज़े के कोई मायने नहीं है. उनका कहना है कि सरकार ने उनके लिए सालों से कुछ नहीं किया, इसलिए अब उम्मीद भी नहीं है. यह इलाका चांदनी चौक संसदीय क्षेत्र में आता है, जहां इस बार मुक़ाबला 'इंडिया' गठबंधन से उतरे कांग्रेस के जेपी अग्रवाल और भाजपा के प्रवीण खंडेलवाल के बीच है.
शीर्ष अदालत ने यौनकर्मियों के पुनर्वास के लिए गठित एक समिति की सिफ़ारिशों पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पुलिस बलों को यौनकर्मियों और उनके बच्चों के साथ सम्मान के साथ व्यवहार और मौखिक या शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार न करने का निर्देश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) द्वारा जारी एक प्रोफार्मा प्रमाण-पत्र के आधार पर यौनकर्मियों को आधार कार्ड जारी किए जाने का निर्देश दिया और कहा कि यौनकर्मियों की गोपनीयता भंग नहीं होनी चाहिए और उनकी पहचान उजागर नहीं की जानी चाहिए.
गंगूबाई फिल्म एक सिनेमेटिक अनुभव की दृष्टि से तो महत्वपूर्ण है ही, पर इस फिल्म के योगदान को जिस चीज़ के लिए माना जाना चाहिए वह है- वेश्याओं के छुपे हुए संसार को अंधेरे गर्त से निकाल कर सतह पर लाना.
29 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने राज्यों को पहचान के सबूत के बिना ही यौनकर्मियों को राशन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. अब कोर्ट ने समुदाय आधारित संगठनों से अपने क्षेत्रों में यौनकर्मियों की एक सूची तैयार कर उसे संबंधित ज़िला क़ानूनी सेवा प्राधिकरण या नाको द्वारा सत्यापित करने का निर्देश दिया है. अदालत ने यह भी कहा कि ऐसा करते हुए राज्य के अधिकारी मामले में गोपनीयता बनाए रखें.
यौनकर्मियों को राशन मुहैया कराने को लेकर दिए गए निर्देश का पालन न करने पर कोर्ट ने नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहा कि गरिमा का अधिकार एक मौलिक हक़ है जो देश के प्रत्येक नागरिक को उसके व्यवसाय की परवाह किए बिना दिया जाना चाहिए.
11 अगस्त को नागपुर के कमिश्नर द्वारा एकाएक शहर के बीचोंबीच बने रेड लाइट एरिया 'गंगा-जमुना' को बंद करने के आदेश के बाद यहां की सेक्स वर्कर्स की आय बंद हो गई. राज्य की महिला और बाल विकास मंत्री यशोमती ठाकुर ने इस क़दम की आलोचना करते हुए कहा है कि पुलिस ने उनकी आजीविका के बारे में सोचे बिना यह कार्रवाई की है.
कोलकाता का उषा बहुउद्देश्यीय कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड भारत का इकलौता ऐसा बैंक है जिसे सेक्स वर्कर्स द्वारा उन्हीं के समुदाय के लिए चलाया जाता है. वर्तमान में बैंक की बढ़ती चुनौतियां दिखा रही हैं कि कोरोना महामारी के चलते यह समुदाय भी आर्थिक रूप से बेहद प्रभावित हुआ है.
वीडियो: कोरोना महामारी आ जाने से देश में कई व्यापार ठप हो गए हैं. भारत में सेक्स-वर्क ग़ैरक़ानूनी नहीं है, लेकिन कोरोना वायरस ने इसे लगभग ख़त्म कर दिया है, जिसके चलते दिल्ली के जीबी रोड की सेक्स वर्कर काफ़ी परेशान हैं और वो दिल्ली सरकार से मांग कर रही हैं कि अगर इसके अलावा भी कोई काम मिले तो वो करने को तैयार हैं.
एनएचआरसी की एडवाइज़री में कहा गया है कि सेक्स वर्कर्स को अनौपचारिक कामगार के तौर पर मान्यता दी जानी चाहिए और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन जैसी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचाने के लिए उन्हें अस्थायी दस्तावेज जारी किया जाना चाहिए. कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण इनकी दयनीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह क़दम उठाया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को चार हफ़्ते के भीतर इस आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट दाख़िल करने का भी निर्देश दिया है कि कितनी यौनकर्मियों को राशन दिया गया. एक याचिका में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी की वजह से यौनकर्मियों की स्थिति बहुत ही ख़राब है. उन्हें राशन कार्ड और दूसरी सुविधाएं उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से यह जानना चाहा है कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत यौनकर्मियों को तुरंत क्या राहत प्रदान की जा सकती है. अदालत ने कहा कि राशन कार्ड न होने की वजह से लोगों को राशन नहीं मिल पा रहा है. वे गंभीर संकट में हैं.
कोरोना संक्रमण के मद्देनज़र हुए लॉकडाउन ने हज़ारों कामगारों पर आजीविका का संकट ला दिया है, जिससे उनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी चलनी मुश्किल हो गई है. इन कामगारों में सेक्स वर्कर्स भी शामिल हैं.
एक सामाजिक संगठन द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है कि यौनकर्मियों के पुनर्वास और उत्थान के लिए देह व्यापार को क़ानूनी जामा पहनाने की ज़रूरत है.