दिल्ली-हरियाणा की सिंघू सीमा पर किसानों के प्रदर्शनस्थल के पास एक व्यक्ति की पीट-पीट कर हत्या के मामले में पुलिस ने एक निहंग सिख को गिरफ़्तार किया है. 15 दलित संगठनों ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को एक ज्ञापन सौंपते हुए दोषियों को कड़ी सज़ा देने की मांग की. वहीं, राजनीतिक दलों ने भी इस घटना की निंदा करते हुए व्यापक जांच की मांग उठाई है.
दिल्ली-हरियाणा सिंघू बॉर्डर पर पर किसानों के प्रदर्शनस्थल के पास शुक्रवार सुबह एक शख़्स का क्षत-विक्षत शव बरामद किया गया. शख़्स को बैरिकेड से बांधा गया था. उसकी कलाई कटी हुई थी और उसके टखने और पैर टूटे हुए थे. घटना से संबंधित एक वायरल वीडियो में निहंग सिखों द्वारा कथित तौर पर सिखों के पवित्र ग्रंथ की बेअदबी के आरोप में उसकी हत्या करने की बात कही जा रही है.
आज़ादी के सात दशक बाद भी जो औरतें धर्म या जाति की सीमाओं के बाहर जीवनसाथी चुनने का साहस दिखाती हैं, उन्हें परिवार और समाज के साथ पुलिस और नेताओं की प्रताड़ना का शिकार होना पड़ रहा है. वक़्त आ गया है कि महिलाओं द्वारा साथी के चयन को मूल अधिकारों की श्रेणी में शामिल किया जाए और इसकी रक्षा के लिए परिवार, समुदाय, राजनीतिक दलों और राज्य की कट्टरता के विरुद्ध खड़ा हुआ जाए.
अमेरिका के प्यू रिसर्च सेंटर ने भारत में धार्मिकता को लेकर सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रकाशित की है. रिपोर्ट दिखाती है कि हम भारतीय दूर से सलाम का उसूल मानते हैं. आप हमसे ज़्यादा दोस्ती की उम्मीद न करें, हम आपको तंग नहीं करेंगे जब तक आप अपने दायरे में बने रहें.
वीडियो: कश्मीर में दो सिख लड़कियों के धर्म परिवर्तन और निकाह का मामला तूल पकड़ चुका है. सिख समुदाय के लोग कश्मीर से लेकर नई दिल्ली तक प्रदर्शन कर रहे हैं. इनका आरोप है कि कश्मीर में आए दिन अपहरण, दबाव बनाकर तो कभी बहला-फुसलाकर लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है. इस मुद्दे पर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी ने जम्मू कश्मीर के पत्रकारों गौहर गिलानी, शाकिर मीर और समाजसेवी कंवलजीत कौर से चर्चा की.
वीडियो: देश में धर्मांतरण का मुद्दा एक बार फ़िर सुर्खियों में है. यह एक ऐसा विषय है जिस पर समय दर समय राजनीति होती रहती है. इस मसले पर राजनीति शास्त्री नीरा चंडोक से बात कर रहे हैं दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद.
बीते कुछ सालों से बहुसंख्यकवाद पर सामाजिक ऊर्जा और विचार दोनों ख़र्च किए गए, लेकिन आज संकट की इस घड़ी में बहुसंख्यकवादी इंफ्रास्ट्रक्चर कितना काम आ रहा है? महामारी ने यह अवसर दिया है कि अपनी प्राथमिकताएं बदलकर संकुचित, उग्र और छद्म राष्ट्रवाद को त्याग दिया जाए.
ऑपरेशन ब्लू स्टार के 36 साल पूरे होने के मौक़े पर अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि दुनिया का हर सिख खालिस्तान चाहता है, अगर भारत सरकार इसकी पेशकश करेगी, तो हम इसे स्वीकार करेंगे.
पाकिस्तान की ओर से यह कदम मानवाधिकार की उस रिपोर्ट के आने के बाद उठाया गया है, जिसमें खुलासा हुआ था कि 2019 में विवादास्पद ईशनिंदा कानून के तहत अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न और उनका जबरन धर्मांतरण जारी है.
अमेरिकी इतिहास से जुड़ा एक पन्ना बताता है कि मीडिया और बुद्धिजीवियों के एक वर्ग द्वारा समर्थित जातिवादी और सांप्रदायिक ज़हर लंबे समय से राजनीति का खाद-पानी है.
अफ़गानिस्तान की राजधानी काबुल में बीते 25 मार्च को एक गुरुद्वारे में घुसकर की गई गोलीबारी में 27 लोगों की जान गई थी.
बीते दिनों एक रैली में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि महात्मा गांधी ने 1947 में कहा था कि पाकिस्तान में रहने वाला हिंदू, सिख हर नज़रिये से भारत आ सकता है. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बताया था कि गांधी जी ने कहा था कि पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू और सिख साथियों को जब लगे कि उन्हें भारत आना चाहिए तो उनका स्वागत है. क्या वाकई महात्मा गांधी ने ऐसा कहा था जैसा प्रधानमंत्री और गृहमंत्री
वीडियो: जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाने के केंद्र सरकार के फैसले पर द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी ने कश्मीर के सिख समुदाय के लोगों से बातचीत की.
फिल्में जितने लोगों तक पहुंचती हैं, कोई इतिहास की किताब नहीं पहुंचती. तो केसरी के बाद सारागढ़ी के युद्ध की जो रूपरेखा इस फिल्म दिखाई गई है, वही सार्वजनिक कल्पना में इतिहास का स्थान ले लेगी.
‘मित्रो मरजानी’ के बाद सोबती पर पाठक फ़िदा हो उठे थे. ये इसलिए नहीं हुआ कि वे साहित्य और देह के वर्जित प्रदेश की यात्रा पर निकल पड़ी थीं. ऐसा हुआ क्योंकि उनकी महिलाएं समाज में तो थीं, लेकिन उनका ज़िक्र करने से लोग डरते थे.