वीडियो: इंस्टाग्राम के बॉयज़ लॉकर रूम नाम के दिल्ली के स्कूली बच्चों के एक ग्रुप में गैंगरेप करने और लड़कियों को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी का मामला सामने आया है. इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की वकील अवनि बंसल और करुणा नंदी से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी ने चर्चा की.
‘बॉयज़ लॉकर रूम’ इंस्टा ग्रुप में स्कूली लड़कों की अभद्र बातचीत और नाबालिग लड़कियों की आपत्तिजनक तस्वीरों के स्क्रीनशॉट्स सामने आने के बाद दिल्ली पुलिस के साइबर सेल ने मामले का संज्ञान लेकर मामला दर्ज किया है.
दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान जान-माल के नुकसान के अलावा बड़ी संख्या में महिलाओं के साथ बदसलूकी की घटनाएं हुई हैं, लेकिन ये ख़ौफ़ज़दा पीड़ित पुलिस में शिकायत दर्ज कराना तो दूर इसके बारे में बात करने से भी कतरा रही हैं.
वीडियो: दिल्ली दंगों के दौरान हुई हिंसा के साथ महिलाओं के साथ बदसलूकी की घटनाएं भी हुई हैं. शिव विहार में हिंसा के बाद ढेरों महिलाओं ने मुस्ताफाबाद में शरण ली है. इन महिलाओं ने द वायर को बताया कि दंगों के दौरान उनके साथ यौन हिंसा की भी घटनाएं हुई हैं.
पाकिस्तान के मशहूर फिल्मकार जमशेद महमूद रज़ा ने अंग्रेज़ी अख़बार 'डॉन' के सीईओ हमीद हारून पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. उनका यह भी कहना है कि इन आरोपों का अख़बार से कोई लेना-देना नहीं है, वे बस यौन उत्पीड़न के अन्य पीड़ितों को हौसला देना चाहते हैं.
आंध्र प्रदेश दिशा अधिनियम आपराधिक क़ानून (आंध्र प्रदेश संशोधन) अधिनियम, 2019 के तहत यौन अपराध के मामलों की जांच उनके दर्ज होने के सात कामकाजी दिन और मुक़दमे की सुनवाई आरोपपत्र दाखिल होने के 14 कामकाजी दिन के भीतर पूरी करनी होगी.
मार्च में किशोरी ने स्कूल के हेडमास्टर के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत वापस लेने से मना करने पर किशोरी की हत्या कर दी गई.
मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंडिया के अनुसार, सितंबर 2015 से अब तक कथित रूप से हुए घृणा-आधारित अपराधों के कुल 721 मामले सामने आए हैं, जिनमें से एक बड़ी संख्या दलितों और मुसलमानों के ख़िलाफ़ हुए अपराधों की है.
मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि शादी जैसे रिश्ते में पुरुष और महिला दोनों को ही शारीरिक संबंध के लिए न कहने का अधिकार है.
बस्तर की एक नाबालिग ने सैन्य बलों पर सामूहिक बलात्कार का आरोप लगाया था.
कठुआ रेप पीड़िता के नाम का खुलासा करने पर अदालत में चल रही सुनवाई में एक मीडिया घराने ने बचाव में कहा कि उसने जनभावनाएं जगाने, सहानुभूति बटोरने तथा न्याय सुनिश्चित करने के लिए बच्ची का नाम और तस्वीर प्रकाशित की.
उच्चतम न्यायालय ने कहा, 'मीडिया रिपोर्टिंग पीड़ित का नाम लिए बगैर भी की जा सकती है. भले ही पीड़ित नाबालिग या विक्षिप्त हो तो भी उसकी पहचान का खुलासा नहीं करना चाहिए.'
अगर घर की चारदीवारी के भीतर अन्य अपराध होते हैं, तब हम कैसे मान सकते हैं कि मैरिटल रेप नहीं होता होगा?
चुनावी सरगर्मी के दौरान लगातार मुज़फ़्फ़रनगर दंगों की बात होती रही पर क्यों किसी भी राजनीतिक दल ने दंगों में बलात्कार की शिकार इन महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए आवाज़ नहीं उठाई?