नरेगा संघर्ष मोर्चा (जो कि मनरेगा से जुड़े श्रमिकों और कार्यकर्ताओं का संगठन है) का एक प्रतिनिधिमंडल 6 दिसंबर, 2024 को भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव से मिला और अपनी मांगों का एक ज्ञापन सौंपा.
मध्य प्रदेश के मंदसौर में 6 जून 2017 को किसान आंदोलन के दौरान पुलिस की फायरिंग में छह किसानों की मौत हो गई थी. संयुक्त किसान मोर्चा ने इसके लिए राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जिम्मेदार ठहराया है और उन्हें केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय आवंटित करने के एनडीए सरकार के फैसले का विरोध जताया है.
मध्य प्रदेश के मुरैना ज़िले में विकलांगता कोटे के तहत प्राथमिक स्कूलों में नियुक्त किए गए कम से कम 77 शिक्षकों पर नौकरी के लिए फर्जी तरीके से विकलांगता प्रमाण-पत्र प्राप्त करने का केस दर्ज किया गया है. चयनित 750 शिक्षकों में से 450 ने मुरैना जिला अस्पताल द्वारा जारी प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया था.
मध्य प्रदेश के सागर ज़िले में बीते 21 जून को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने दलित परिवारों के सात घरों को ध्वस्त कर दिया गया. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि जब प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बन रहे थे, तब प्रशासन क्यों सो रहा था.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कट्टरता का पाठ पढ़ाने वाले अवैध मदरसों और संस्थानों की समीक्षा होगी. प्रदेश में किसी तरह का अतिवाद और कट्टरता बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने ऐसे संस्थानों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई के भी निर्देश दिए हैं.
मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता राजा पटेरिया को बीते 13 दिसंबर 2022 को कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने की बात कहने के लिए गिरफ़्तार कर लिया गया था. हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया था कि मारने का मतलब उन्हें हराने से था. क़रीब 80 दिन जेल में बिताने के बाद बीते दिनों उन्हें रिहा कर दिया गया.
मध्य प्रदेश के देवास ज़िले का मामला है. विवाहित आदिवासी महिला के किसी और से संबंध होने के शक में ग्रामीणों के एक समूह ने उनके कंधे पर उनके पति को बैठाया और फिर उनकी पिटाई करते हुए पूरे गांव में जुलूस निकाला. महिला के कपड़े भी फाड़ दिए गए और उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया. महिला के पति सहित 11 नामज़द लोगों और कुछ अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है. अब तक 12 लोग गिरफ़्तार किए
घटना मध्य प्रदेश गुना ज़िले के बमोरी थाना क्षेत्र की है. आरोप है कि आरोपियों ने पीड़ित महिला के परिवार की ज़मीन पर क़ब्ज़ा कर रखा था, जिसे तहसीलदार बमोरी ने मई में ही मुक्त कराकर इस महिला के परिवार को सौंप दिया था. बीते दो जुलाई को महिला इसी खेत में गई हुई थीं, तभी आरोपी पक्ष के लोगों ने उनको खेत में ही जला दिया.
उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले के डामटा के पास यह हादसा हुआ. हादसे में तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. सभी यात्री मध्य प्रदेश के पन्ना ज़िले के रहने वाले थे.
मामला झाबुआ का है, जहां विश्व हिंदू परिषद के सदस्य होने का दावा करने वाले लोगों ने ज़िले में चर्चों को ध्वस्त करने की धमकी दी है. इसके बाद एक बिशप ने ईसाइयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा है कि राज्य में समुदाय पर हो रही हिंसा तुरंत बंद होनी चाहिए.
मध्य प्रदेश के उज्जैन ज़िले का मामला है. महिदपुर क़स्बा निवासी कबाड़ डीलर अब्दुल राशिद एक गांव गए थे. आरोप है कि वहां उन्हें धमकी दी गई कि क्षेत्र में कबाड़ का कारोबार बंद करें. जब वे गांव से निकले तो रास्ते में दो लोगों ने उन्हें रोक लिया और उनके साथ हाथापाई की. फ़िर कथित तौर पर ‘जय श्री राम’ बोलने के लिए भी मजबूर किया.
मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत मध्य प्रदेश के छतरपुर ज़िले में 10 गांवों को विस्थापित किया जाना है. ग्रामीणों का कहना है कि पहले से ही तमाम बुनियादी सुविधाओं के बिना चल रही उनकी ज़िंदगी को यह प्रोजेक्ट यातनागृह में तब्दील कर देगा. उन्हें यह डर भी है कि तमाम अन्य परियोजनाओं की तरह उन्हें उचित मुआवज़ा नहीं मिलेगा.
दस्तावेज़ दर्शाते हैं कि केंद्र ने केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के तहत जल बंटवारे के समाधान के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की कई ऐसी शर्तों को स्वीकार किया है, जिसके चलते अतिरिक्त संरचनाओं का निर्माण करना होगा. नतीजतन कुल लागत में बढ़ोतरी होगी और सरकार ने जिस लाभ का दावा किया है, वह झूठा साबित होगा.
द वायर को प्राप्त दस्तावेज़ों के अनुसार, जल शक्ति मंत्रालय के पूर्व सचिव यूपी सिंह ने केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के तहत मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की पानी की ज़रूरतों की आपूर्ति के लिए तैयार प्रावधानों पर सहमति नहीं जताई थी. उनका कहना था यदि इसे लागू किया गया तो परियोजना दूसरी दिशा में चली जाएगी और लागत काफी बढ़ जाएगी.
विवादित केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के समझौते को अंतिम रूप देते समय केन नदी में जल की मात्रा का पता लगाने के लिए नया अध्ययन कर आंकड़ों को अपडेट करने की ज़रूरत महसूस की गई. लेकिन एक अधिकारी के निर्देश पर पुराने डेटा को बरक़रार रखा गया और अंत में इसी आधार पर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने क़रार पर दस्तख़त कर दिए.