मार्च 2011 में सुकमा ज़िले के तीन गांवों में आदिवासियों के घरों में आग लगाई गई थी. पांच महिलाओं से बलात्कार हुआ और तीन ग्रामीणों की हत्या हुई थी. इसका आरोप पुलिस पर लगा था. सीबीआई की एक रिपोर्ट में भी विवादित पुलिस अधिकारी एसआरपी कल्लूरी और पुलिस को ज़िम्मेदार बताया गया था, लेकिन हाल ही में विधानसभा में पेश एक रिपोर्ट बताती है कि मामले में पुलिस को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया.
सुकमा पुलिस अधीक्षक इंदिरा कल्यान एलेसेला ने कहा है कि ईशा खंडेलवाल और शालिनी गेरा जैसे मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को वाहन से सड़क पर कुचल देना चाहिए.