द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के अपने घोषणा-पत्र में कांग्रेस ने दावा किया था कि अगर वह सत्ता में आई तो बजरंग दल और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया जैसे संगठनों के ख़िलाफ़ कड़ी एवं निर्णायक कार्रवाई करेगी. इस पर विश्व हिंदू परिषद की चंडीगढ़ इकाई ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को 100 करोड़ रुपये का मानहानि का नोटिस भेजा है.
एनआईए ने 27 अक्टूबर 2013 को बिहार की राजधानी पटना में नरेंद्र मोदी की एक चुनावी रैली के स्थान पर हुए इन विस्फोटों के सिलसिले में कुल 11 लोगों के ख़िलाफ़ आरोप-पत्र दायर किया था. किसी आतंकवादी संगठन ने इस घटना की ज़िम्मेदारी नहीं ली थी, लेकिन संदेह था कि इस घटना के पीछे प्रतिबंधित संगठन सिमी और इंडियन मुजाहिदीन का हाथ है.
2017 में एनएचआरसी ने अपनी जांच में पाया था कि अक्टूबर 2016 में कथित तौर पर भोपाल जेल तोड़कर भागे आठ विचाराधीन क़ैदियों की मुठभेड़ में मौत के बाद से जेल में रहने वाले सिमी से जुड़े 28 क़ैदियों को प्रताड़ित करते हुए बुनियादी मानवाधारिकारों से वंचित रखा गया. आयोग ने जेल अधिकारियों के ख़िलाफ कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की थी.
ग़लत तरीके से बिना गुनाह के एक लंबा समय जेल में गुज़ारने वाले लोगों द्वारा झेली गई पीड़ा की जवाबदेही किस पर है? क्या यह वक़्त नहीं है कि देश में पुलिस प्रणाली और अपराध न्याय प्रणाली को लेकर सवाल खड़े किए जाएं?
गुजरात में सूरत की एक अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन यह साबित करने के लिए ठोस, विश्वसनीय और संतोषजनक साक्ष्य पेश करने में नाकाम रहा कि आरोपी सिमी से जुड़े हुए थे और प्रतिबंधित संगठन की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए एकत्र हुए थे.
यह मामला 2006 का है. सिमी की कथित खुफिया बैठक मामले में केरल हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी की अदालत द्वारा दोषी क़रार दिए गए पांचों मुस्लिमों को बरी किया.
केंद्र सरकार ने स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया पर यूपीए सरकार द्वारा 2014 में लगाए गए प्रतिबंध को बढ़ाते हुए कहा कि यह संगठन सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ सकता है और इसकी गतिविधियां देश की सुरक्षा के लिए ख़तरा हैं.
सनातन संस्था एवं हिंदू जनजागृति समिति जैसे ‘आध्यात्मिक’ कहे जाने वाले संगठनों से कथित तौर पर संबद्ध कई लोगों की गिरफ़्तारी इनकी अतिवादी गतिवधियों की ओर इशारा करती है. बीते दिनों सामने आया एक स्टिंग ऑपरेशन बताता है कि अपनी संगठित हिंसक गतिविधियों के बावजूद इन संगठनों को मिले राजनीतिक संरक्षण के चलते उनके ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई से हमेशा बचा गया.
प्रतिबंधित संगठन सिमी के आठ विचाराधीन क़ैदी 30 अक्टूबर की रात भोपाल केंद्रीय जेल से एक सुरक्षाकर्मी की हत्या करने के बाद फ़रार हो गए थे. इसके बाद पुलिस ने 31 अक्टूबर की सुबह आठों क़ैदियों को मार गिराया था.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने एक जांच में भोपाल सेंट्रल जेल में सिमी से जुड़े विचाराधीन कैदियों से साथ उत्पीड़न की शिकायतों को सही पाया है और इसके लिये जेल स्टाफ के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्यवाही की अनुशंसा की है.
मुठभेड़ में मारे गए सिमी कार्यकर्ताओं के परिजनों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है.
कैदियों के परिजनों ने उत्पीड़न के आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया था.